छतरी की प्यारी सी कविता

काली, पीली-नीली छतरी छींटवार रंगीली छतरी चलती तनकर बारिश में तो लगती छैल-छबीली छतरी ओढ़े उसे बचा लेती है

By Lotpot
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chatri kavita

काली, पीली-नीली छतरी

छींटवार रंगीली छतरी

चलती तनकर बारिश में तो

लगती छैल-छबीली छतरी

ओढ़े उसे बचा लेती है

हो जाती खुद गीली छतरी

हाथ या फिर बैग में रख ले

होती नहीं कटीली छतरी

हंसकर हुक्म बजा लाती है

बिल्कुल नहीं हठीली छतरी

जाने कब से बंधी-टंगी थी

आज हुई है ढीली छतरी

हाट दुकान-स्कूल है जाती

जरा नहीं शरमीली छतरी

 

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