Moral Story: बैंकर और भिखारी

एक समय की बात है एक गांव में एक बैंकर और एक भिखारी रहता था। बैंकर बहुत अमीर था और भिखारी बहुत गरीब था। तो यह निश्चित था कि अमीर आदमी भिखारी से ज़्यादा खुश होगा।

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बैंकर और भिखारी

Moral Story बैंकर और भिखारी:- एक समय की बात है एक गांव में एक बैंकर और एक भिखारी रहता था। बैंकर बहुत अमीर था और भिखारी बहुत गरीब था। तो यह निश्चित था कि अमीर आदमी भिखारी से ज़्यादा खुश होगा। लेकिन इन दोनों की आदतें एक दूसरे से बिल्कुल अलग थीं। गरीब आदमी अमीर आदमी के मुकाबले ज़्यादा खुश रहता था। बैंकर को इस बात की चिंता रहती थी कि वह अमीर होकर भी रात को चैन से नहीं सो पाता था जबकि गरीब भिखारी आराम से रात को सोता था और हर सुबह एक नई ताज़गी और उल्लास के साथ उठता था। यह बात बैंकर को बर्दाश्त नहीं होती थी इसलिए एक दिन उसने फैसला किया कि वह जानकर ही रहेगा कि गरीबी के बावजूद कैसे भिखारी इतना खुश रहता था। इसलिए उसने एक दिन भिखारी को अपने घर बुलाया और उससे उसकी तनख्वाह पूछी क्योंकि अमीर बैंकर को लगता था कि सिर्फ पैसों से ही खुशी आती है। (Moral Stories | Stories)

गरीब आदमी ने बैंकर को जवाब दिया, ‘मैंने कभी अपने पैसों को गिना नहीं और मैं इसकी परवाह भी नहीं करता। मैं हर दिन को जीता हूँ और अगले दिन की परवाह नहीं करता।’ (Moral Stories | Stories)

अमीर आदमी ने फिर पूछा, ‘अच्छा, बताओ! तुम एक दिन में कितना कमा लेते हो?’ गरीब भिखारी बोला, ‘मैं अपनी ज़रूरत के हिसाब से कमा लेता हूँ। अगर छुट्टियों और रविवार के दिन को निकाल दे तो मेरी एक दिन की कमाई भी मेरे लिए ज़्यादा हो जाती है।’ (Moral Stories | Stories)

बैंकर को भिखारी पसंद आया। उसने उसे अपने घर आने के लिए धन्यवाद कहा और गरीब भिखारी को...

बैंकर को भिखारी पसंद आया। उसने उसे अपने घर आने के लिए धन्यवाद कहा और गरीब भिखारी को सौ सोने के सिक्कों से भरा हुआ एक बैग दिया। अब भिखारी के लिए यह बहुत ज़्यादा दौलत थी जबकि बैंकर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। भिखारी ने फैसला किया कि वह इस सोने के सिक्कों से भरे हुए बैग को छुपा देगा ताकि जब उसे ज़रूरत पड़े, वह उसमें से अपनी ज़रूरत के हिसाब से सिक्के निकाल लेगा। जब वह अपने घर पहुँचा तो उसने अपने घर के एक कोने में एक गड्ढा खोदा और उसमें सिक्कों से भरा बैग डाल दिया और उसे मिट्टी से ढक दिया। (Moral Stories | Stories)

लेकिन उस दिन के बाद गरीब भिखारी की ज़िंदगी बदल गई। उसे पैसों की सुरक्षा की चिंता होने लगी। वह हर रात कम सोने लगा और हर समय उसे कुछ आवाज़ें सुनाई देती थी और वह सिक्कों की सुरक्षा को लेकर उत्साहित हो जाता था। (Moral Stories | Stories)

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आखिरकार उसने अपनी बेचैनी को खत्म करने का फैसला किया। उसने अपने द्वारा खोदे हुए गड्ढे को दोबारा खोदा और उसमें से सिक्के निकालकर बैंकर को दोबारा लौटा दिए। गरीब भिखारी समझ गया था कि ज़्यादा पैसे होने से उसका सुख और चैन चला गया था और उसके द्वारा सिक्के लौटाने पर अमीर बैंकर समझ गया कि पैसा ही चिंता की सबसे बड़ी वजह होती है। (Moral Stories | Stories)

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