मोटू पतलू ई-कॉमिक्स: मोटू पतलू और गर्मी का मौसम
मई का महीना ख़त्म होने वाला था और गर्मी अपने चरम पर थी, मोटू और पतलू पसीने में लथपथ अपने घर में बैठ कर हाय गर्मी, हाय गर्मी की रट लगा रहे थे।
मई का महीना ख़त्म होने वाला था और गर्मी अपने चरम पर थी, मोटू और पतलू पसीने में लथपथ अपने घर में बैठ कर हाय गर्मी, हाय गर्मी की रट लगा रहे थे।
एक दिन की बात है मौसम बहुत अच्छा हो रहा था, हवा भी चल रही थी। टीटा घर से बाहर निकलता है तो मौसम को देखकर उसका मन पतंग उड़ाने का करने लगता है।
चुनाव का माहौल चल रहा था, जगह जगह भावी नेताओं के भाषण समारोहों की गोष्ठियां हो रहीं थीं, जिनमें भीड़ भी काफी ज्यादा इकट्ठा हो रही थी। उस भीड़ की वजह से राहगीरों को भी काफी दिक्कतें हो रहीं थीं।
गर्मी की छुट्टियां चल रहीं थीं, फुरफुरी नगर के वासी छुट्टियों का मज़ा ले रहे थे। डॉ. झटका अपने घर में आराम कर रहे थे, तभी घसीटा भागता हुआ वहां आ जाता है और बोलता है- झटके! ओ झटके! मोटू ने तो कमाल कर दिया।
गर्मी के दिन चल रहे थे, स्कूलों की गर्मी की छुट्टियां भी होने वाली थीं। एक दिन सुबह सुबह चेलाराम स्कूल पहुंचे और क्लास रूम में बैठ गए। तभी थोड़ी देर बाद क्लास टीचर भी क्लास में आ गए। उनहोंने आते ही सभी बच्चों से बोला।
संडे का दिन था, नीटू सुबह से जल्दी जल्दी अपने सारे काम खत्म कर रहा था। रोबो ने नीटू को देखकर पूछा की क्या हुआ नीटू आज बहुत जल्दी जल्दी सारे काम कर दिए तुमने?
एक दिन नटखट नीटू और टीटा दोनों नटखट नगर की सैर कर रहे थे की तभी उनके सामने कुछ अजीब सा प्राणी आता है और बोलता है कि, खेतालु हूँ मैं तिनका मेरा हथियार है, दुश्मन है नीटू जो मरने को तैयार है।