बाल कहानी : हार जीत बाल कहानी : हार जीत- चाँदनी रात थी। गधे राम को न जाने क्या सूझी, गाने लगे मल्हार। शेर साहब ने सोते-सोते आँखें खोल दी। क्रोध से उनका सारा शरीर काँप उठा। पारा जब सीमा से बाहर हो गया तो लगा दी जोर से दहाड़। सारा जंगल काँप गया, सारी प्रजा सोते-सोते उठ खड़ी हुई। सूचना एवं प्रसारण मंत्री काँव-काँव कौआ, परिवार कल्याण मंत्री श्री खरगोश लाल व निजी सचिव चूहे चुहे दास अविलम्ब हाजिर हुए। चारों ने एक साथ प्रश्न किया, ‘‘क्या हुआ वनराज? By Lotpot 20 Jan 2020 | Updated On 20 Jan 2020 11:31 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी : हार जीत- चाँदनी रात थी। गधे राम को न जाने क्या सूझी, गाने लगे मल्हार। शेर साहब ने सोते-सोते आँखें खोल दी। क्रोध से उनका सारा शरीर काँप उठा। पारा जब सीमा से बाहर हो गया तो लगा दी जोर से दहाड़। सारा जंगल काँप गया, सारी प्रजा सोते-सोते उठ खड़ी हुई। सूचना एवं प्रसारण मंत्री काँव-काँव कौआ, परिवार कल्याण मंत्री श्री खरगोश लाल व निजी सचिव चूहे चुहे दास अविलम्ब हाजिर हुए। चारों ने एक साथ प्रश्न किया, ‘‘क्या हुआ वनराज? ‘‘इतनी रात गए कौन मूर्ख चिल्ला रहा है?’’ ‘‘ये तो गधे राम हैं सर!’’ (गधे राम जी अभी भी राग अलापे जा रहे थे) गधे राम को पेश किया जाये! ‘‘जी अच्छा !’’ कहकर चारों चल दिए। तब गधे राम हाज़िर हुए कुछ ही पल में गधे राम, वनराज की अदालत में हाजिर थे। कानून मंत्री तोता राम बहस पर बहस किए जा रहे थे। गधे राम के वकील थे बाबू बन्दर नाथ। गधे राम का केस कमजोर था, बाबू बन्दर नाथ के अथक परिश्रम के बाद भी गधे राम मुकद्दमा हार गए। सभी को फैसले का इंतजार था। एक लम्बी चुप्पी के बाद वनराज ने अपना फैसला सुनाया, ‘‘गधे राम को इस अदालत में मौजूद अपनी पसंद के किसी भी एक से कुश्ती लड़नी होगी। हारने वाले को सजाये मौत व जीतने वाले की मँुह माँगी मुराद पूरी होगी।’’ गधे राम यह सुनकर सकपका गए। वहाँ पर सभी उनसे चालाक थे, शारीरिक ताकत में भले ही एक आध कम हो पर दिमागी ताकत में उनसे दुगने-तिगने थे। सब पर नजर दौड़ा लेने के बाद उन्होंने बाबू बन्दर नाथ की ओर एक बार फिर निहारा। बाबू बन्दर नाथ उनकी हालत भाँप गए, उन्होंने गधे राम को अपना नाम सुझा दिया। वनराज दोबारा पूछने ही वाले थे कि तभी गधे राम ने नाम का ऐलान कर दिया। कुश्ती आरम्भ हुई। रेफरी भालू राम बीच-बीच में सीटी बजाते जा रहे थे। कुछ पल ही धींगा मुश्ती वह धर-पटक के बाद बाबू बन्दर नाथ विजयी हो गए। गधे राम डर के मारे लेटे ही रहे। तभी वनराज दहाड़े ‘‘गधे राम को सजाये मौत दी जाती है.....। फांसी का इंतजाम इतना सुनकर गधे राम की फांसी का इंतजाम होने लगा। जंगल के सभी नागरिक साँस बाँधे उस ओर देखने लगे। एक पेड़ पर फाँसी का फंदा लटका कर गधे राम की गर्दन उसमें डाल दी गयी। जल्लाद सुअर वनराज के आदेश से रस्सा खींचने ही वाला था कि बाबू बन्दर नाथ चिल्लाये, ‘‘ठहरिये वनराज! इस कुश्ती में विजयी होने के नाते व आपके कथानुसार मुझे भी आपसे कुछ माँगने का हक है।’’ ‘‘नहीं गधे राम की फाँसी के बाद आपको मौका दिया जायेगा।’’ ‘‘नहीं वनराज! मैं अभी ही अपना हक चाहता हूँ।’’ ‘‘आप हमारे आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। मि.वकील। मै आपके आदेश का उल्लंघन नहीं बल्कि आप स्वयं अपने आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं वनराज !’’ सारी प्रजा ने बाबू बन्दर नाथ का समर्थन किया। वनराज ने स्थिति का जायजा लिया अपनी कमजोर स्थिति भाँप कर बोले, ‘‘कैसे ?’’ तब आदेश में क्या कहा गया ‘‘आपने अपने आदेश में यह जरूर कहा था कि हारने वाले को सजाए मौत व जीतने वाले की मुँह माँगी मुराद पूरी की जायेगी। पर इसका क्या क्रम होगा मेरा मतलब है कौन सी चीज पहले होगी और कौन सी बाद में इसका जिक्र आपने अपने आदेश में नहीं किया था। इसलिए इसके नाते मुझे हक है कि मैं कभी व किसी समय भी अपनी मुंह माँगी मुराद पूरी करवा सकता हँ’’ वनराज निरूत्तर होकर कानून मंत्री तोताराम को देखने लगे। तोताराम ने शर्म से अपनी गर्दन झुका ली। ‘‘बन्दर बाबू नाथ जी आपको क्या चाहिए?’’ वनराज धीरे से बोले।गधे राम को छोड़ दिया जाए। उपस्थित दर्शकों ने बाबू बन्दर नाथ की भूरि भूरि प्रशंसा की। गधे राम तो उनके पैरों पर ही लेट गए और खुशी के मारे फिर से अलापने लगे राग मल्हार। और पढ़ें : बाल कहानी : आदमी का शिकार Facebook Page #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी You May Also like Read the Next Article