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शेख चिल्ली के दुश्मनों ने उसकी जान लेने के लिए एक खतरनाक साजिश रची। इस बार, दुश्मनों ने एक "लैटर बम" तैयार किया—एक ऐसा पत्र, जिसे खोलते ही धमाका होता। यह खतरनाक काम करने की जिम्मेदारी दी गई झगड़ू नामक बदमाश को, जिसने अपना हुलिया बदलकर खुद को डाकिया बना लिया।
झगड़ू बड़े उत्साह से शेख चिल्ली के घर पहुंचा और उसे लैटर बम सौंप दिया। वह मन ही मन खुश था कि इस बार वह अपने बाॅस को दिखा देगा कि वह किसी को भी खत्म कर सकता है। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब नूरी जिन्न प्रकट हुआ।
नूरी जिन्न ने लैटर बम की सच्चाई का पर्दाफाश करते हुए शेख चिल्ली को इसे खोलने से रोक दिया। उसने चालाकी से झगड़ू को धोखा दिया और खुद उसकी शक्ल में बदलकर बाॅस के पास पहुंच गया। झगड़ू को यकीन दिलाया गया कि उसे कामयाबी पर इनाम के रूप में दस लाख रुपये मिलेंगे। खुशी में अंधा झगड़ू खुद लैटर बम फाड़ बैठा, जिससे एक जोरदार धमाका हुआ और वह खुद घायल हो गया।
कहानी का अंत हास्यास्पद और रोमांचक है। शेख चिल्ली को बचाकर नूरी जिन्न ने यह संदेश दिया कि दूसरों के लिए गड्ढा खोदने वाले अक्सर खुद उसमें गिर जाते हैं। लेकिन अब सवाल यह उठता है—क्या झगड़ू अपने बाॅस के पास जाकर सच्चाई बताएगा या कोई नई साजिश रचेगा?