चंपकपुर के जंगल में मस्ती चंपकपुर जंगल में जानवरों की मस्ती का कोई जवाब नहीं था। यहां के जानवर हंसी-खुशी अपना जीवन बिताते थे। जंगल के दो सबसे मजेदार साथी थे - मोंटी बंदर और भोलू गधा। मोंटी अपनी चतुराई और मजाकिया हरकतों के लिए मशहूर था, वहीं भोलू अपनी भोली-भाली बातें और अजीब आदतों के लिए। मोंटी का नया आइडिया एक दिन मोंटी ने सोचा, "चलो, आज भोलू को एक मजेदार सबक सिखाया जाए।" उसने जंगल के बीच एक पुरानी घंटी देखी। मोंटी ने भोलू से कहा, "भोलू भाई, यह घंटी जादुई है। इसे पहनने से तुम सबसे तेज दौड़ने वाले गधे बन जाओगे।" भोलू ने आश्चर्य से पूछा, "सच? क्या मैं जंगल का सबसे तेज जानवर बन जाऊंगा?" मोंटी ने सिर हिलाते हुए कहा, "बिलकुल! लेकिन शर्त यह है कि घंटी को बजाकर अभ्यास करना होगा।" जंगल में शोर मच गया भोलू ने घंटी को खुशी-खुशी गले में बांध लिया और जोर-जोर से बजाने लगा। जंगल में घंटी की आवाज़ गूंजने लगी। सभी जानवर शोर सुनकर इकट्ठा हो गए। भोलू ने गर्व से कहा, "अब मैं सबसे तेज गधा बन जाऊंगा।" सभी जानवर भोलू की बात सुनकर हंसने लगे। लोमड़ी टीना ने कहा, "भोलू, तेज दौड़ने के लिए घंटी नहीं, मेहनत और अभ्यास चाहिए।" मोंटी की सच्चाई सामने आई मोंटी ने भोलू को रोकते हुए कहा, "भोलू भाई, यह सब मजाक था। घंटी जादुई नहीं है। मैं तुम्हें सिखाना चाहता था कि असली ताकत घंटी या किसी जादू में नहीं, बल्कि खुद की मेहनत और विश्वास में होती है।" भोलू ने सिर खुजलाते हुए कहा, "अरे! यह तो मुझे समझ ही नहीं आया। लेकिन यह मजेदार था।" सीख मिली भोलू ने मोंटी से कहा, "अब मैं घंटी को उतारकर सही तरीके से मेहनत करूंगा। मुझे तेज दौड़ने के लिए अपनी ताकत पर विश्वास करना होगा।" सभी जानवर मोंटी और भोलू की इस मजेदार कहानी से हंसने लगे और उन्हें मेहनत का महत्व समझ आया। सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि जादू या शॉर्टकट की बजाय मेहनत और अभ्यास से ही सफलता मिलती है। किसी भी मजाक को दिल पर न लें, बल्कि उससे सीख लेकर आगे बढ़ें। यह भी पढ़ें:- Jungle Story: सोने की मूर्ति Jungle Story: कू कू कोयल Jungle Story: राजा की युक्ति Jungle Story: तीन तितलियां