मजेदार कहानी - बुद्धिमानी से राजकुमारी के लिए चाँद

पढ़ें बुद्धिमानी से समस्या समाधान की यह अनोखी कहानी। जानें कैसे व्यापारी रत्नपाल ने एक नन्ही राजकुमारी के लिए चाँद तोड़कर दिखाया। यह बच्चों के लिए प्रेरणादायक हिंदी कहानी आपको सिखाएगी सरल सोच का महत्व।

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मजेदार कहानी -  बुद्धिमानी से राजकुमारी के लिए चाँद :- नमस्कार प्यारे दोस्तों! आपने अक्सर यह कहावत सुनी होगी कि बुद्धि ही सबसे बड़ा धन है। आज की हमारी कहानी एक ऐसे राजा और उसकी नन्ही बेटी की है, जिसने आसमान से चाँद तोड़ लाने (Bringing the moon) की ऐसी ज़िद पकड़ी, जिसने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया।

यह कहानी दिखाती है कि कैसे बड़ी से बड़ी मुसीबत या मुश्किल से मुश्किल ज़िद को सरल सोच (Simple thinking) और बुद्धिमानी (Wisdom) से हल किया जा सकता है। यह सिर्फ़ एक मनोरंजन भरी प्रेरणादायक हिंदी कहानी (Motivational Hindi Story) नहीं है, बल्कि यह सिखाती है कि बच्चे दुनिया को किस नज़रिए से देखते हैं।

तो चलिए, जानते हैं कि कैसे एक चतुर व्यापारी ने राजा की नन्ही लाडली के लिए चाँद तोड़ा और बुद्धिमानी से समस्या समाधान का एक अनोखा उदाहरण पेश किया।

राजा का दुःख और राजकुमारी की अनोखी ज़िद

एक समय की बात है, एक भव्य राज्य पर महाराज जयदेव राज करते थे। महाराज के पास दुनिया की सारी दौलत थी, पर उनका जीवन उनकी इकलौती बेटी, राजकुमारी चित्रा के इर्द-गिर्द घूमता था। चित्रा न सिर्फ़ उनकी लाडली थी, बल्कि पूरे राज्य की आँख का तारा थी।

एक रात, चित्रा अपने महल की ऊँची खिड़की से चाँद को देखकर मंत्रमुग्ध हो गई। वह चाँद इतना गोल, सफ़ेद और चमकीला था कि वह उसे तुरंत पाना चाहती थी।

राजकुमारी चित्रा (मासूमियत से): "पिताजी, पिताजी! मुझे वह सफ़ेद, चमकता हुआ गोला चाहिए। मेरे लिए वह चाँद तोड़कर ला दीजिए!"

महाराज जयदेव ने पहले तो बेटी को बहलाने की बहुत कोशिश की।

महाराज: "मेरी प्यारी बेटी, चाँद तो बहुत दूर है। वह भला कोई कैसे तोड़कर ला सकता है?" चित्रा (गुस्से से): "नहीं! अगर आप राजा हैं, तो आप कुछ भी कर सकते हैं! मुझे मेरा चाँद चाहिए, अभी चाहिए!"

जब ज़िद पूरी न हुई, तो नन्ही राजकुमारी ने खाना-पीना छोड़ दिया और वह रो-रोकर बुरी तरह बीमार पड़ गयी। उनकी हँसी, जो कभी पूरे महल को गुँजाती थी, अब खामोश हो गई थी। बड़े-से-बड़े वैद्य और हकीम महल में बुलाए गए, पर कोई भी उस बीमारी का इलाज नहीं कर पाया जो असल में मन की उदासी से आई थी।

दरबारी हंसे, पर राजा ने किया ऐलान

बेटी के प्रेम में भावुक बने राजा ने हार मान ली। उन्होंने पूरे दरबार में यह घोषणा करा दी:

