बाल कहानी : नई सोच नई उम्मीद

आपने बिल्ली और चूहों की कहानी तो सुनी होगी। जिसमें बिल्ली के आतंक से डरे हुए चूहे बिल्ली के गले में घंटी बाँधने की योजना बनाते हैं। कई पाठकों ने यह पढ़ा होगा की ये योजना इसलिए असफल हो गयी कि कोई भी घंटी बाँधने के लिए आगे नहीं आया।

By Lotpot
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बाल कहानी (Lotpot Hindi Kids Stories) : नई सोच नई उम्मीद -

बाल कहानी (Lotpot Hindi Kids Stories) : नई सोच नई उम्मीद - आपने बिल्ली और चूहों की कहानी तो सुनी होगी। जिसमें बिल्ली के आतंक से डरे हुए चूहे बिल्ली के गले में घंटी बाँधने की योजना बनाते हैं। कई पाठकों ने यह पढ़ा होगा की ये योजना इसलिए असफल हो गयी कि कोई भी घंटी बाँधने के लिए आगे नहीं आया।

इसके आगे की कहानी यह है कि एक युवा चूहे ने बिल्ली को धोखे से नींद की गोली खिला कर उसके गले में घंटी बाँध दी थी।

लेकिन उसके बाद क्या हुआ?

क्या चूहों की जिंदगी बदल गई?

उनकी जिंदगी खुशहाल हुई या फिर पहले से भी बदतर हो गई?

आइये जानते हैं ” बिल्ली और चूहों की इस कहानी में:-

तो यूँ शुरू हुआ किस्सा : 

बिल्ली के गले में घंटी बाँधने के बाद सभी चूहे राहत की साँस ले रहे थे। उन्हें लगा कि उनकी जिंदगी में अब बिल्ली के आतंक का अंत हो गया है। जश्न मनाने के लिए चूहों ने एक भव्य आयोजन किया। अभी जश्न की शुरुआत हुई ही थी की अचानक घंटी की आवाज सुनाई दी।

सभी चूहे खतरा भांप गये कि बिल्ली आ गई है। फिर तो जिसको जहाँ रास्ता मिला वो उधर ही हो लिया। जब बिल्ली वहाँ पहुंची तो उसने देखा कि खाने पीने का बहुत सारा सामान उसके लिए पड़ा था। बिल्ली खुश हो गई और उसने मजे से भर पेट खाना खाया। उसके बाद वो वहाँ से चली गई।

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चूहों का जश्न हो गया बेकार 

चूहों के जश्न का इस प्रकार अंत होगा किसी ने सोचा न था। पर चूहों को इस बात की तसल्ली थी घंटी बजने के कारण उनकी जान तो बच गई। लेकिन ये सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं हुआ। बिल्ली के गले में घंटी बांधना चूहों के लिए मुसीबत बनता जा रहा था।

बिल्ली जब भी आस-पास से गुजरती। घंटी की आवाज सुन कर सभी चूहे अपने बिल में घुस जाते। इस तरह से उनके सारे काम रूक जाते। वो अपने खाने के लिए भरपेट भोजन का इंतजाम भी नहीं कर पाते। धीरे-धीरे चूहे कमजोर होने लग गए।

बिल्ली को भी इस बात का आभास होने लगा। कि उसके गले में बंधी घंटी के कारण चूहों को उसके आने के बारे में पता चल जाता है। तो बिल्ली ने भी अपना दिमाग लगाया। अब जब भी वो चूहों के इलाके में जाती अपनी घंटी को इस तरह पकड़ कर जाती ताकि उसकी आवाज न हो।

चूहों ने कहाँ सोचा होगा। कि बिल्ली इतना दिमाग लगाएगी। अब बेफिक्र हुए चूहों पर अचानक से हमला हुआ तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया। बिल्ली ने मौके का फ़ायदा उठाया और 4-5 चूहों को वहीं ढेर कर दिया। बिल्ली को भरपेट भोजन मिल गया।

