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मेहनत और किस्मत
हिंदी जंगल कहानी: मेहनत और किस्मत:- दीपावली के चार दिन रह गए थे लोटपोट के सभी बच्चों में उत्साह था। सबको अपने अपने घर से आतिशबाजी खरीदने के लिए पैसे मिल चुके थे। वीनू और टीनू को भी। (Stories | Jungle Stories)
वीनू और टीनू खरगोश सगे भाई थे वीनू बड़ा था, टीनू छोटा। दोनो का स्वभाव बिल्कुल अलग अलग था। वीनू था कमजोर और आलसी तो टीनू मेहनती।
आज जब टीनू ने वीनू से बाजार चलकर आतिशबाजी खरीदने के लिए कहा तो उसने लेटे ही लेटे उत्तर दे दिया। “तुम हो आओ, मै बाद में जाऊंगा”।
टीनू चला गया। बाजार में तरह तरह की आतिशबाजी बिक रही थी टीनू के हम उम्र भी छोटी दुकान लगाए बैठे थे। टीनू ने सोचा कितना अच्छा रहे कि वह भी इन बच्चों की तरह आतिशबाजी बेचे। इससे जो आमदनी होगी उससे वह ढेर सारी चीजों के साथ मनचाही चीज़ें भी खरीद सकेगा। टीनू ने देर न की। (Stories | Jungle Stories)
वह आतिशबाजी लेकर वहीं बैठ गया। उसकी बिक्री भी होने लगी। शाम को जब वीनू बाजार टहलने आया तो टीनू को देखकर खूब हंसा “कहो लालाजी, बिक्री ठीक ठाक हो रही है”।
टीनू चिढा नही। वह चुपचाप अपने काम में लगा रहा। वीनू आगे बढ़ गया। बाजार में आज बहुत भीड़ थी। अचानक वीनू की नजर...
टीनू चिढा नही। वह चुपचाप अपने काम में लगा रहा। वीनू आगे बढ़ गया। बाजार में आज बहुत भीड़ थी। अचानक वीनू की नजर लाटरी वाले भालू दादा पर पड़ी। वे कंधे पर झोला लटकाए थे। उनके हाथ में लाटरी पैड भी था। वह चिल्लाते हुए टहल रहे थे। दीपावली पर अपनी किस्मत आजमाइए। सुपर लक्ष्मी बम्पर खरीदिए। एक लाख का इनाम है, टिकट सिर्फ दस रूपये। (Stories | Jungle Stories)
वीनू को बात जंची। उसने सोचा 50 टिकट खरीद लूं कोई न कोई तो निकलेगा ही। बेचारा टीनू! वह तो जिन्दगी भर भी मेहनत कर इतना न कमा पाएगा। वीनू ने 50 टिकट खरीद लिए।
आज दीपावली थी। टीनू ने आतिशबाजी की दुकान चलाकर खूब पैसे कमाए थे। ढेर सारी आतिशबाजी और मिठाई खरीदी थी उसने एक अच्छा सा सूट भी लिया था अपने लिए। वह हंसता गाता दीपावली के मजे ले रहा था। कभी पटाखे छुड़ाता, कभी राकेट छोड़ता। कभी अनार तो कभी फुलझड़ी चलाता। बीच बीच में हुर्रे हुर्रे कर खुश भी हो उठता।
उधर वीनू सर झुकाए एक ओर बैठा था उसके टिकट खाली गए थे हाथ पर हाथ धरे खुशियां लूटने के उसके सपने बिखर चुके थे। पिता के कहने पर टीनू ने वीनू को थोड़ी सी आतिशबाजी दे दी। वीनू ने सकुचाते हुए अपमानजनक स्थिति में ले भी ली।
वह सोच रहा था काश उसने किस्मत पर भरोसा करने की बजाए मेहनत की होती। वह जान गया था कि जो मेहनत करते हैं उनका किस्मत भी साथ देती है। वही खुशियां लूट पाते हैं। दीपावली की चकाचौंध और धांय ताड़ के शोर के बीच वीनू ने मन ही मन मेहनत करने का दृढ सकंल्प भी कर लिया था। (Stories | Jungle Stories)