नन्हे मित्रों की सुबह- यह कविता नन्हे दोस्तों और उनकी सुबह की खुशियों का वर्णन करती है। चिड़ियों की चहचहाहट, मुर्गे की बांग, और खिड़की पर खड़े बच्चे की मुस्कुराहट के माध्यम से दिन की शुरुआत होती है। कोयल की मधुर कूक, भंवरों का नृत्य और बच्चों की छप-छप खेलते हुए, सभी ने मिलकर एक जीवंत और आनंदित वातावरण बनाया है। यह कविता न केवल बच्चों को प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा देती है, बल्कि उन्हें छोटी-छोटी खुशियों का आनंद लेने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।
जब सुबह का सूरज चमका,
नन्हे मित्रों ने दिन का स्वागत किया।
चिड़ियों ने चहचहाते हुए,
पेड़ों पर गीत गाया,
और मुर्गा ने भी बांग दे दी,
खिड़की के पास खड़े बच्चे ने मुस्कुराया।
कोयल की कूक गूँजी दूर तलक,
उसकी मधुर धुन ने मन मोह लिया,
फूलों ने खिलकर बगिया को सजाया,
भंवरों ने नृत्य कर उन्हें चूम लिया।
नन्हें पैर पानी के प्यालों में,
छप-छप करते खेल रहे,
सूरज की रौशनी में नहाते,
अपनी हँसी से गलियों को जगाते।
हवा की ठंडी फुहार में,
उड़ती पतंग संग लहराते,
दिन भर की मस्ती में डूबे,
सभी ने मिल खुशियाँ मनाई।
इस खूबसूरत सुबह में,
जब नन्हें दोस्त साथ होते,
दुनिया लगती है जैसे जन्नत,
जहाँ हर पल है नई सौगात।