बाल कहानी (Lotpot Hindi Kids Stories) : नई सोच नई उम्मीद -

फिर शुरू हुआ सम्मेलन

इस घटना से आहत चूहों ने एक बार फिर से समस्या के हल के लिए एक सम्मेलन किया। धिक्कार है उस चूहे पर जिसने ये विचार दिया था और बिल्ली के गले में घंटी बाँधी थी। लेकिन अब क्या किया जा सकता था? इस बार किसी ने कोई विचार न दिया। ये सम्मेलन बिना किसी निष्कर्ष के ही ख़त्म हो गया।

अगली सुबह हुई। जैसे ही सब चूहे उठे उनके होश उड़ गए। उनके एकदम सामने वही घंटी पड़ी हुई थी जो बिल्ली के गले में थी। कोई कुछ समझ पाता। इससे पहले ही वो युवा चूहा सबके सामने आया और बोला,
‘‘हमारी मुसीबत का अंत हो गया है। मैंने उस बिल्ली की जीवन लीला ही समाप्त कर दी।’’

सब हैरान थे कि ऐसा कैसे हो सकता है? एक छोटा सा चूहा इतनी बड़ी बिल्ली को कैसे मार सकता है। उस युवा चूहे को सबके मन में उठ रहे इस सवाल का आभास हो चुका था। उसने अपनी बात जारी रखी।,
‘‘घंटी बाँधने से लेकर उसे मारने तक मैंने कई बातें सीखी। कभी भी अपने दुश्मन को कमजोर न समझें।

वो आपकी सोच से भी आगे निकल सकता है। किसी भी परिस्थिति में हार ना माने। वो आगे निकल जाए तो क्या हुआ, आप भी इतने समर्थ हैं की उससे आगे निकल सकते हैं।’’

इतना सुनते ही सभी चूहों ने तालियाँ बजानी शुरू कर दी। तभी व आगे बोला,

‘‘अगर आप कुछ नया नहीं कर सकते या करने की हिम्मत नहीं रखते तो दूसरों को कुछ नया करने और असफल होने पर उसकी निंदा न करें। कम से कम वो अपनी जिंदगी के लिए कुछ तो कर रहे हैं। अगर एक दांव असफल हुआ तो क्या? एक बार फिर प्रयास करें।’’

यह सुनते ही सब चूहों को यह अहसास हो गया कि वो कितने गलत थे और उनकी सोच कितनी सीमित थी।

इस कहानी की सीख : 

अब आप लोग भी यह सोच रहे होंगे की आखिर उस चूहे ने उस बिल्ली को मारा कैसे? ये तो बताया ही नही गया। तो इसका जवाब तो उस चूहे को ही पता होगा जिसने इस काम को अंजाम दिया।

हमें तो उसके बोले गए शब्दों पर ध्यान देना चाहिए। अक्सर हम अपनी मुसीबतों को ख़त्म करने से ज्यादा उसको टालने पर विचार करते हैं। उसका नतीजा ये होता है कि वो मुसीबत और भी बढ़ती जाती है या फिर किसी और रास्ते से हमारी जिंदगी में फिर से आ जाती है।

हम मुसीबत के टल जाने से ही यह सोच लेते हैं की हम अब खुश रहेंगे। लेकिन जब तक मुसीबत ख़त्म नहीं होती हम खुशियाँ प्राप्त नहीं कर सकते। अपनी परेशानियों का हल हमें स्वयं करना पड़ता है। इसके लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए। हमें वो चूहे नहीं बनना चाहिए जो सिर्फ विचार ही करते रह जाएँ।
जीवन में आगे बढ़ना है तो खतरों से मत डरिये। आगे बढ़िये। अपनी सोच को सीमित मत रखिये। जीवन के रणक्षेत्र में हार मत मानिए। और आप पाएँगे एक दिन ये सारा जहाँ आपके क़दमों में होगा।

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