छुट्टी के दिन अच्छे- यह कविता बच्चों की छुट्टियों के दिनों की मस्ती और आनंद का वर्णन करती है। छुट्टी के दिन बच्चों के लिए बेहद मजेदार होते हैं, जहाँ पढ़ाई से दूर होकर वे पूरी तरह से खेलने-कूदने और अपने शौक पूरे करने में जुट जाते हैं। कुल्फी खाना, टेलीविजन देखना, और सड़कों पर दौड़ना, बच्चों के इन छुट्टी के दिनों की पहचान होती है। यह कविता उसी हल्के-फुल्के और मजेदार अहसास को व्यक्त करती है, जो हर बच्चे को छुट्टियों में महसूस होता है। छुट्टी आई, छुट्टी आईअब तो हो गई बंद पढ़ाई।लगते छुट्टी के दिन अच्छे,झूम-झूम कर कहते बच्चे। पढ़ने का अब नहीं झमेला,शुरू हुआ खेलों का मेला।सुनते किस्से, लगते सच्चे,कितने अच्छे छुट्टी के दिन। रात समय टी.वी पर अटके,दिनभर गली सड़क पर भटके।केवल पहने कच्छे-पजामे,दिन बिताए धूप में नहाए। कटे फलों को कर जी लालचाता,जो भी खाए वो पछताता।भाती कुल्फी, लगते लच्छे,छुट्टी के दिन होते अच्छे। ये बाल कविता भी आपको पसंद आयेंगी :- Hindi Poem : सर्दी की आहटHindi Poem : परीक्षा का पेपरबाल कविता : बिल्ली मौसी बड़ी सयानीमेरी गुड़िया सबसे प्यारी: एक अनमोल साथी