Jungle Story- (लोटपोट जंगल कहानी) अपनेपन की छाँव : उस जंगल में प्रति रविवार को एक स्पेशल बाजार लगा करता था जिसमें दास की तरह कई नौकर चाकर बिकने आया करते थे।
लोटपोट की बड़ी मजेदार कहानी: रविवार का दिन था। सबकी छुट्टी थी। आसमान साफ था और ठंडी ठंडी हवा बह रही थी। सूरज की किरणें शहर के ऊपर बिखरी थीं। धूप में गर्मी नहीं थी। मौसम सुहावना था। बिल्कुल वैसा जैसा एक पिकनिक के लिए होना चाहिए। मन्नू सोचने लगा, काश! आज हम कहीं घूमने जा सकते।
Inspirational Child Story : भगवान हमें हमेशा सर्वश्रेष्ठ चीज़ देते हैं :- एक दस साल की छोटी बच्ची थी, जो खूबसूरत थी और उसके सुनहरे बाल थे। वह अपनी मां के साथ बस स्टाॅप पर जा रही थी। रास्ते में शो केस में वहां उसने एक गुलाबी डिब्बे में सफेद गोल गोल चमकते मोतियों का हार देखा।
शिक्षाप्रद कहानी (Moral Story) : जैसे को तैसा मिला: एक दिन एक अमीर व्यवसाई को रास्ते में एक भिखारी भीख मांगता हुआ दिखाई दिया। भिखारी की हालत देखकर व्यवसाई को उस पर दया आ गई। उसने भिखारी से पूछा कि उसकी ऐसी दशा क्यों हुई? भिखारी ने बताया कि उसकी नौकरी छूट गई और कोई दूसरी नौकरी नहीं मिल रही है जिसके कारण भीख मांगना पड़ रहा है।
लोटपोट की शिक्षाप्रद कहानी : तोते की सीख : एक जंगल में, आम के पेड़ पर एक तोता रहता था। वो हमेशा खुश रहता था। दिन भर वो आम के मीठे मीठे फल खाता और पेड़ की हरी भरी डालियों समें झूलते हुए गाना गाता था, लेकिन फिर ऐसा हुआ कि जंगल में सूखा पड़ गया। वहां के सारे पेड़ पौधे और तालाब सूख गए।
बच्चों को मोटीवेट करती बाल कहानी : प्रार्थना की महिमा- एक गांव में एक प्रभु भक्त नाविक रहता था। वह रोज सवेरे उठ कर, नहा धोकर मंदिर जाता और पूजा करने के बाद नाव लेकर यात्रियों को नदी के इस पार से उस पार और उस पार से इस पार पहुँचाता था। खाली वक्त में वो बस ईश्वर का नाम जपता रहता था। उसकी इतनी ईश्वर भक्ति देखकर गाँव के लोग हैरान रह जाते थे।
शिक्षा देती बाल कहानी : लालच का फल:- एक धोबी अपने गधे से बहुत प्यार करता था। वह हमेशा उसे फूलों की माला से सजाता था। एक दिन जब धोबी कपड़ों का गट्ठर धो कर वापस घर लौट रहा था तो रास्ते में उसे एक बड़ा सा चमकता पत्थर पड़ा हुआ दिखा। उसने उसे उठा लिया। पत्थर बहुत ही चमकीला और सुंदर था। धोबी ने उसे एक रस्सी से बांधकर गधे के गले में पहना दिया। गधा और ज्यादा सजीला दिखने लगा।
बाल कहानी : साधु रूप में बहुरूपिया :- बहुरूपिया राजा के दरबार में पहुँचा और बोला यश पताका आकाश में सदैव फहराती रहे। बस दस रूपये का सवाल है, महाराज से बहुरूपिया और कुछ नहीं चाहता।
Moral Story : अच्छा आदमी कौन? – एक था राजा। एक बार उसने अपने दरबारियों से समक्ष एक सवाल रखा, अच्छा आदमी कौन है? जो अच्छा काम करे।कोई दरबारी बोला।
जैसे? मैंने एक मन्दिर बनवाया है, जहां सैकड़ों लेाग रोज जाकर पूजा करते हैं। जनहित के लिए मैंने यह एक अच्छा कार्य किया है। अतएव मैं अच्छा आदमी कहलाने का अधिकारी हूँ।
और किसने अच्छे अच्छे कार्य किए हैं? राजा ने अन्य दरबारियों से पूछा।
Moral Story परिवर्तन : सेठ करमचंद शहर के धनी लोगों में से एक था। पाँच साल पहले जब वह इस शहर में आया था तो उसके पास फूटी कौड़ी भी नहीं थी। अपनी पत्नी सरलादेवी के गहने बेच कर उसने एक छोटी सी दुकान खोली थी। वह दिन रात मेहनत करता था। धीरे धीरे उसका धन्धा बढ़ने लगा। आज उसके पास चार बड़ी दुकानें हैं। दो फैक्ट्रियाँ और एक सुन्दर बंगला है।