Poem: मिन्नी का कहना

By Lotpot
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मिन्नी का कहना

दूसरे के काम मे दखल नहीं देना,
बुरा ना सोचो किसी का, है मिन्नी का कहना।

अमीर हो या गरीब सबसे रहो प्यार से,
कभी दुखी ना होना अपने जिगरी यार से।
जलन नही होने देना किसी के कारोबार से,
अपना काम खुद करे न किसी के आधार से।
दूसरे के काम मे दखल नहीं देना,
बुरा ना सोचो किसी का, है मिन्नी का कहना।

अच्छे काम की सदा प्रशंसा तुम करना,
किसी के अच्छाई का फायदा न उठाना।
अपने ज्ञान को सबके साथ बाँटना,
भला ना कर सको तो गलत भी नही करना।
दूसरे के काम मे दखल नहीं देना,
बुरा ना सोचो किसी का, है मिन्नी का कहना।

अच्छे सुविचारों का पालन हमेशा करना,
मदद के लिए हमेशा अपना हाथ बढ़ाना।
गलती से किसी को कभी न देना ताना,
खुश रहो खुश रखो यही तो है जीना।
दूसरे के काम मे दखल नहीं देना,
बुरा ना सोचो किसी का, है मिन्नी का कहना।

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