हिंदी बाल कविता: हाथी दादा यह कविता हाथी दादा की कलकत्ता यात्रा और उनके विभिन्न अनुभवों की कहानी है। कविता के अंत में, हाथी दादा की यह यात्रा और उनके अनुभव मनोरंजन और हास्य का कारण बनते हैं। By Lotpot 30 Jul 2024 in Poem New Update हाथी दादा Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 हाथी दादा हाथी दादा ओढ़ लबादा,कलकत्ता से पहुँचे टाटा। सर पे लगी गर्मी की धूप,आने लगा पसीना खूब। तान लिया सर पर फिर छाता,हाथी दादा ओढ़ लबादा। सेल लगी चप्पल की देख,खरीद लिया झट चप्पल एक। अकड़ के चलें कदम बढ़ाके,देख ना पाए केले का छिल्का। फिसले और गिरे धड़ाम से,टूट गया फिर चप्पल बाटा। सस्ता चप्पल ले पछतायें,हो गया था उनका घाय। हाथी दादा, ओढ़ लबादा,कलकत्ता से पहुँचे टाटा। यह भी पढ़ें:- हिंदी बाल कविता: बादलों की यात्रा हिंदी बाल कविता: फलों का राजा आम हिंदी बाल कविता: अब न करूंगा मैं हंगामा हिंदी बाल कविता: गप्पी चूहा #Hindi poem on elephant #हाथी पर कविता #हिंदी बाल कविता #kids hindi poem You May Also like Read the Next Article