बाल कहानी : सपने देखने की आदत

वह बहुत सुन्दर चाँदनी रात थी। हल्के-हल्के बादल आसमान पर छाए हुए थे। रानी चुहिया अपने घर की खिड़की से चाँद को देख रही थी। उसने चाँद को देखकर सोचा, इस चाँद पर सवारी करने में कितना मजा आएगा, वहाँ तो कोई दुश्मन भी नहीं होगा।

By Lotpot
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बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : सपने देखने की आदत- वह बहुत सुन्दर चाँदनी रात थी। हल्के-हल्के बादल आसमान पर छाए हुए थे। रानी चुहिया अपने घर की खिड़की से चाँद को देख रही थी। उसने चाँद को देखकर सोचा, इस चाँद पर सवारी करने में कितना मजा आएगा, वहाँ तो कोई दुश्मन भी नहीं होगा।

रानी, खिड़की के पास से हट जाओ। माँ की आवाज सुनाई दी। क्या तुम्हें पता नहीं है कि आज रोशनी तेज है और तुम्हे काली बिल्ली देख सकती है, इसलिए वहाँ से हट जाओ।

पर माँ, क्या हम इस चाँदनी रात में घूमने जाएं। रानी ने माँ से पूछा।

अरे, कभी तुम्हारा मन नहीं भरता, तुम हमेशा कोई न कोई ऐसा काम करने की बात करती हो कि कभी भी तुम मुश्किल में पड़ सकती हो। ओफ्फो! रानी अपने कान बंद करते हुए बोली, मुझे आपका भाषण नहीं सुनना।

नहीं रानी, यह भाषण नहीं है, यह तो तुम्हारे भले के लिए ही है। माँ ने उत्तर दिया।

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माँ, मैं निकी के साथ बाहर खेलने चली जाऊँ। मै घर बैठे-बैठे बोर हो गई हूँ। रानी ने माँ से फिर से पूछा।

ओफ, अच्छा जाओ निकी तुम भी रानी के साथ जाओ और जल्दी वापस आना और रानी को अकेला मत छोड़ना। माँ ने निकी की ओर देखते हुए कहा।

रानी खुशी से उछली और बोली, आप बहुत अच्छी हैं, माँ।

फिर निकी और रानी खिड़की से बाहर निकले और आगे चल पड़े। वाह, कितनी सुन्दर रात है, क्यों निकी? रानी ने पूछा।

हाँ, तुम ठीक कह रही हो रानी, लेकिन जरा ध्यान रखो कि हम ज्यादा दूर न निकल जाएं। निकी ने रानी से कहा।

तभी पास ही में किसी के चलने की आवाज सुनाई दी। दोनों झाड़ियों में दुबक गई। रानी ने निकी से पूछा कि यह कौन है तो निकी बोला, यह काला बिच्छू है। चलो, यहाँ से चलते है नहीं तो अगर इसकी नजर हम पर पड़ गई तो यह हमें जीवित नहीं छोड़ेगा।

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अभी वे बातें ही कर रहे थे कि उन्हें ऊपर अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। रानी ने फिर निकी की तरफ देखा तो निकी ने बताया कि ये चमगादड़ है जो रात को ही खाने की तलाश में बाहर निकलते हैं।

रानी ने पूछा, ये हमारे दोस्त हैं या दुश्मन।

अरे, ये भी हमारे दुश्मन ही हैं। निकी ने उत्तर दिया तो रानी बोली, काश ये हमारे दोस्त होते तो मैं इनके ऊपर बैठकर आसमान की सैर करती। तुम तो हमेशा सपने ही देखा करती हो। निकी कुछ झुंझलाते हुए बोला। तभी जोरदार धमाके के साथ एक तेज रोशनी से दोनों की आँखें चैधियाँ गई। यह देखने के लिए क्या हो रहा है दोनों झाड़ियों से बाहर निकले। उन्होंने देखा कि एक चमगादड़ बिजली के तारों से टकरा कर जल गया है। रानी मन ही मन बोली, अच्छा हुआ, जो मैं इस चमगादड़ पर नहीं सवार थी। वर्ना मैं भी जल कर मर जाती। हमेशा ऐसी तारों से दूर रहना, वर्ना तुम्हारा भी यही हाल होगा। निकी ने रानी से कहा।

अब निकी को भूख लगने लगी थी। उसने रानी से कहा, तुम यहाँ इस गमले के पास छुपकर बैठो, मैं अभी खाने के लिए कुछ ढूँढ कर लाता हूँ।

नहीं, नहीं, मुझे अकेला छोड़ कर मत जाओ। रानी ने कहते हुए कहा, मुझे यहाँ बहुत डर लग रहा है। यहाँ अजीब-अजीब से जानवर हैं।

अरे घबराओ मत। कुछ नहीं होगा। मैं बस अभी आया। इतना कहते ही निकी अँधेरे में गायब हो गया।

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अब रानी अकेली रह गई तो वह और डरने लगी। वह गमले के आस पास छुपने की जगह ढूँढने लगी और सोचने लगी कि अगर निकी वापस नहीं आया तो मैं घर कैसे जाऊँगी और यह सोचकर वह रोने लगी।

तभी पास के पेड़ पर कुछ हलचल हुई तो वह घबरा गई। फिर पेड़ पर बैठा उल्लू बोला, कौन है, जो नीचे छुप कर बैठा है। रानी ने यह सुना तो भागने की कोशिश की लेकिन जैसे उसके पैर जमीन से चिपक गए थे। वह वहीं दुबक गई। उल्लू ने उसे देख लिया था, वह उसकी तरफ दौड़ने लगा।

तभी रानी को निकी की आवाज सुनाई दी, रानी, रानी, तुम कहाँ हो? रानी ने कहा। मैं यहाँ हूँ निकी। देखो वह अजीब सा जानवर कौन सा है? यह उल्लू है, अब जान बचाने के लिए भागो। वह हमें ही पकड़ने आ रहा है। इतना कहकर वह भागने लगा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उल्लू उनके पास आ चुका था। अभी वह उन दोनों को पकड़ने ही वाला था कि सामने से गेट खुला और एक व्यक्ति एक कुत्ते के साथ अन्दर आया। कुत्ते ने उल्लू को देखा तो भौंकता हुआ उस पर झपटा तो उल्लू जान बचाने के लिए वापस पेड़ की तरफ उड़ गया।

इसी बीच निकी और रानी को मौका मिला गया और वे दोनों भागने लगे। आज तो हम बाल-बाल बच गए। निकी ने घर पहुँचकर हाँफते हुए कहा।

माँ ने निकी और रानी को घर के अन्दर घुसते देखा तो राहत की साँस ली और पूछा? बहुत बुरा माँ, आज की रात मेरे लिए एक सबक है। रानी ने राहत की साँस लेते हुए कहा। माँ, मैं अब कभी आपकी बात नहीं टालूंगी और घर के कामों में आपका हाथ बटाऊँँगी।

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