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बाल कहानी : राजू की गेंद (Lotpot Kids Story): गजराज हाथी अपने इकलौते बेटे राजू को बहुत प्यार करता था। जब भी वह शहर जाता राजू के लिए कुछ न कुछ जरूर लाता। कभी चाॅबी वाली मोटर तो कभी बोलने वाली गुड़िया। राजू अपनी छोटी सी संूड में खिलौने उठाये पूरे चंपक वन में घूमता रहता।
एक बार गजराज उसके लिए एक बड़ी सी गेंद लाये। गेंद से खेलने में राजू को बड़ा मजा आता। चंपक वन के अन्य जानवर भी राजू के साथ गेंद खेलने आ जाते।
एक दिन खेलते खेलते राजू ने ज्यों ही सूंड घुमाकर गेंद फेंकी तो वह ननकू सियार को जाकर लगी। बेचारा ननकू, बिलबिला कर ‘हुंआ हुंआ’ करता एक ओर को भागा।
ननकू को इस तरह डर कर भागते देखकर राजू को बड़ा मजा आया। वह सूंड में गेंद उठाकर फिर से ननकू को मारने दौड़ा। बेचारा ननकू डर के मारे एक झाड़ी में जा छिपा। तब राजू गेंद उठाए इधर उधर घूमने लगा।
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एक पेड़ के नीचे लोमड़ी मौसी आराम से सो रही थी। उसे देखते ही राजू ने झट निशाना बाँधकर गंेद उसके सिर पर दे मारी। मौसी को तो दिन में ही तारे नजर आ गये।
जब लोमड़ी मौसी गुस्से में बड़बड़ाने लगी तो राजू और भी जोर से खिलखिला कर हँसने लगा। मौसी चिढ़ कर गजराज के पास उसकी शिकायत करने पहुँची।
पर गजराज ने अपने लाडले बेटे राजू को डाटने के बजाये मौसी से कहा। अरे मौसी! तुम तो बच्चों के खेल का भी बुरा मान जाती हो।
राजू पास ही खड़ा सब सुन रहा था। गजराज की बात सुनकर उसकी हिम्मत और भी बढ़ गई। अब वह जब भी मौका मिलता, किसी न किसी जानवर कों गेंद मार देता। बेचारे जानवर गजराज से शिकायत करते तो वह हँस कर टाल देता।
बंदर मामा ने राजू को बहुत समझाया, पर राजू न माना। सभी परेशान थे कि आखिर किया क्या जाए। किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। तभी चीकू खरगोश ने कहा। मैं राजू को ऐसा सबक सिखाऊँगा कि वह सब को गेंद मारना बिल्कुल ही भूल जायेगा। नन्हें चीकू की बात सुनकर सभी जानवर परेशानी में भी हँसने लगे। चीकू ने उनके हँसने का बुरा नहीं माना।
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चीकू जब राजू के पास पहुँचा तो राजू आराम से बैठा गन्ना चूस रहा था। चीकू ने उसे देखते ही कहा। राजू आज एक बहुत बुरी बात हो गई हैं।
क्या बात है? जल्दी बताओ। राजू ने कहा।
बात यह है कि चंपक वन में एक चिड़िया ने तुम्हारा अपमान किया है। चीकू ने बताया।
कौन सी चिड़िया है? मैं तो उसे जानता भी नहीं हूँ।
अरे, वह चंपक वन में नई नई आई है। वह हर समय अपने बंद घोंसले में छिपकर रहती है। उसका स्वर बड़ा मीठा है। आज मैंने उससे कहा कि चलो, चल कर राजू को अपना गाना सुनाओ। तो वह अकड़ कर बोली कि वह किसी राजू वाजू को नहीं जानती।
चलो, मैं अभी चलकर उसकी सारी अकड़ निकाल देता हूँ। राजू ने घमंड से कहा।
तब आगे चीकू और उसके पीछे पीछे राजू चल पड़ा।
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नदी के किनारे एक पेड़ के पास पहुँचकर चीकू ने राजू को पेड़ की डाल पर एक गोल सा घोंसला दिखा कर कहा। वह इसी में छिपी बैठी है।
इतना कहकर चीकू तो झाड़ी में जा छिपा और राजू ने गुस्से में आकर घोंसले में गेंद दे मारी। वास्तव में, जिसे वह घोंसला समझ बैठा था। वह मधु मक्खियों का छत्ता था। छत्ता टूटते ही सैंकड़ों मधु मक्खियाँ निकल कर राजू पर टूट पड़ी।
राजू दर्द से बिलबिलाने लगा। पर बड़ी देर बाद ही मधु मक्खियों ने उसका पीछा छोड़ा। उधर उसकी गेंद भी छत्ते को तोड़ने के बाद नदी में जा गिरी और बहती हुई न जाने कहाँ चली गई। तब राजू रोता-बिलखता हुआ घर चला आया। उसे अपने किये की सजा मिल गई थी। फिर कभी उसने गंेद नहीं मांगी गेंद का नाम लेते ही उसे मधुमक्खियाँ याद आ जाती और वो कानो को हाथ लगा लेता।
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