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मनोरंजक बाल कहानी : चीकू एक छोटा और नटखट लड़का था, जो अपने गाँव में सबका चहेता था। उसकी चपलता और शरारतें हर किसी को हंसा देती थीं। एक दिन, चीकू ने सोचा कि आज कुछ नया और मजेदार किया जाए। उसने अपने दोस्तों गट्टू और मीनू को बुलाया और बोला, "चलो, आज गाँव के बड़े बरगद के पेड़ पर चढ़कर हम सबको डराते हैं!"
गट्टू और मीनू को चीकू की योजना सुनकर बड़ा मज़ा आया। तीनों दोस्त बरगद के पेड़ के पास पहुंचे और फटाफट पेड़ पर चढ़ गए। चीकू सबसे ऊपर चढ़ गया और जोर से चिल्लाया, "अरे बचाओ! इस पेड़ पर तो भूत है!"
गाँव के लोग चीकू की आवाज सुनकर दौड़ते हुए आए। लेकिन जब उन्होंने देखा कि चीकू, गट्टू, और मीनू पेड़ पर हंसी-मजाक कर रहे थे, तो सबने राहत की सांस ली। लेकिन गाँव के बुजुर्ग, दादाजी, जो हमेशा अपनी सादगी और बुद्धिमानी के लिए जाने जाते थे, चुपचाप सब देख रहे थे।
दादाजी ने चीकू को बुलाया और बोले, "बेटा, तुमने आज लोगों को खूब हंसाया, लेकिन सोचो अगर कोई सच में मुसीबत में होता और लोग इसे मजाक समझकर मदद नहीं करते, तो क्या होता?"
चीकू को दादाजी की बात सुनकर समझ आया कि मस्ती-मजाक भी एक सीमा में करना चाहिए। उसने दादाजी से माफी मांगी और वादा किया कि वह आगे से कभी भी ऐसी शरारत नहीं करेगा, जिससे किसी को नुकसान हो या लोग परेशान हों।
उस दिन के बाद, चीकू की शरारतें भी बदल गईं। अब वह लोगों को हंसाने के लिए छोटी-छोटी मजेदार बातें करता, लेकिन हमेशा ध्यान रखता कि उसकी मस्ती किसी के लिए मुश्किल न बने।
इस मनोरंजक बाल कहानी से सीख:
मस्ती और मज़ाक करना अच्छा होता है, लेकिन कभी-कभी छोटी-छोटी शरारतें भी बड़ी मुसीबतें खड़ी कर सकती हैं। इसलिए हमेशा सोच-समझकर ही मज़ाक करें, ताकि सब खुश रहें और किसी को परेशानी न हो।