Fun Story : चिंटू और उसकी स्मार्ट घड़ी- एक बच्चा था, जिसका नाम चिंटू था। वह बेहद होशियार था, लेकिन उसकी होशियारी अक्सर चतुराई में बदल जाती थी। पढ़ाई-लिखाई से ज्यादा उसका ध्यान नए-नए गैजेट्स और टेक्नोलॉजी पर रहता था। चिंटू के पास एक स्मार्ट घड़ी थी, जो उसे सबकुछ बता देती थी - होमवर्क याद दिलाना, स्कूल की घंटी का टाइम और यहां तक कि उसे गेम्स खेलने में भी मदद करना।
स्कूल की चालाकी
एक दिन स्कूल में विज्ञान का टेस्ट था। चिंटू ने पढ़ाई नहीं की थी, क्योंकि वह अपनी स्मार्ट घड़ी में गेम्स खेलने में व्यस्त था। उसने सोचा, "स्मार्ट घड़ी से उत्तर पता करना कौन-सी बड़ी बात है?" उसने टेस्ट के दौरान घड़ी से जवाब पूछना शुरू कर दिया। उसकी चालाकी काम कर गई, और उसने सारे उत्तर सही लिख दिए।
घर पर खुशियां और एक झटका
शाम को जब वह घर लौटा, तो उसके माता-पिता बहुत खुश थे कि चिंटू ने टेस्ट में फुल मार्क्स लाए। लेकिन अगले दिन स्कूल से उसके माता-पिता को फोन आया। शिक्षक ने बताया कि चिंटू की चालाकी पकड़ में आ गई थी, क्योंकि उसने स्मार्ट घड़ी का उपयोग किया था।
सजा और पछतावा
चिंटू के माता-पिता ने उसे समझाया, "टेक्नोलॉजी का सही उपयोग करना सीखो। अगर इसे गलत तरीके से इस्तेमाल करोगे, तो यह तुम्हारे लिए परेशानी बन जाएगी।" शिक्षक ने भी उसे एक हफ्ते तक स्कूल के विज्ञान प्रोजेक्ट का जिम्मा सौंपा, ताकि वह टेक्नोलॉजी के सही उपयोग को समझ सके।
बदलता चिंटू
सजा ने चिंटू को सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने मेहनत से विज्ञान प्रोजेक्ट बनाया और उसमें दिखाया कि कैसे टेक्नोलॉजी का उपयोग सही तरीके से किया जा सकता है। उसका प्रोजेक्ट इतना अच्छा था कि स्कूल में सबने उसकी तारीफ की।
सीख
चिंटू ने सीखा कि चालाकी और धोखेबाजी से कुछ हासिल नहीं होता। टेक्नोलॉजी को सही तरीके से इस्तेमाल करके ही असली सफलता मिलती है।