हिंदी जंगल कहानी: मेहनत और किस्मत
दीपावली के चार दिन रह गए थे लोटपोट के सभी बच्चों में उत्साह था। सबको अपने अपने घर से आतिशबाजी खरीदने के लिए पैसे मिल चुके थे। वीनू और टीनू को भी।
दीपावली के चार दिन रह गए थे लोटपोट के सभी बच्चों में उत्साह था। सबको अपने अपने घर से आतिशबाजी खरीदने के लिए पैसे मिल चुके थे। वीनू और टीनू को भी।
एक मोची था, जो दिन रात पूरी ईमानदारी के साथ काम करता था। वह मोची बहुत मेहनती था। लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद भी वह ज़्यादा पैसे नहीं कमा पाता था। उसके पास जूतों की जोड़ी बनाने के लिए बहुत कम चमड़ा था।
टॉमी कुत्ता शहर से पढ़ लिखकर आज वापस लौट रहा था, उसने जब शहर जाकर पढ़ने-लिखने का फैसला किया था उस समय जंगल वालों ने उसके फैसले का खूब मज़ाक उड़ाया था, उनका कहना था कि पढ़ लिखकर कुछ नहीं होना था।
राजा वीरभद्र सिंह के दरबार में एक दरबारी था चन्द्रपाल। वह बहुत ही मक्कार था। उसने राजा पर इस बात का सिक्का जमा रखा था कि वह तलवारों का कुशल पारखी है। उनके गुण दोषों में भेद करना जानता है। चन्द्रपाल के इसी गुण से प्रभावित होकर राजा ने उसे अपने दरबार में नौकरी दी थी।