Kids Poem: चूहे की बारात

By Lotpot
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चूहे की बारात 

चूहे की बारात 

 

चूहे राजा क्या कहना,
चले पहन फूलों का गहना।


निखरा-निखरा लगता रूप,
बदली में ज्यों चमके धूप। 


सज धज कर निकली बारात,
हाथी घोड़े पल्टन साथ। 


उमड़-उमड़ कर गाते जाते,
ताव मूँछ पर लाते जाते। 


नहीं खुशी का पारावार,
पहुँचे जब दुल्हन के द्वार।  


तभी कहीं से बिल्ली आई,
होठों - होंठों में मुस्काई। 


और लगा दी तुरंत छलांग,
अकड़ गई  चूहे की टाँग।

 
हाय! विपत्ति कैसी आई,
मुश्किल जान बचाना भाई। 


चूहे राजा आगे - आगे,
और बाराती पीछे भागे। 

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