मुर्गे का घमंड और एक सीखभरी कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में कई मुर्गे और मुर्गियां रहते थे। ये सभी मुर्गे सुबह-सुबह जोर-जोर से बांग देकर गांववालों को जगाते थे, जिससे लोग समय पर अपने काम पर लग जाते थे। गांव में हर किसी को इन मुर्गों की बांग की आदत हो गई थी।

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Jungle story Clean proud and a learned story

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मुर्गे का घमंड और एक सीखभरी कहानी : बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में कई मुर्गे और मुर्गियां रहते थे। ये सभी मुर्गे सुबह-सुबह जोर-जोर से बांग देकर गांववालों को जगाते थे, जिससे लोग समय पर अपने काम पर लग जाते थे। गांव में हर किसी को इन मुर्गों की बांग की आदत हो गई थी।

इसी गांव में एक घमंडी मुर्गा भी रहता था। वह सोचता था कि उसकी वजह से ही पूरा गांव सुबह उठता है और उसके बिना किसी का काम नहीं चल सकता। जब भी वह जोर-जोर से बांग देता, तो उसे लगता कि वह गांव का सबसे जरूरी प्राणी है।

मुर्गे को बच्चों ने तंग किया

एक दिन कुछ गांव के बच्चे खेलते-खेलते उसी मुर्गे को तंग करने लगे। वे कभी उसे पकड़ने की कोशिश करते, तो कभी उसके सामने दौड़कर उसे डराने लगते। बेचारा मुर्गा परेशान हो गया। वह सोचने लगा, "ये लोग मेरी अहमियत नहीं समझते! मैं रोज सुबह इन्हें जगाता हूं, और फिर भी ये मुझे तंग कर रहे हैं?"

गुस्से में आकर उसने एक योजना बनाई। उसने सोचा, "कल सुबह मैं बांग नहीं दूंगा। जब पूरा गांव देर तक सोता रहेगा और किसी का भी काम समय पर नहीं होगा, तब सबको मेरी अहमियत समझ में आएगी।"

मुर्गे की योजना

अगली सुबह जब सूरज निकला, तो हर दिन की तरह मुर्गे ने बांग देने से इनकार कर दिया। उसे उम्मीद थी कि लोग सोते रहेंगे और जब वे देर से जागेंगे, तब उन्हें समझ में आएगा कि मुर्गा कितना जरूरी था।

लेकिन जो हुआ, वह मुर्गे की सोच से बिल्कुल अलग था

गांववालों की दिनचर्या पर कोई असर नहीं पड़ा

गांव के लोग अपनी आदत के अनुसार समय पर उठ गए। किसी ने भी मुर्गे की अनुपस्थिति को महसूस तक नहीं किया। सूरज की रोशनी और आसपास के अन्य आवाजों से लोग जाग गए और अपनी दैनिक दिनचर्या में व्यस्त हो गए। किसान खेतों में चले गए, महिलाएं घर के कामों में लग गईं, और बच्चे स्कूल जाने की तैयारी करने लगे।

मुर्गा यह देखकर हैरान रह गया। उसने सोचा, "अरे! ये लोग तो बिना मेरी बांग के भी समय पर उठ गए और अपने-अपने कामों में लग गए! मैं तो सोच रहा था कि मेरे बिना पूरा गांव सोता रह जाएगा।"

मुर्गे को सीख मिली

तब मुर्गे को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने समझ लिया कि किसी के बिना भी दुनिया चलती रहती है। वह सोचने लगा, "मैंने अपने काम को लेकर घमंड कर लिया था। मुझे लगा कि मेरे बिना गांव का कोई भी व्यक्ति समय पर नहीं उठेगा, लेकिन यह मेरी भूल थी। किसी के बिना कोई भी काम नहीं रुकता।"

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने कार्य पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। यह सोचना कि हमारे बिना कोई काम नहीं हो सकता, एक बड़ी भूल होती है। दुनिया किसी के लिए भी नहीं रुकती, और हर इंसान को अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार रहना चाहिए लेकिन अहंकार से बचना चाहिए

मुर्गे की तरह अगर हम भी सोचने लगें कि हम सबसे जरूरी हैं और हमारे बिना कुछ नहीं हो सकता, तो यह हमारी गलतफहमी होगी। हमें हमेशा अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, न कि अपने अहंकार पर

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