Moral Story: चाँदी का कुआँ
बहुत दिन हुए, एक ठग व्यापारी का वेश बनाकर किसी गाँव में पहुँचा। उसने दिन भर इधर-उधर घूमकर समय बिताया। रात होने पर वह एक किसान के घर पहुँचा। वहाँ उसने अपने को राहगीर बता कर रात गुजारने के लिए जगह माँगी।
बहुत दिन हुए, एक ठग व्यापारी का वेश बनाकर किसी गाँव में पहुँचा। उसने दिन भर इधर-उधर घूमकर समय बिताया। रात होने पर वह एक किसान के घर पहुँचा। वहाँ उसने अपने को राहगीर बता कर रात गुजारने के लिए जगह माँगी।
एक छोटा लड़का था जिसे बहुत गुस्सा आता था और वह गुस्से में दूसरों से बुरा व्यवहार करता था। एक दिन उसके पिता ने उसे एक कीलों का बैग दिया और उससे कहा कि अगली बार जब भी उसे गुस्सा आए तो वह एक कील लेकर दीवार में ठोक दे।