बाल कहानी : झूठ का फल कमल पाँचवीं कक्षा का छात्र था वह अपनी कक्षा के सभी छात्रों से वह उम्र में काफी बड़ा था कि वह हर कक्षा में कई वर्ष लगाता था इसका कारण यह था उम्र ज्यादा होने के कारण वह अपनी कक्षा के छात्रों से दोस्ती भी न कर पाता था। By Lotpot 09 May 2020 | Updated On 09 May 2020 10:27 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : झूठ का फल: कमल पाँचवीं कक्षा का छात्र था वह अपनी कक्षा के सभी छात्रों से वह उम्र में काफी बड़ा था कि वह हर कक्षा में कई वर्ष लगाता था इसका कारण यह था उम्र ज्यादा होने के कारण वह अपनी कक्षा के छात्रों से दोस्ती भी न कर पाता था। कमल का कोई दोस्त नहीं बनता क्योंकि कमल को झूठ बोलने की आदत थी। वह पढ़ाई में बहुत निकम्मा था तथा गृह कार्य कभी नहीं करता था। यदा कदा काम करता भी तो अधूरा। विद्यालय के सभी अध्यापक कमल से नाराज थे। वह सभी विषयों में पीछे था। अब छमाही परीक्षा निकट थी तो सभी विषयों की पढ़ाई तेजी पर थी। और पढ़ें : बाल कहानी : धूर्त ओझा को सबक कमल अपनी आदत के अनुसार अभी भी दिन भर आवारा लड़कों के साथ कंचे खेला करता माँ भी उससे परेशान थी। वह विद्यालय से घर आते ही बस्ता एक ओर फेंकता जल्दी से खाना खा कर गली में खेलने चला जाता। माता जी व पिता जी जब भी उससे गृहकार्य के विषय में पूछते तो वह कह देता अब हमें गृह कार्य नहीं मिलता। छमाही परीक्षा के लिए एक सप्ताह रह गया था। गणित की कक्षा थी मास्टर जी सभी छात्रों की काॅपी चैक कर रहे थे। कमल की बारी आई तो वह डेस्क के नीचे छुप गया। अगले छात्र ने जाकर अपनी कॅापी चैक करा ली। कमल ने सोचा चलो आज फिर बच गये। मास्टर जी कुछ न बोले। जब सब छात्र काॅपी चैक करा चुके। तो उन्होंने कमल से पूछा, कमल तुमने काॅपी चैक करा ली। और पढ़ें : बाल कहानी : फसलें लहलहा उठीं कमल ने हाँ भरते हुए गर्दन हिलाई सभी छात्र गर्दन झुकाये मंद मंद मुस्करा रहे थे। मास्टर जी ने कहा, जरा तुम अपनी कापी लाना तो मैं फिर से देखना चाहता हूँ। अब कमल ने अपना बस्ता टटोलना शुरू किया तथा काॅपी न मिलने का बहाना करते हुए परेशान होने का नाटक करने लगा। मास्टर जी ने सब समझते हुए भी अनजान बनते हुए कहा कि चलो छोड़ो अब कल सब छात्रों को पूरे माह के गृहकार्य के अंक दिए जायंेगे सब कॅापी लाना। विद्यालय का समय समाप्त हुआ। आज कमल कुछ परेशान था उसने कई माह से गृह कार्य न किया था उसके दिमाग में एक तरकीब सूझी अब वह खुश हो गया। कमल ने सोचा अब उसे तरकीब से सब अध्यापकों को बेवकू्फ बनाकर अंक ले लेगा। और रोज की तरह वह खेलने चला गया। अगले दिन गणित का पीरियड सबसे पहला था। मास्टर जी सब छात्रों की कापी एकत्रित करने लगे। कमल की बारी आई। कमल ने रूआँसा मुँह बनाते हुए कहा, मास्टर जी मेरे पिताजी कई माह से सख्त बीमार हैं घर में माँ और मेरे अलावा कोई नहीं है। वे बिस्तर से उठ भी नहीं सकते उनकी देखभाल मुझे ही करनी पड़ती हे तथा बाजार व घर के काम का बोझा भी मुझ पर ही है मास्टर जी उसी वजह से मैैं कुछ समय भी गृहकार्य के लिए नहीं निकाल पाता। मास्टर जी उसके आँसू देखकर पिघल गए। उन्होंने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। और पढ़ें : बाल कहानी : लालच का नतीजा कमल कोई बात नहीं, तुम अपने पिताजी का ध्यान रखो फिर उनके स्वस्थ होने पर तुम मेहनत कर सब काम कर लेना। तब ही चपरासी ने कक्षा में प्रवेश कर कहा मास्टर साहब किसी छात्र के पिताजी उसका खाना देने आए हैं। मास्टर जी ने कहा उन्हें भेज दो। तभी कक्षा में कमल के पिताजी ने प्रवेश किया उन्होंने मास्टर जी को नमस्कार करते हुए कहा। मैं कमल का पिता हूँ आज यह खाने का डिब्बा भूल आया था। सो मैंने सोचा दफ्तर जाते वक्त मार्ग में इसे खाना देता जाऊँ अन्यथा यह भूखा रहेगा। मास्टर जी स्तब्ध रह गये, क्रोध से उन्होंने कमल को देखा। कमल का सिर शर्म से झुका था वह दौड़कर मास्टर जी के चरणों में जा गिरा व क्षमा माँगने लगा। Like our Facebook Page : Lotpot #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article