बाल कहानी : भला कर भला हो
web Stories एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए, घर घर जा कर सामान बेचा करता था। एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे भूख भी लग रही थी.
web Stories एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए, घर घर जा कर सामान बेचा करता था। एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे भूख भी लग रही थी.
एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए, घर घर जा कर सामान बेचा करता था। एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि, अब वह जिस भी द्वार पर जायेगा
सोनजूही छोटा सा गांव था। धरमचन्द वहाँ का मुखिया था । उसके पास काफी खेती बाड़ी थी । फसल भी खूब होती। किसी चीज की कमी उसे नहीं थी। जाड़े का मौसम था । धरमचन्द के पास एक कोट था बहुत पुराना ।
विख्यात दार्शनिक एरिक हाॅफर बचपन से ही काफी मेहनती और स्वाभिमानी थे। वह कठिन से कठिन काम करने से भी नहीं घबराते थे। उनका मानना था कि मेहनत से ही असली पहचान बनती है।
एक बार एक इंसान घने जंगल में भागते-भागते भटक गया। अंधेरा छा चुका था, और उसे रास्ता नहीं सूझ रहा था। अचानक वह एक कुएं में गिरने लगा, लेकिन कुएं के ऊपर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई।
एक समय की बात है। एक गांव में कुछ मजदूर पत्थर के खंभों को तराशने का काम कर रहे थे। उसी समय, एक संत वहां से गुजरे। उन्होंने एक मजदूर से पूछा, "भाई, यहां क्या बन रहा है?
बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य था जहां राजा रामभद्र राज करते थे। उनकी दयालुता और न्यायप्रियता के कारण प्रजा उन्हें भगवान की तरह पूजती थी। उनका नाम पूरे राज्य में सद्भावना और उदारता का प्रतीक बन गया था।