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शक्ति की पहचान
हिंदी जंगल कहानी: शक्ति की पहचान:- सुन्दर वन में हाथी, भालू, बाघ, चीता, खरगोश, हिरण, बारहसिंघा, गैंडा, भेड़, बकरी, गाय आदि अनेक जानवर रहते थे। उन सब जानवरों का राजा था शेर। शेर अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखता था। उसकी पत्नी शेरनी भी इस नेक काम में उसका हाथ बंटाती थी। (Jungle Stories | Stories)
कुछ दिनों बाद शेरनी ने एक पुत्र को जन्म दिया। शावक के जन्म पर जंगल भर में खुशियां मनाई जा रही थीं। दुर्भाग्यवश तभी कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए आ गये। सभी जानवरों को एक स्थान पर जश्न मनाते देख वे फूले न समाये। खोजने के लिए जंगल में भी नहीं भटकना पड़ा उन्होंने तुरंत अपनी-अपनी बंदूकें निकलीं और पशुओं को निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलियां चलाने लगे।
शेर और शेरनी अपनी प्रजा को इस प्रकार नष्ट होते कैसे देख सकते थे? अपनी प्रजा की रक्षा के लिए वे अपने प्राणों का मोह त्यागकर शिकारियों से भिड़ गये। वे शिकारियों का तब तक सामना करते रहे जब तक उनके शरीर उनकी बन्दूकों से निकलने वाली गोलियों से छलनी-छलनी न हो गये। (Jungle Stories | Stories)
शेर शेरनी के वीरगति को प्राप्त होने पर उनका पुत्र शावक अनाथ हो गया। कुछ जानवरों ने तो उसे...
शेर शेरनी के वीरगति को प्राप्त होने पर उनका पुत्र शावक अनाथ हो गया। कुछ जानवरों ने तो उसे मनहूस कहना शुरू कर दिया। उनके अनुसार जन्म लेते ही वह अपने माता-पिता और प्रजा के प्रिय राजा-रानी को खा गया था। बहादुर को बेबस होते देख एक भेड़ को उस पर दया आ गई। उसने अपने बच्चों के साथ शावक को पालने का भी निश्चय किया। शावक भेड़ का दूध पीकर धीरे-धीरे बड़ा होने लगा। वह भले ही शेर का बच्चा था पर भेड़ों के बीच रहकर वह भेड़ों के समान ही आचरण करता था। किसी शेर, चीते आदि को देखकर भेड़ों के साथ-साथ वह भी डरकर भाग जाता था। जंगल के सभी जानवर उसके इस आचरण को देखकर उसका मजाक बनाते थे।
एक दिन जंगल में फिर कुछ शिकारी आ धमके। शिकारियों को देखते ही जंगल में भगदड़ मच गई। अन्य जानवरों के साथ शावक भी डर कर भागने लगा। एक तालाब के किनारे पहुंचकर जैसे ही वह पानी पीने लगा, अचानक उसकी निगाह अपने प्रतिबिंब पर पड़ी। वह आश्चर्यचकित रह गया। उस दिन पहली बार उसने जाना कि वह तो शेर है। उसे इस बात का दुख था कि अभी तक उसने कभी अपनी परछांई की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया था। (Jungle Stories | Stories)
आज पहली बार उसे अपने अन्दर शक्ति का संचार होता प्रतीत हो रहा था। साथ ही उसे आत्मग्लानि भी हो रही थी कि शेर होते हुए वह भेड़ों जैसा आचरण करता रहा।
इसका उसे एक ही प्रायश्चित नजर आया। उसने आव देखा न ताव, पूरी शक्ति से शिकारियों पर आक्रमण कर दिया। शिकारी इस आक्रमण के लिए तैयार न थे। बहादुर शेर को सामने देख उनके तो होश ही उड़ गये। देखते ही देखते शेर ने शिकारियों के चीथड़े उड़ा दिये। आज उन शिकारियों को मारकर मानों उसने अपने माता-पिता के खून का बदला ले लिया था।
जंगल के सभी जानवरों ने बहादुर शेर को सिर-आंखों पर बैठाया। एक स्वर में सभी ने उसे अपना राजा घोषित कर दिया। बहादुर शेर इस समय सोच रहा था कि कोई भी प्राणी जब तक अपनी शक्ति और क्षमता को नहीं पहचानता तब तक कायरों का सा आचरण करता रहता है। और जिस दिन वह अपनी शक्ति को पहचान लेता है उस दिन उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं रह जाता। (Jungle Stories | Stories)
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