Stories होली की बाल कहानी : रंग भरा सपना सायंकाल मैं खाना खाकर उठा ही था कि पत्नी ने कहा, अगले रविवार को होली है। रंग इत्यादि लाने हैं। होली का हुड़दंग के मामले में मैं जरा डरपोक किस्म का आदमी हूं। उस समय तो मैंने स्वीकृति में सिर हिला दिया किन्तु मेरे सारे शरीर में एक कम्पन फूट गया। हर साल यह बला सिर पर आती रहती है। कैसा बेतुका त्योहार है। सभी तमीज भूलकर सज्जन से दुर्जन हो उठते हैं। यही एक अवसर है कि सामाजिक बन्धनों में जकड़ा आदमी इस बात का सबूत होता है कि वह भी कभी बन्दर था। By Lotpot 05 Feb 2020
Stories बाल कहानी : आनंद का त्योहार होली चिंटू अपने पापा के साथ काॅलोनी में होली खेलने निकल रहा था तभी मम्मी और पापा में बहस शुरू हो गई। मम्मी गुस्से से बोली- पहले गंवारों की तरह एक-दूसरे को बेदर्दी से रंग लगाओ, फिर घंटों शरीर पर साबुन लगाकर उसे साफ करना... यह कौन-सी बुद्धिमानी है? By Lotpot 04 Feb 2020