दस बार कोशिश - एक मजेदार कहानी

दस बार कोशिश - एक मजेदार कहानी - यह मजेदार और प्रेरक बाल कहानी सपना नाम की एक लड़की की है, जो अपनी सहेली रिया से पढ़ाई में हमेशा पीछे रह जाती थी।

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दस बार कोशिश - एक मजेदार कहानी - यह मजेदार और प्रेरक बाल कहानी सपना नाम की एक लड़की की है, जो अपनी सहेली रिया से पढ़ाई में हमेशा पीछे रह जाती थी। एक दिन वह अपने कमरे में पढ़ते समय एक छिपकली और पतंगे की जंग देखती है। छिपकली नौ बार असफल होने के बाद भी दसवें प्रयास में पतंगे को पकड़ लेती है। यह देखकर सपना को प्रेरणा मिलती है कि मेहनत और हार न मानने की भावना से वह भी अपनी मंजिल पा सकती है। दसवीं कक्षा में वह कड़ी मेहनत करती है और जीव विज्ञान में जिले में प्रथम आती है। यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि मेहनत और विश्वास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

सपना एक छोटी-सी लड़की थी, जो अपने गाँव के स्कूल में पढ़ती थी। उसका कमरा छोटा-सा था, लेकिन उसकी जिज्ञासा और सपने बहुत बड़े थे। उस दिन वह अपनी किताबों के बीच बैठी थी, पढ़ाई में डूबी हुई, लेकिन उसका ध्यान बार-बार दीवार पर चला जाता था। दीवार पर एक छोटी-सी छिपकली थी, जो एक फड़फड़ाते पतंगे का पीछा कर रही थी।

“अरे, ये क्या माजरा है?” सपना ने बुदबुदाया। वह किताब पर ध्यान लगाने की कोशिश करती, लेकिन उसकी नजरें उस छिपकली और पतंगे की जंग पर अटक जातीं। पतंगा दीवार पर बैठता, और छिपकली चुपके से उसकी ओर लपकती। लेकिन हर बार, पतंगा चकमा देकर उड़ जाता और दीवार के किसी और कोने में जा बैठता।

“हाय राम! ये पतंगा तो बाजीगर है!” सपना हँसते हुए बोली। “छिपकली बेचारी कितनी बार कोशिश कर चुकी, लेकिन ये पतंगा हर बार बच निकलता है!”

पतंगे ने पाँच बार छिपकली को चकमा दिया। छिपकली फिर भी हार नहीं मान रही थी। सपना ने सोचा, “कितना हठी है ये पतंगा! जानता है कि खतरा है, फिर भी उसी दीवार पर क्यों लौट आता है?”

तभी सपना की सहेली रिया का ख्याल आया। रिया और सपना पहली कक्षा से साथ पढ़ती थीं। दोनों पक्की दोस्त थीं, साथ में लंच करतीं, गप्पें मारतीं, लेकिन पढ़ाई में रिया हमेशा बाजी मार ले जाती थी। हर बार परीक्षा में रिया प्रथम आती, और सपना दूसरे नंबर पर। फासला सिर्फ़ दो-तीन अंकों का होता, लेकिन सपना का मन उदास हो जाता।

“रिया तो जैसे प्रथम आने के लिए ही पैदा हुई है!” सपना ने दीवार की ओर देखते हुए मन ही मन कहा। “मैं कितनी भी मेहनत कर लूँ, वो हमेशा मुझसे आगे निकल जाती है।”

सपना को याद आया कि चौथी कक्षा तक यही सिलसिला चला। फिर पाँचवीं कक्षा में तो वह तीसरे स्थान पर खिसक गई थी। उसका दिल टूट-सा गया था। “क्या मैं कभी प्रथम नहीं आ सकती?” उसने सोचा था।

दीवार पर छिपकली अब सातवें हमले की तैयारी में थी। पतंगा फिर उसी दीवार पर आ बैठा। “अरे, ये पतंगा भी ना, कितना नासमझ है!” सपना ने हँसते हुए कहा। “क्यों नहीं कहीं और चला जाता? बार-बार उसी शिकारी के सामने क्यों आता है?”

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तभी उसकी माँ कमरे में आईं और बोलीं, “सपना, क्या बुदबुदा रही है? पढ़ाई कर, बेटा, बोर्ड की परीक्षा नजदीक है!”

