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छतरी न खोल
Motu Patlu E-Comics छतरी न खोल:- मोटू और पतलू घर की सफाई कर रहे थे इतने में पतलू को एक छतरी मिलती है, पतलू बाहर आता है और मोटू से बोलता है कि मोटू ये देख मुझे क्या मिला, मोटू बोलता है की ऐसा क्या ही मिल गया तुझे जो इतना खुश हो रहा है। (Motu Patlu | Comics) पतलू बोलता है कि ये देख मुझे दादा जी का छाता मिला है देखो अभी तक कितना मजबूत है और साइज में भी कितना बड़ा है। मोटू बोलता है कि इसको वापस रख दे ये तुझसे संभाला नहीं जाएगा। (Motu Patlu | Comics) लेकिन पतलू बोलता है कि नहीं मोटू आज तो मैं इस छाते को लेकर पूरे फुरफुरी नगर की सैर करूँगा। मोटू पतलू को समझाता है कि ऐसा मत कर बहार बहुत तेज़ हवा चल रही है तू मुसीबत में आ जायेगा। इसपर पतलू बोलता है कि तू तो है ही डरपोक मैं तो दादा जी के छाते का आनंद ज़रूर लूँगा, इतना बोलकर पतलू बहार निकल जाता है। बहार हवा तेज़ चल रही थी पतलू बोलता है की कितनी शीतल छाया है इस खानदानी छाते की। (Motu Patlu | Comics)
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