बाल कहानी : धूर्त ओझा को सबक वैसे आलोक रहता तो था शहर में। अपने माता-पिता के पास, लेकिन आजकल वह अपने नाना जी के गाँव में गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने आया था। पढ़ने-लिखने में तेज, आलोक साहसिक कार्यो में भी बच्चों का अगुआ था। आलोक भूत-प्रेतों और अंधविश्वासों को जरा भी न मानता था जबकि उसके नाना जी भूत-प्रेतों और अंधविश्वासों को मानने लगे थे। बस आलोक को यही बात खटकती रहती कि उसके नाना जी जो भूत-प्रेतों का कभी न मानते थे अब क्यों भूत-प्रेतों में विश्वास करने लगे थे? By Lotpot 25 Apr 2020 | Updated On 25 Apr 2020 08:40 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी (Hindi Kids Stories) : धूर्त ओझा: वैसे आलोक रहता तो था शहर में। अपने माता-पिता के पास, लेकिन आजकल वह अपने नाना जी के गाँव में गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने आया था। पढ़ने-लिखने में तेज, आलोक साहसिक कार्यो में भी बच्चों का अगुआ था। आलोक भूत-प्रेतों और अंधविश्वासों को जरा भी न मानता था जबकि उसके नाना जी भूत-प्रेतों और अंधविश्वासों को मानने लगे थे। बस आलोक को यही बात खटकती रहती कि उसके नाना जी जो भूत-प्रेतों का कभी न मानते थे अब क्यों भूत-प्रेतों में विश्वास करने लगे थे? गाँव में रहकर आलोक जल्द ही ये सब जान गया। भूत-प्रेत और अंध-विश्वास का ये जाल गाँव में कुछ ही महीनों पहले आया, एक ओझा ने फैला रखा था। यह ओझा शक्ल से ही धूर्त और ढा़ेंगी मालूम पड़ता था। आलोक का ये शक उसी दिन से विश्वास में बदल गया, जिस दिन से आलोक ने उस ओझा पर नजर रखनी शुरू कर दी थी। आलोक ने यह निश्चय कर लिया कि वह इस शैतान ओझा के चंगुल से गाँव वालों को छुड़ा कर ही रहेगा। उसी दिन से आलोक किसी अच्छे अवसर की प्रतीक्षा में लग गया। और पढ़ें : बाल कहानी: प्रजा का सुख-दुख उस रात तो एक ऐसी, अनहोनी घटना घट गई, जिससे आलोक सारे गाँव का प्यारा आँखों का तारा बन गया। उस रात सारा गाँव नींद में डूबा था। आधी रात के समय पड़ोस के रामू काका ने आकर आलोक केे नाना जी को जगाया जिससे उसकी भी नींद टूट गई। रामू काका की आवाज भय के मारे नहीं निकल रही थी। रामू काका कांपती आवाज में आलोक के नाना जी को बता रहे थे, अभी-अभी जब मैं अपने खेत से वापस आ रहा था, तभी मुझे बरगद के पेड़ के नीचे एक भूत दिखाई दिया। वह भूत अब भी वहां खड़ा है। नाना जी को इस बात से सुनते ही विश्वास हो गया कि वहां भूत अवश्य ही होगा क्योंकि नाना जी के दिमाग में भूत और अंध-विश्वास का भय जो घुस गया था। वास्तव में बरगद के पेड़ के नीचे वहीं वर्षो पुराना लंगोटी वाला भूत अंधेरा होने के कारण कुछ सफेद-सफेद दिखलाई पड़ रहा था, जो कभी-कभी हिल उठता था। थोड़ी ही देर में उस रात को सारे गांव में यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। सभी आदमी उस भूत को देखना चाह रहे थे। इतने में गांव का कोई व्यक्ति उस ओझे को वहां बुला लाया। भूत को भगाने के लिये। वह ओझा भी ऐसे अच्छे मौके को हाथ से न जाने देना चाहता था। और पढ़ें : बाल कहानी : उत्तराधिकारी का चुनाव वह जानता था कि मात्र एक इसी मौके से वह महीने भर आराम से बिता सकता है। वहां पहुँचकर बरगद के पेड़ की ओर देखते हुए ओझा बोला। अरे यह तो वही वर्षो पुराना लंगोटी वाला भूत है। लगता है यह किसी बात पर नाराज हो गया है, तभी तो इस समय प्रकट हुआ है, ओझा यह कहकर थोड़ी देर रूका और फिर अपनी कुटिल मुस्कान बिखेरता हुआ बोला। वैसे चिन्ता करने की कोई बात नहीं है। मैं अभी इसे मंत्र-शक्ति के द्वारा शांत करने का प्रयत्न करता हूँ। लेकिन अगर इससे पूरी तरह मुक्ति चाहते हो तो इसके लिये एक यज्ञ करना पड़ेगा। जिसकी सामग्री मैं अभी बताता हूँ। अगर कल तक सामग्री इकट्ठी हो गई तो मैं कल से ही यज्ञ शुरू कर दूँगा। ओझा के इस बात पर भी गांव वासियों ने अपनी सहमति दे दी। इसके बाद ओझा ने नीचे से चुटकी भर धूल उठाई और मंत्र बुद-बुदाकर धूल को भूत की ओर। एक बार... दो बार... तीन बार, लेकिन वह भूत अपनी जगह से टस से मस न हुआ। अब तक लगभग सारा गांव वहां जमा हो गया था। सभी भयभीत होकर ओझा द्वारा की जा रही मंत्र-क्रिया को देख रहे थें तभी आलोक ने एक पत्थर उठाकर भूत की ओर उछाल दिया। कुछ लोगों ने आलोक को ऐसा करते देखकर मना करना चाहा तब तक आलोक पत्थर फेंक चुका था। आलोक का निशाना सधा हुआ था। पत्थर जाकर सीधा भूत के ऊपर गिरा, तो भूत ढेंचू-ढेंचू की आवाज करता हुआ भाग खड़ा हुआ। तभी ओझा बोला। देखों, मेरे मंत्र के प्रभाव से भूत गधे का रूप लेकर भाग रहा है। और पढ़ें : बाल कहानी : लालच का नतीजा इतने में गांव का रघुआ धोबी आगे आकर बोला। अरे। ये तो हमारा टट्टू है। तीन दिनों से पता नहीं कहां चला गया था। मैं तो ढूंढ-ढूंढ के परेशान थे। और रघुआ धोबी उस गधे को हांककर ले गया। इतना सुनते ही ओझा पसीने-पसीने हो गया। उसे अपने पैरों तले की जमीन खिसकती मालूम पड़ी। अब गांव के लोगों को उस धूर्त ओझा का ढोंग समझते देर न लगी। बस फिर क्या था? सभी गांव के लोगों ने मिलकर उस धूर्त ओझा की जमकर पिटाई की। आलोक मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि गांव वाले अब भूत-प्रेतों और अन्ध-विश्वासों को मानना छोड़ देंगे। उधर गांव वालों को भी उस धूर्त ओझा की असलियत मालूम हो चुकी थी जिससे गांव वालों के दिमाग से वर्षो पुराना लंगोटी वाला भूत भाग चुका था। Like our Facebook Page : Lotpot #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article