“माँ, देखो ना, ये पतंगा और छिपकली का खेल कितना मजेदार है!” सपना ने उत्साह से कहा। “छिपकली बार-बार कोशिश कर रही है, लेकिन पतंगा हर बार बच निकलता है।”

माँ ने मुस्कुराकर कहा, “बेटा, कोशिश करने में ही तो जीत है। तू भी तो कोशिश कर रही है, है ना? रिया से आगे निकलने की?”

सपना का चेहरा लटक गया। “माँ, मैं कितनी भी मेहनत करूँ, रिया हमेशा मुझसे आगे रहती है। छठीं में, सातवीं में, हर बार! आठवीं में तो मैं तीसरे नंबर पर आ गई थी। क्या मैं कभी प्रथम आ पाऊँगी?”

माँ ने प्यार से सपना का सिर सहलाया और बोली, “सपना, कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं। देख, वो छिपकली कितनी बार असफल हुई, लेकिन क्या उसने हार मानी? तू भी बस कोशिश जारी रख। तेरा समय ज़रूर आएगा!”

सपना की नजरें फिर दीवार पर गईं। छिपकली अब नौवें हमले की तैयारी में थी। “हाय, ये पतंगा तो गया अब!” सपना चीखी। छिपकली ने पूरी ताकत से झपट्टा मारा, लेकिन पतंगा फिर चकमा देकर बच निकला।

“वाह! ये तो गजब है!” सपना ने ताली बजाई। “नौ बार हारने के बाद भी छिपकली ने हार नहीं मानी। और ये पतंगा भी कितना हिम्मती है!”

लेकिन दसवें प्रयास में छिपकली ने आखिरकार पतंगे को पकड़ लिया। “हाय, पतंगाजी गए!” सपना ने मुँह बनाया, लेकिन फिर हँस पड़ी। “दसवें प्रयास में छिपकली जीत गई! तो क्या मैं भी दसवें प्रयास में जीत सकती हूँ?”

सपना को नवीं कक्षा की परीक्षा याद आई, जब वह और रिया बस एक अंक के फासले से अलग थे। रिया को 480 और उसे 479 अंक मिले थे। “बस एक अंक!” सपना ने बुदबुदाया। “अगर छिपकली दसवें प्रयास में जीत सकती है, तो मैं क्यों नहीं?”

उसके मन में स्वामी विवेकानंद का कथन गूँजा: “उठो, जागो, और तब तक मत रुको, जब तक मंजिल न मिल जाए!” सपना ने ठान लिया कि दसवीं कक्षा उसका दसवां प्रयास होगा। इस बार वह रिया को पीछे छोड़ देगी।

दिन-रात मेहनत, किताबों में डूबना, और खुद पर विश्वास—सपना ने सब कुछ झोंक दिया। परीक्षा का दिन आया, और फिर परिणाम का दिन। स्कूल में कम्प्यूटर पर रिजल्ट चेक करते समय सपना का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

“माँ, देखो! मैंने कर दिखाया!” सपना ने चीखकर कहा। उसने जीव विज्ञान में न सिर्फ़ स्कूल में, बल्कि पूरे जिले में प्रथम स्थान हासिल किया था। रिया इस बार दूसरे नंबर पर थी।

सपना घर दौड़ी। उसने उस दीवार को देखा, जहाँ छिपकली और पतंगे की जंग हुई थी। “धन्यवाद, छिपकली जी!” उसने हँसते हुए कहा। “तुमने मुझे सिखाया कि कोशिश करने से सब कुछ मुमकिन है!”

गाँव में सपना की कहानी फैल गई। लोग उसे “दसवें प्रयास की हीरोइन” कहने लगे। उसकी मेहनत और हिम्मत ने न सिर्फ़ उसे, बल्कि पूरे गाँव के बच्चों को प्रेरित किया।

इस कहानी से सीख

  • हार न मानें: बार-बार असफल होने पर भी कोशिश जारी रखें, क्योंकि सफलता कभी भी आ सकती है।

  • मेहनत का फल: कड़ी मेहनत और विश्वास से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है।

  • प्रेरणा हर जगह है: छोटी-छोटी चीजें, जैसे एक छिपकली और पतंगे की जंग, भी हमें बड़ा सबक दे सकती हैं।

  • आत्मविश्वास: खुद पर भरोसा रखें, क्योंकि आपकी मेहनत आपको एक दिन ज़रूर रंग दिखाएगी।

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