महाराज (पीड़ा से): "सुनो! जो व्यक्ति मेरी बेटी के लिए आसमान से चाँद तोड़ कर लाएगा, उसे मैं सोने और रत्नों से धनवान बना दूँगा! मैं अपनी बेटी को ख़ुश देखना चाहता हूँ, इसके लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ।"

राजा के इस अजीब पागलपन को सुनकर दरबारी और नगरवासी आपस में फुसफुसाने लगे और हँसने लगे। "राजा लगता है बेटी के प्यार में अपना दिमाग़ खो बैठा है," एक दरबारी ने दूसरे से कानाफूसी की। सबने राजा की ज़िद को एक असंभव कार्य (Impossible Task) मान लिया था।

लेकिन नगर में एक अत्यंत बुद्धिमान व्यापारी रहता था, जिसका नाम था रत्नपाल। रत्नपाल ने सुना कि राजा इतने दुखी हैं, तो वह तुरंत उनसे मिलने महल आया।

रत्नपाल (शांत और विनम्र): "महाराज, आपकी चिंता जायज़ है, लेकिन घबराइए नहीं। मैं आपकी बेटी के लिए चाँद तोड़ लाऊँगा, लेकिन उससे पहले मुझे राजकुमारी से कुछ बातें करनी होंगी।"

राजा हैरान हुए, पर उन्होंने तुरंत अनुमति दे दी।

व्यापारी रत्नपाल और चाँद का असली आकार

रत्नपाल सीधे राजकुमारी के कमरे में गया। उसने देखा कि राजकुमारी उदास, थकी हुई लेटी है। रत्नपाल ने कोई जादू या बड़ी बात करने के बजाय, उससे बहुत ही सरल बातचीत शुरू की।

रत्नपाल ने राजकुमारी को उसकी नन्ही उंगली पकड़ी और प्यार से पूछा:

रत्नपाल: "राजकुमारी जी, मुझे राजा साहब ने आपको चाँद लाकर देने को कहा है। पर इससे पहले कि मैं चाँद तोड़कर लाऊँ, आपको मुझे चाँद का आकार (Size of the Moon) और रंग बताना होगा। क्या आप बताएंगी, चाँद कितना बड़ा है?" राजकुमारी चित्रा (थोड़ा सोचते हुए): "वह... वह मेरी उंगली की मोटाई जितना (As thick as my finger) है।" रत्नपाल (हैरान होकर): "आप ऐसा क्यों कह रही हैं?" चित्रा: "चूँकि जब मैं अपनी उंगली उसके आगे रख देती हूँ, तो वह पूरा दिखता नहीं है! वह तो मेरी उंगली जितना ही बड़ा है।"

रत्नपाल ने मुस्कुराते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई:

रत्नपाल: "बिल्कुल सही! और वह कितना ऊंचा है, क्या आपने देखा है?" चित्रा: "शायद महल के बाहर लगे पेड़ जितना ऊंचा है। चूँकि, वह हमेशा उस पेड़ के ऊपर ही तो दिखता है।" रत्नपाल: "वाह! आप कितनी चतुर हैं! अच्छा, तो उसका रंग कैसा दिखता है?" चित्रा: "वह तो सफ़ेद चमकीला चाँदी जैसा दिखता है, जैसे आपकी अंगूठी चमक रही है।"

रत्नपाल ने सारी जानकारी दिमाग में बिठाई। वह हँस कर बोल उठा। "बस, इतनी ही जानकारी चाहिए थी। ठीक है, मैं कल ही चाँद तोड़ कर आप के लिए ला दूंगा।"

रत्नपाल ने तुरंत राजा को जाकर अपनी युक्ति (Tactic) बताई, जिसे सुनकर राजा भी हैरान रह गए कि समस्या का समाधान इतना सरल था!

चाँदी का चाँद और राजा की नई चिंता

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दूसरे दिन, व्यापारी रत्नपाल बाज़ार से सबसे चमकीला, चाँदी का छोटा सा चांद (Small silver moon) बनवाकर महल में आया। यह चाँद ठीक उतना ही बड़ा था जितना राजकुमारी की उंगली की मोटाई।

रत्नपाल: "राजकुमारी जी! देखिए, मैं आकाश से आपका चाँद तोड़ लाया हूँ!"

