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आनंद का त्योहार होली
बाल कहानी (Lotpot Hindi Kids Stories) आनंद का त्योहार होली: चिंटू अपने पापा के साथ काॅलोनी में होली खेलने निकल रहा था तभी मम्मी और पापा में बहस शुरू हो गई।
मम्मी गुस्से से बोली- पहले गंवारों की तरह एक-दूसरे को बेदर्दी से रंग लगाओ, फिर घंटों शरीर पर साबुन लगाकर उसे साफ करना... यह कौन-सी बुद्धिमानी है?
आप जाइए और हुड़दंगबाजी कीजिए, पर मैं चिंटू को नहीं जाने दूंगी...!’ पापा उन्हें समझाने का प्रयत्न कर थे किंतु मम्मी अपनी उसी बात पर जोर दिए जा रही थी। चिंटू हाथ में पिचकारी पकड़े, उदास गैलरी में खड़ा सोच रहा था।
काॅलोनी के सारे लोग एक-दूसरे पर रंग डाल रहे हैं, गले मिल रहे हैं और मम्मी इसे गंवारों का त्योहार मान रही है।
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चिंटू आखिर रो पड़ा
मम्मी को रंग नहीं खेलना हो तो वे न खेलें, पर मुझे तो पापा के साथ जाने दें...! काॅलोनी के कुछ लड़के-लड़कियाँ ढोल की धुन पर नाचते-गाते आ रहे थे।
उस शोरगुल से मम्मी-पापा की बहस रुक गई। कुछ देर बाद उन दोनों का ध्यान गैलरी की ओर गया। जमीन पर चिंटू की पिचकारी पड़ी थी पर वह वहां नहीं था।
मम्मी गैलरी की ओर दौड़ पड़ी। उनके पीछे-पीछे पापा भी वहाँ आ गए। उन्होंने देखा कि सड़क पर चिंटू मस्ती से झूम रहा है... ढोल की थाप पर नाच रहा है... लड़के-लड़कियाँ उसके चारों ओर गोला बनाकर खड़े हैं और तालियाँ बजा रहे हैं।
वह दृश्य देखकर उनका मन आनंदित हो उठा था। दोनों एक पल के लिए भूल गए कि पिछले पन्द्रह मिनट से उनके बीच बहस छिड़ी हुई थी!
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नाचते-नाचते चिंटू का ध्यान गैलरी की ओर चला गया। वहाँ मम्मी को खड़ा देखकर उसके थिरकते हुए हाथ-पाँव एकाएक रुक गए। वह घर की ओर दौड़ पड़ा।
चिंटू घर में प्रवेश करते ही आश्चर्यचकित रह गया। मम्मी के हाथ में उसकी पिचकारी थी। वे पापा को रंग रही थी और पापा उनके हाथ से पिचकारी छीनने का प्रयास कर रहे थे। पिचकारी जमीन पर गिर पड़ी।
चिंटू ने उसे उठाया और मम्मी पर रंग डालने लगा।
आखिरकार बाद में
पिचकारी का रंग खत्म होते ही पापा बोले- बेटा! तुझे धन्यवाद... जो काम मैं वर्षों से नहीं कर पाया, वह आज तुमने कर दिखाया...। तुमने मम्मी को सिखा दिया कि होली कितने आनंद का त्योहार है...!’ यह सुनकर मम्मी मुस्कुरा रही थी और चिंटू का चेहरा चमक उठा था।
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