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चूहे की बारात
चूहे की बारात
चूहे राजा क्या कहना,
चले पहन फूलों का गहना।
निखरा-निखरा लगता रूप,
बदली में ज्यों चमके धूप।
सज धज कर निकली बारात,
हाथी घोड़े पल्टन साथ।
उमड़-उमड़ कर गाते जाते,
ताव मूँछ पर लाते जाते।
नहीं खुशी का पारावार,
पहुँचे जब दुल्हन के द्वार।
तभी कहीं से बिल्ली आई,
होठों - होंठों में मुस्काई।
और लगा दी तुरंत छलांग,
अकड़ गई चूहे की टाँग।
हाय! विपत्ति कैसी आई,
मुश्किल जान बचाना भाई।
चूहे राजा आगे - आगे,
और बाराती पीछे भागे।
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