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अकबर बीरबल : असली मां की पहचान – सच्चाई और बुद्धि की जीत
अकबर बीरबल: यह best hindi story hindi अकबर के दरबार में आई दो महिलाओं की है, जो एक बच्चे को अपना बताती हैं। बीरबल की चतुराई से असली मां का पता चलता है। यह motivational story मां के प्यार और सच्चाई की ताकत सिखाती है।
चलिए पढ़ते हैं यह रोचक और सबक देने वाली कहानी...
मुगल काल की बात है, जब दिल्ली का दरबार चमकता था। शहंशाह अकबर रोज सुबह दरबार लगाते, न्याय करते। एक दिन दो महिलाएं रोती-बिलखती आईं। उनके बीच 2-3 साल का नन्हा बच्चा था – गोल-मटोल, बड़ी-बड़ी आंखें। दोनों चिल्ला रही थीं, "महाराज, यह मेरा बच्चा है! दूसरी झूठ बोल रही है!" अकबर ने पूछा, "क्या हुआ?" एक बोली, "हम गांव की हैं, रास्ते में बच्चा खो गया। मैंने पाया, लेकिन यह कहती है अपना!" दूसरी ने कहा, "नहीं, मैंने जन्म दिया!" दरबार में हंगामा। कोई गवाह नहीं, दोनों अजनबी। अकबर सोच में पड़ गए, "न्याय कैसे हो?"
उन्होंने मंत्री से मंत्री पूछा। एक बोला, "बच्चे को बीच से काट दो!" दूसरा, "दोनों को जेल!" लेकिन अकबर नाराज, "नहीं, बच्चा मासूम है!" तभी दरवाजे पर हल्की मुस्कान के साथ बीरबल आए। अकबर की आंखें चमकीं, "बीरबल! तुम ही सुलझाओ यह गुत्थी!" बीरबल ने सारी बात सुनी, बच्चे को गोद में लिया, प्यार से सहलाया। "चिंता मत करो महाराज, हल निकल आएगा।"
बीरबल ने जल्लाद बुलाया। सब सहम गए। बीरबल ने बच्चे को जमीन पर बैठाया, गंभीर स्वर में कहा, "दोनों मांओं, सुनो! बच्चे को दो हिस्सों में काटेंगे। एक-एक टुकड़ा तुम्हें मिलेगा। जो माने, वही ले जाए!" दरबार में सन्नाटा। एक महिला तुरंत बोली, "ठीक है! मुझे आधा चाहिए। जल्दी करो!" वह मुस्कुरा रही थी। दूसरी फूट-फूटकर रोने लगी, "नहीं! बच्चे को मत काटो! मेरे टुकड़े कर लो, लेकिन इसे जिन्दा रहने दो। इसे दूसरी को दे दो!" वह बच्चे से लिपट गई।
दरबारी समझ गए – रोने वाली असली मां! लेकिन बीरबल ने इशारा किया, "पकड़ो उस महिला को जो काटने को तैयार थी! वही चोरनी है!" सिपाही ने पकड़ा। वह चिल्लाई, "माफ करो! मैंने बच्चा चुराया था, बेचने!" अकबर ने सजा सुनाई – जेल! बच्चा असली मां को मिला।
अकबर ने बीरबल से पूछा, "कैसे पता चला?" बीरबल हंसे, "महाराज, मां कभी बच्चे पर आंच नहीं आने देती। वह खुद कट जाएगी, लेकिन बच्चे को बचाएगी। यह मां का प्यार है!" अकबर ने तारीफ की, "बीरबल, तुम्हारी बुद्धि अनमोल!"
कहानी का विस्तार: दरबार के बाद बच्चा मां के साथ खुश। गांव लौटकर मां ने बीरबल को धन्यवाद दिया। सालों बाद बच्चा बड़ा हुआ, बीरबल की तरह चतुर। वह कहता, "मां ने मुझे बचाया, मैं सच्चाई से जीऊंगा!" जंगल के जानवरों तक कहानी पहुंची। शेर बोला, "देखो, मां का प्यार सबसे बड़ा!" लोमड़ी ने बच्चों को सुनाया, "झूठ मत बोलो, सच्चाई जीतती है!"
अधिक जानने के लिए अकबर-बीरबल की विकिपीडिया पेज पढ़ें।
सीख: दोस्तों, कभी दूसरों की चीज पर हक मत जमाओ। सच्चाई हमेशा सामने आती है। मां का प्यार सबसे ऊपर – वह त्याग करती है। बुद्धि से हर समस्या सुलझती है!
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