राजकुमारी चाँद को देखकर ख़ुशी से उछलने लगी। उसने तुरंत उस छोटे से चाँद को अपने तकिए के पास रखा और पूरे दिन उसके साथ खेलती रही। अपनी मासूम ज़िद पूरी होने से उसकी उदासी दूर हो गई और उसकी तबीयत भी ठीक हो गई।

राजा बहुत प्रसन्न हुए, लेकिन रात होते ही उन्हें एक नई चिंता सताने लगी।

महाराज (घबराकर): "रत्नपाल, तुमने मेरी बेटी को तो ठीक कर दिया, पर अब यह रात का समय है। अगर राजकुमारी ने खिड़की के बाहर आसमान में नया चाँद देख लिया, तो क्या होगा? वह फिर से उदास हो जाएगी कि उसका चाँद तो उसके पास है, तो आसमान में दूसरा कहाँ से आया?"

राजा की चिंता बिल्कुल जायज़ थी। यह बुद्धिमानी से समस्या समाधान का दूसरा चरण था।

दूसरा समाधान: नया चाँद उगने का रहस्य

रत्नपाल ने राजा को धीरज बँधाया और मुस्कुराते हुए कहा, "महाराज, इसका भी मेरे पास समाधान है।"

वह राजकुमारी के पास गया, जो अभी भी अपने नए चाँदी के चाँद से खेल रही थी। रत्नपाल ने खेल-खेल में उससे एक सवाल पूछा:

रत्नपाल: "राजकुमारी जी, आपको पता है जब किसी बच्चे का दांत टूट जाता है तो क्या होता है?" राजकुमारी (तुरंत जवाब दिया): "हाँ, दूसरा दांत निकल आता है, जो और मज़बूत होता है!" रत्नपाल: "बिलकुल सही! और जब कोई चाँद तोड़ लेता है, तो पता है क्या होता है?"

राजकुमारी ने एक पल सोचा, फिर अपने ज्ञान और कल्पना का इस्तेमाल किया:

राजकुमारी चित्रा (मुस्कुरा कर): "हाँ! वहाँ दूसरा चाँद उग आता है!" रत्नपाल: "अरे वाह! आपको तो सब पता है! क्या आप नए चाँद को देखने के लिए तैयार हैं?"

राजकुमारी ने उत्साह से सिर हिलाया। रत्नपाल ने खिड़कियाँ खोल दीं। राजकुमारी ने आसमान में चमकता हुआ दूसरा चाँद देखा और कहा, "मेरा चाँद तो उससे भी अच्छा है, और यह मेरे पास है!"

यह सब देखकर राजा का दिल भर आया। उन्होंने व्यापारी को गले लगाया और उसे ढेर सारा इनाम दिया। राजा को एहसास हुआ कि जीवन की सबसे बड़ी समस्याएँ, सिर्फ़ अपनी सोच का दायरा बदलकर और सरल उपाय अपनाकर टाली जा सकती हैं।

सीख (Moral)

इस कहानी की सबसे बड़ी सीख यह है कि कई बार बड़ी मुसीबतें भी छोटी सी युक्ति आज़मा कर टाली जा सकती हैं

  1. समस्या को समझें, न कि उससे लड़ें: व्यापारी ने 'चाँद कैसे तोडूँ' यह सोचने के बजाय, पहले यह समझा कि बच्चे के मन में चाँद की क्या छवि है? (Understanding the child's perspective)।

  2. सरलता में समाधान: सबसे मुश्किल समस्याएं अक्सर सबसे सरल और तार्किक समाधान की मांग करती हैं।

  3. भ्रम से मुक्ति: राजा अपनी शक्ति और धन के भ्रम में उलझा था, जबकि व्यापारी ने बुद्धि और हाज़िर-जवाबी का उपयोग किया।

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