Health: पेटेंट तथा जेनेरिक दवाईयाँ

कोई दवा बनाने वाली कम्पनी किसी विशेष मौलक अणु की खोज करती हैं। उदाहरण के लिये ‘फिजर’ कम्पनी ने दो मौलिक खोजें करीं और उन पर आधारित दवाईयाँ एमलोगाई (मूल अणु एमलोडीपीन) तथा (मूल अणु सिलडेनाफिल) बाजार पेटेंट नाम से बेचना शुरू किया।

By Lotpot
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पेटेंट तथा जेनेरिक दवाईयाँ

Health पेटेंट तथा जेनेरिक दवाईयाँ:- कोई दवा बनाने वाली कम्पनी किसी विशेष मौलक अणु की खोज करती हैं। उदाहरण के लिये ‘फिजर’ कम्पनी ने दो मौलिक खोजें करीं और उन पर आधारित दवाईयाँ एमलोगाई (मूल अणु एमलोडीपीन) तथा (मूल अणु सिलडेनाफिल) बाजार पेटेंट नाम से बेचना शुरू किया। दस वर्ष तक केवल फाईजर कम्पनी को इस नाम से दवाऐं बेचने का अधिकार है। (Health)

दस वर्ष के बाद अन्य कोई भी कम्पनी अपना नाम देकर इन दवाइयों के मूल अणु पर आधारित दवा बेच सकती है। यह भी हो सकता है कि मूल अणु के नाम पर ही दवाईयाँ बेच दी जायें। इस दशा में इन दवाइयों को जेनेरिक वर्ग में रखा जायगा। (Health)

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दोनों ही वर्गों की दवाईयाँ गुणवत्ता में एक समान होती हैं

एकलोगार्ड का मूल्य आठ रूपये है। इसी अणु पर आधारित स्टैमलों का मूल्य केवल 1 रूपये है। इसी प्रकार वियागरा का मूल्य शुरू में 600 रूपये था किन्तु इसी अणु पर आधारित जेनेरिक दवा केवल 25 रूपये में मिलती है। जब हम जेनेरिक दवा का नाम जानना चाहते हैं तब हम यह चाहते हैं कि हमें पेटेंट नाम के स्थान पर दवा का जेनेरिक नाम बताया जाये। यदि बाज़ार में जेनेरिक नाम से दवा मिल सकती है तब यह अनुचित है कि केवल एमलो गार्ड या वियागरा ही डाक्टर द्वारा खरीदने के लिये मरीज को बाध्य किया जाये। (Health)

एक अन्य उादहरण देखिये

क्लोपीडाग्रल अणु पर आधारित प्रविक्स का मूल्य 100 रूपये है जबकि इसी अणु पर आधारित जेनेरिक दवा डीप्रैट केवल 5 रूपये में मिलती है।

यदि इतने कम मूल्य पर जेनेरिक दवा मिल सकती है तो इस दशा में कई गुना महंगी पेटेंट दवा का सुझाव देना डाक्टरों द्वारा मरीजों पर किया गया घोर अन्याय है। (Health)

भारत से प्रति वर्ष करोड़ो रूपये की जेनेरिक दवाईयाँ विदेशों को बेची जाती हैं क्योंकि इनका मूल्य अंतर राष्ट्रीय मूल्यों की तुलना में बहुत कम होता है।

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भारत में दवाईयाँ जेनेरिक नाम से बेची जा सकती हैं

आज कल हमारे देश में जेनेरिक दवाईयाँ तीन अलग अलग वर्गो में बांट दी गयी हैं तथा इनका मूल्य भी अलग-अलग रखा जाता है। (Health)

एक ही कम्पनी एक ही अणु पर आधारित दवा जेनेरिक, ट्रैड जेनेरिक तथा ब्रैन्ड जेनेरिक के नाम से अलग-अलग मूल्यों पर बेचती हैं।

भारतीय मेडिकल एसोसिएशन की मांग है कि सभी जेनेरिक वर्ग की दवाईयाँ एक कम्पनी द्वारा केवल एक ही निश्चित मूल्य पर बेची जानी चाहिये। (Health)

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