बाल कहानी: भीम की परीक्षा बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : भीम की परीक्षा: भीम सेन अपने युग का सबसे बलवान योद्धा तो था ही पर उसे अपने अत्यन्त बलशाली होने का बहुत अभिमान हो गया था। वह जहां भी बैठता अपने बल तथा पराक्रम का बखान करने लगता। यही नहीं वह अपने अत्यन्त बलशाली होने का प्रदर्शन करने के लिए अनेक निरीह जंगली जानवरों को मार देता। पेड़ पौधों को उखाड़ कर फेंक देता। By Lotpot 09 May 2020 | Updated On 09 May 2020 11:30 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : भीम की परीक्षा: भीम सेन अपने युग का सबसे बलवान योद्धा तो था ही पर उसे अपने अत्यन्त बलशाली होने का बहुत अभिमान हो गया था। वह जहां भी बैठता अपने बल तथा पराक्रम का बखान करने लगता। यही नहीं वह अपने अत्यन्त बलशाली होने का प्रदर्शन करने के लिए अनेक निरीह जंगली जानवरों को मार देता। पेड़ पौधों को उखाड़ कर फेंक देता। उस का बल तथा पराक्रम देख कर कोई भी उसके सामने आने का साहस तक नहीं करता था। यही नहीं भीमसेन जहां भी बैठता अपने बलशाली होने की प्रशंसा करता नहीं थकता। कुछ लोग उसके इस आत्मशक्ति स्वभाव पर हंसने भी लगे थे। भीम एक दिन जंगली पशुओं को मारता, पेड़ पौधों को उखाड़ता हुआ चला जा रहा था। उसे रास्ते में एक पुराना खंडर राम मंदिर दिखाई पड़ा। वह उसे देखने के लिए अन्दर चला गया। मंदिर बड़ा विशाल था। वह मंदिर के विशाल बरामदे कक्ष तथा भूमिगत कक्ष देखता हुआ घूमने लगा। वह पुरानी निर्माण कला को देखता हुआ अपने ध्यान में खोया हुआ चल रहा था कि अचानक छत से एक छिपकली उस पर आ गिरी और वह चैंक कर चीख पड़ा। और पढ़ें : बाल कहानी : आलस का फल पर जैसे ही उसे पता चला कि वह एक छोटा सा जीव, छिपकली थी जिसके गिर जाने से वह न केवल चैंक ही गया बल्कि चीख भी पड़ा तो उसकी अपने में ही हंसी छूट गई और वह कुछ लज्जित भी हो गया पर उसकी यह लज्जा और हंसी अधिक देर तक बनी नहीं रही। वह मंदिर के मुख्य द्वार पर आकर बैठ गया और भगवान की मूर्ति के सामने बैठ कर प्रणाम करके फिर अपनी वीरता तथा बल की प्रशंसा करने लगा। वह अपनी प्रशंसा का बखान करके शायद भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास कर ही रहा था कि अचानक उसका ध्यान एक बूढे की ओर गया। जो ब्राह्मण के रूप में एक कोने में बैठ कर मन ही मन राम नाम का जाप कर रहा था। उसे देखकर भीम बोल बोल कर अपने बल का बखान करने लगा। भीम को अकेले में बार बार अपनी खुद ही प्रशंसा करते देख वह बूढा-ब्राह्मण हंस पड़ा। वह उठा और लाठी टेकता हआ वहां से आ गया। और पढ़ें : बाल कहानी : धूर्त ओझा को सबक भीम उस ब्राह्मण के सामने अपने बल का और भी बखान करना चाहता था पर उसकी यह योजना धरी की धरी रह गई। वह भी कुछ देर बैठने के बाद वहां से उठा और चलने लगा। उस जंगल में मंदिर के बाहर एक तंग सा रास्ता था जहां से एक समय पर एक ही व्यक्ति आ जा सकता था। भीम जैसे ही अपनी गदा उठाए