बाल कहानी : समय की सूझ
सरिता अभी अभी पार्क से खेलकर लौटी थी। वह बाथरूम में जाकर हाथ मुंह धो ही रही थी कि तभी लाईट चली गई। अब तो शाम का अँधेरा घिरते ही लाईट जाना एक आम बात हो गई थी। सरिता की दादी बरामदे में बैठी रामायण पढ़ रही थी। लाईट चले जाने से वह, बिजली विभाग को तीन चार भारी सी गाली बकती हुई। आंगन में ही सरिता की मम्मी शाम के खाने की तैयारी में सब्जी काट रही थी। डैडी अभी अभी आफिस से लौटे थे।