जंगल कहानी : गोलू खरगोश मिली सजा

जंगल के एक कोने में एक प्यारा सा खरगोश रहता था, जिसका नाम था गोलू। गोलू बहुत चंचल और शरारती था। वह हमेशा जंगल के बाकी जानवरों को तंग करने में लगा रहता।

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Jungle story Golu rabbit got punished
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जंगल के एक कोने में एक प्यारा सा खरगोश रहता था, जिसका नाम था गोलू। गोलू बहुत चंचल और शरारती था। वह हमेशा जंगल के बाकी जानवरों को तंग करने में लगा रहता। लेकिन वह बहुत चालाक और तेज़ भी था, इसलिए कोई उसे पकड़ नहीं पाता था।

गोलू की शरारतें

गोलू की सबसे बड़ी आदत थी दूसरों की मेहनत पर पानी फेरना। वह जंगल में कछुए दादा के बनाए गड्ढों को मिट्टी से भर देता, गौरैया चिंकी के घोंसले से तिनके निकाल देता और भालू बलुआ के छत्ते से शहद चुराने की कोशिश करता।

एक दिन कछुआ दादा ने गोलू से कहा,
"गोलू भाई, तुम यह सब शरारतें क्यों करते हो? किसी की मेहनत खराब करना अच्छा नहीं होता।"
गोलू ने हंसते हुए कहा,
"अरे दादा कछुए, तुम जैसे सुस्त लोगों को तो मैं हमेशा चौंकाने में मज़ा आता है। मेरी रफ्तार और चालाकी को कोई हरा ही नहीं सकता!"

शेर राजा का फैसला

गोलू की शरारतें अब जंगल के हर कोने तक पहुंच गई थीं। परेशान होकर, सभी जानवरों ने मिलकर शेर राजा से शिकायत की।
दादा कछुआ: "महाराज, गोलू हमारी मेहनत खराब कर रहा है। हमें कोई रास्ता निकालना होगा।"
शेर राजा: "ठीक है, हमें गोलू को एक मौका देना चाहिए। लेकिन अगर वह सुधरेगा नहीं, तो उसे सजा मिलेगी।"

गोलू की आखिरी शरारत

गोलू को चेतावनी दी गई, लेकिन उसने इसे हल्के में लिया। उसी शाम उसने भालू बलुआ के शहद के छत्ते को गिरा दिया। गुस्से में भालू ने उसे दौड़ाया, लेकिन गोलू अपनी तेज़ी से बच निकला।

अगले दिन उसने चिंकी गौरैया के अंडों को छेड़ने की कोशिश की। जब चिंकी ने देखा तो वह रोते हुए शेर राजा के पास पहुंची।
चिंकी: "महाराज, गोलू ने मेरे बच्चों को खतरे में डाल दिया। हमें कुछ करना होगा।"

गोलू को मिली सजा

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शेर राजा ने गोलू को अपने दरबार में बुलाया।
शेर राजा: "गोलू, हमने तुम्हें सुधरने का मौका दिया था, लेकिन तुमने जानवरों की बात नहीं मानी। अब तुम्हें सजा दी जाएगी।"
गोलू डरकर कहने लगा,
"महाराज, मुझे माफ कर दीजिए। मैं दोबारा शरारत नहीं करूंगा।"

लेकिन राजा विक्रम ने कहा,
"माफी मांगने से ज्यादा जरूरी है, अपनी गलतियों को सुधारना। तुम्हें जंगल के हर जानवर की मदद करनी होगी।"

गोलू की सीख

गोलू को पूरे जंगल की सफाई करने, गौरैया के लिए नया घोंसला बनाने और कछुए के गड्ढों को फिर से खोदने का काम दिया गया। उसने कई दिनों तक मेहनत की। इस दौरान उसने महसूस किया कि दूसरों की मेहनत की कद्र करनी चाहिए।

जब गोलू ने अपना काम पूरा कर लिया, तो शेर राजा ने कहा,
"अब हम तुम्हें माफ करते हैं। हमें उम्मीद है कि तुम आगे से दूसरों की मदद करोगे।"
गोलू ने झुककर सभी से माफी मांगी और वादा किया कि वह आगे से किसी को तंग नहीं करेगा।

कहानी की सीख:

दूसरों की मेहनत और भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। शरारत करना बुरा नहीं है, लेकिन जब यह दूसरों को नुकसान पहुंचाने लगे, तो यह गलत है। मेहनत और ईमानदारी से ही असली खुशी मिलती है।

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