बाल कहानी : पहली अप्रैल
आज पहली अप्रैल का दिन था। अलका पिछले कई दिनों से लगातार यही सोच रही थी कि इस बार अप्रैल की पहली तारीख को किसे मूर्ख बनाया जाये? सहेलियों को तो वह मूर्ख बनाती ही रही है। पर उन्हें मूर्ख बनाने में उसे कभी कोई विशेष मजा नहीं आया। आस-पड़ोस में भी किसी को बेवकूफ बनाया नहीं जा सकता, उसके घर की हर बात ही तो पड़ोसन जानती है। फिर क्या किया जा सकता है? किसी सरल स्वभाव वाले को छलने में ही आनंद आता है। सुबह वह नई ताजगी लिए हुए बिस्तर से उठी। नाश्ता करते-करते उसे बढ़िया आइडिया सूझ आया था।