हिंदी बाल कविता: नाचते मोर

इस कविता में मोर की अद्भुत सुंदरता और उसकी आवाज़ का जिक्र है, जो हर ऋतु की शुरुआत को दर्शाती है। मोर के पंखों की अद्वितीयता और रंगों की छांव की प्रशंसा करती इस कविता में विजय, सौंदर्य और कल्पना का मिलाजुला रूप प्रस्तुत किया गया है।

By Lotpot
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नाचते मोर

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नाचते मोर

मोर की आवाज़ से होती हर ऋतु की शुरुआत,
शाही रंगों से सजी उसके सुंदर पंखों की धार।

नीले आसमान तले, नाचते मोर,
जंगलों की सजावट में मचाते शोर।

हरे-भरे जंगल में, बिखेरते रंगों की छठा,
रंग-बिरंगे पंखों में बसती है मनमोहक अदा।

बारिश की पहली बूँद पर, झूम उठता उसका मन,
नृत्य में समाहित होती, प्रकृति का रसमय धुन।

मोर के पास अद्वितीय रंगों की छांव,
सजीवता और रंगों में बसी उसकी जान।

विजय की परिभाषा, सौंदर्य की उत्कृष्टता,
संगीत और नृत्य में छुपी, उसकी अनोखी कल्पना।

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