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जंगल कहानी : बड़का हाथी और नन्हा मच्छर- एक बार की बात है, एक बड़ा हाथी और एक छोटा मच्छर था। हाथी बहुत बड़ा और मजबूत था, जबकि मच्छर बहुत छोटा और हल्का था। भले ही वे आकार में अलग-अलग थे, लेकिन उन दोनों में अपने-अपने खास गुण थे और वे दोस्त बन सकते थे। हाथी भारी सामान उठाने में मदद कर सकता था, और मच्छर उड़कर उन जगहों की खोज कर सकता था जहाँ हाथी नहीं पहुँच सकता था। उन्होंने सीखा कि अलग होना ही उन्हें खास बनाता है!
एक बार की बात है, एक विशाल हाथी था जो घने जंगल में रहता था। वह इतना बड़ा था कि बाकी सभी जानवर उससे डरते थे। हाथी को यह दिखाना पसंद था कि वह कितना मजबूत है और अक्सर छोटे जानवरों पर चिल्लाता था, जिससे वे खुद को छोटा और कमजोर महसूस करते थे। उसे लगता था कि उसके इतने बड़े होने की वजह से कोई भी उसका सामना नहीं कर सकता।
एक दिन, एक छोटा मच्छर हाथी के पास आया और उससे बोला, "भाई हाथी, मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ।" हाथी ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "तुम? तुम मुझसे किस बारे में बात करना चाहते हो? तुम इतने छोटे हो कि मैं तुम्हारी मौजूदगी को भी महसूस नहीं कर सकता।" मच्छर ने शांति से उत्तर दिया, "बड़ा होने का मतलब यह नहीं है कि आप दूसरों से बेहतर हैं। कभी-कभी छोटे जानवर भी महान काम कर सकते हैं।"
हाथी ने मच्छर की बात पर हँसते हुए उसे जाने के लिए कहा। लेकिन मच्छर हार मानने को तैयार नहीं था। उसने धीमी आवाज़ में कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि असली ताकत क्या होती है!" फिर, मच्छर हाथी के कान में उड़ गया और गुनगुनाने लगा। पहले तो हाथी को लगा कि यह मज़ेदार है, लेकिन जल्द ही गुनगुनाने से उसे परेशानी होने लगी।
हाथी ने अपने कान हिलाए, लेकिन मच्छर ने सबसे छोटे हिस्से में भी घुसकर उसे परेशान कर दिया। हाथी ने अपने बड़े पैर पटके, अपनी सूंड हिलाई, लेकिन मच्छर ने उसे अकेला नहीं छोड़ा। अंत में, हाथी ने हार मान ली और मच्छर से विनती की: "मुझे माफ़ कर दो, तुम सही थे। ताकत का मतलब महानता नहीं है। तुम्हारी छोटी सी ताकत ने मुझे सिखाया है कि अहंकार से कुछ हासिल नहीं होता।"
मच्छर मुस्कुराया और बोला, "याद रखो भाई हाथी, किसी का मज़ाक उड़ाना या उसे कम आंकना गलत है। हम सबकी अपनी-अपनी ताकत होती है, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न लगे।"
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें किसी को सिर्फ़ इसलिए कमज़ोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि वह छोटा है। असली ताकत होशियार और दयालु होने से आती है, न कि किसी के बड़े होने से।