वहां पर पहुँचा तो देख कर हैरान हो गया। वहां एक छोटा सा अड़ियल बन्दर था। भीम तो चाहता था कि यदि वह बूढा ब्राह्मण उसे मिल जाए तो वह फिर उसे बिठा कर अपने बल की प्रशंसा के पुल बाँध सके पर वह इस बात पर भी हैरान था कि इतनी जल्दी वह बूढ़ा ब्राहमण वहां से आकर कहां चला गया? बन्दर को रास्ते में बैठा देख कर भीम खड़ा होकर उस बन्दर से कहने लगा। अरे बन्दर! रास्ते से हट के बैठ, जानता नहीं कौन आ रहा हैं। और पढ़े : बाल कहानी: प्रजा का सुख-दुख मैं भीम हूँ। भीम! मेरे समान आज पृथ्वी पर कोई दूसरा बलवान नहीं हैं। कहीं जरा सा पांव भी छू गया तो परलोक पहुँच जाओगे। जल्दी एक तरफ हो जा। भीम के शब्द सुनकर वह अड़ियल सा बन्दर कहने लगा। अरे भीम मैं बीमार हूँ मुझसे हिला नहीं जाता। तुम ही मुझे उठा कर एक ओर कर दो और रास्ता बना कर चले जाओ। यह सुनकर भीम अपनी दो उंगलियों से उस बन्दर को पूँछ से पकड़ कर हटाने लगा पर अपनी दो उंगलियों से वह उस बन्दर की पूँछ भी उठा नहीं सका। उसके बाद भीम ने अपनी तीन उंगलियां लगाकर बन्दर को उठाने का प्रयास किया पर अब भी वह उसे उठा नहीं सका। भीम हैरान हो रहा था। इस छोटे से बन्दर को उठाने के लिए उसकी एक ही उंगली काफी होनी चाहिए। पर यह क्या वह तीन उंगलियों से भी उसे हिला नहीं सका। उसके बाद भीम ने अपना पूरा एक हाथ उसे हटाने के लिए लगा दिया। पर अब भी वह बन्दर नहीं हिल पाया। भीम हैरान था कि मैं सबसे अधिक बलवान होते हुए भी इस छोटे से बन्दर को उठा नहीं पा रहा। मुझ में बल नहीं रहा या यह बन्दर न होकर कोई और आत्मा है। खैर उसने अब दोनों हाथ लगाकर पूरा बल लगा दिया पर बन्दर महाराज फिर भी हिल न सके। अब तो भीम की दशा देखने वाली थी। अब उसमें अपने बल की प्रशंसा करने का साहस नहीं रहा था। वह सोच ही रहा था कि वह मारे लज्जा के आत्महत्या ही क्यों न कर ले। एक महाबली भीम कहलाने वाला एक छोटे से बन्दर को भी उठा न सके तो उसे महाबली कौन कहेगा। वह कौरवों के साथ युद्ध कैसे कर पाएगा। आदि आदि अनेक प्रश्न उसके मन में उठ रहे थे। सोचते सोचते उसे पसीना सा आने लगा। और अब उसने आत्महत्या करने का निश्चय कर ही लिया। इतने में वह बन्दर अपने आप ही उठ खड़ा हुआ और हंसने लगा। भीम! तुम इतने बलवान होते हुए भी एक छोटे से बन्दर को उठा नहीं सके। उस बन्दर के इतना कहने की देर थी कि भीम ने तुरन्त पहचान लिया। कि यह बन्दर तो स्वयं उसके जेष्ठ भ्राता पवन पुत्र हनुमान है। उन्हें भला वह कैसे उठा सकता था। उसने हाथ जोड़ कर हनुमान को प्रणाम किया। पहचान लेने पर गले मिले और खूब हंसे। उसके बाद हनुमान ने उसे अपना पूरा रूप दिखाते हुए कहा। प्रिय अनुज भीम। तुम्हें आत्महत्या करने की आवश्यकता नहीं। यह तो मैंने तुम्हारा अभिमान नष्ट करने के लिए ही नाटक किया था। भीम ने हुनमान जी के पांव छुए और फिर कभी अपने बल का बखान नहीं किया। Like our Facebook Page : Lotpot #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article