भोली का उपहार एक बाल कहानी
एक सुबह प्रदीप उठा और टहलने के लिए निकल पड़ा। वह जैसे ही गेट के बाहर निकला दो छोटे छोटे कुत्ते के पिल्ले उसके पास आ गये। दो दिन पहले ही गली की कुतियां (जिसे हमने भोली का नाम दिया हैं) के चार बच्चे पैदा हुए थे।
एक सुबह प्रदीप उठा और टहलने के लिए निकल पड़ा। वह जैसे ही गेट के बाहर निकला दो छोटे छोटे कुत्ते के पिल्ले उसके पास आ गये। दो दिन पहले ही गली की कुतियां (जिसे हमने भोली का नाम दिया हैं) के चार बच्चे पैदा हुए थे।
ह कहानी सूरज नाम के एक लड़के की है जो एक छोटे से गाँव में रहता था। सूरज एक बहुत ही खुशमिजाज़ बच्चा था जिसे हँसना-हँसाना और मज़ाक करना बहुत पसंद था। वह अपने दोस्तों के साथ खेलने में बहुत समय बिताता था।
राहुल और राशिद एक ही कक्षा में साथ साथ पढ़ते थे। वे दोनों ही स्कूल की हाॅकी टीम के सदस्य भी थे। दोनों ही बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। पूरे जिले में वे दोनो शार्प शूर्टस के नाम से मशहूर थे।
गोपू और धनिक के बीच कोई मित्रता नहीं थी और न ही उनके जीवन में कोई समानता। गोपू एक गरीब मजदूर था, जो दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत करता। दूसरी ओर, धनिक एक अमीर व्यापारी था
दरवाजे पर दस्तक हुई। गौरी दरवाजा खोलने में हिचकिचा रही थी क्योंकि वो घर में अकेली थी। उसका पति शंकर घर से कहीं बाहर गया था और तीन दिन बाद वापिस आने वाला था।
कीर्ति, नेहा, सोनू, प्रिया और उनकी क्लास के बाकी साथी आज बहुत खुश थे, गर्मियों की छुट्टियों के बाद अभी स्कूल को खुले कुछ ही दिन हुए थे कि उन्हें पिकनिक पर ले जाया जा रहा था।
एक बार राजा मान सिंह ने राज्य में अंधे लोगों को भीख देने का फैसला किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई अंधा व्यक्ति भीख लेने से छूट न जाए।