बाल कहानी : साधु रूप में बहुरूपिया
बाल कहानी : साधु रूप में बहुरूपिया :- बहुरूपिया राजा के दरबार में पहुँचा और बोला यश पताका आकाश में सदैव फहराती रहे। बस दस रूपये का सवाल है, महाराज से बहुरूपिया और कुछ नहीं चाहता।
बाल कहानी : साधु रूप में बहुरूपिया :- बहुरूपिया राजा के दरबार में पहुँचा और बोला यश पताका आकाश में सदैव फहराती रहे। बस दस रूपये का सवाल है, महाराज से बहुरूपिया और कुछ नहीं चाहता।
Moral Story : अच्छा आदमी कौन? - एक था राजा। एक बार उसने अपने दरबारियों से समक्ष एक सवाल रखा, अच्छा आदमी कौन है? जो अच्छा काम करे।कोई दरबारी बोला। जैसे? मैंने एक मन्दिर बनवाया है, जहां सैकड़ों लेाग रोज जाकर पूजा करते हैं। जनहित के लिए मैंने यह एक अच्छा कार्य किया है। अतएव मैं अच्छा आदमी कहलाने का अधिकारी हूँ। और किसने अच्छे अच्छे कार्य किए हैं? राजा ने अन्य दरबारियों से पूछा।
Moral Story परिवर्तन : सेठ करमचंद शहर के धनी लोगों में से एक था। पाँच साल पहले जब वह इस शहर में आया था तो उसके पास फूटी कौड़ी भी नहीं थी। अपनी पत्नी सरलादेवी के गहने बेच कर उसने एक छोटी सी दुकान खोली थी। वह दिन रात मेहनत करता था। धीरे धीरे उसका धन्धा बढ़ने लगा। आज उसके पास चार बड़ी दुकानें हैं। दो फैक्ट्रियाँ और एक सुन्दर बंगला है।
प्रेरणादायक कहानी : रावण का श्राप लंका नामक स्वर्ण मंडित नगरी की पश्चिमी समरभूमि पर घमासान युद्ध चल रहा था। एक ओर रामचन्द्र जी की वानर सेना डटी थी तो दूसरी ओर लंकाधिपति रावण की भयंकर राक्षसी सेना। दोनों सेनाओं के वीर योद्धा प्राणों से जूझ रहे थे। आज समर भूमि में एक अनोखा कोलाहल और विचित्र उत्तेजना व्याप्त थी। वानर सेना के समरनायक स्वयं प्राभु श्रीराम थे जबकि राक्षसी सेना का हौंसला लंकाधिपति महाबली रावण स्वयं युद्ध का संचालन कर रहा था।
जी हा! आशा और निराशा दोनों सखियां प्रतिस्पर्धा की भावना से प्रेरित होकर जीवन-पथ पर निरन्तर दौड़ लगाती रहती हैं। कभी आशा आगे निकल जाती है तो कभी निराशा बाजी मार ले जाती हैं। जब आशा जीतने लगती है तो मनुष्य बहुत महत्त्वाकांक्षी हो जाता है। साथ ही अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिये वह जी-जान से परिश्रम करता है। वह सोचने लगता है। कि मेहनत के बल पर वह अवश्य अपनी मंजिल को पा लेगा। इसके विपरीत जब निराशा विजय होने लगती है। तो मनुष्य जीवन से हार मान लेता है। उसे अपने सभी प्रयत्न बेकार लगने लगते हैं।
प्राचीन काल में सोरठ राज्य के राजा वीर भद्र दान-पुण्य के लिए बड़े लोकप्रिय थे। द्वार पर आने वाला कोई भी याचक खाली हाथ न जाता था।, उनका यह सारा दान, अनीति और अधर्म की कमाई से होता था।
Hindi Kids Story बंजर पेड़: एक छोटे बालक को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वह तुरन्त आम के पेड़ के पास पहुंच जाता। पेड़ के ऊपर चढ़ना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर आम की छाया में ही सो जाना।
एक बार स्कूल का एक अध्यापक अपने शिष्यों को सूरजमुखी के बीज देकर उसका पौधा उगाने और उसकी देखभाल करने के लिए कहते है। सभी शिष्यों को यह कार्य ज्यादा पसंद नहीं आता लेकिन इनमे से एक शिष्य को ये कार्य बहुत बहुत प्यारा लगता है और वह बड़ी उत्सुकता से इन बीजो को बोता है और कई दिनों तक इनकी देखभाल करता है।
आधी रात का समय था। छत्रपति शिवाजी गहरी नींद में सो रहे थे। तभी पहरेदारों की नजरें बचाकर बारह-तेरह साल का एक किशोर महाराज के शयन-कक्ष में घुस आया। इधर- उधर देखकर झटपट उसने अपनी कमर में खोंसी कटार निकाल ली और सो रहे शिवाजी पर अभी वह वार करने ही जा रहा था। कि किसी ने पीछे से आकर उसे मजबूती से पकड़ लिया।