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राजा की युक्ति
Jungle Story राजा की युक्ति:- जंगल का राजा शेर बड़ा नेक दिल और न्यायप्रिय था। सारे जंगल के जानवर उसकी व्यवस्था से खुश थे। न्याय के मामले में किसी के साथ पक्षपात नहीं होता था। धोखेबाजी और मक्कारी से तो राजा को बहुत ही नफरत थी। राजा की एक और विशेषता थी कि वे अपने प्रण के पक्के और बात के धनी थे। वचन देकर मुकर जाना तो उन्होने सीखा ही नहीं था। (Jungle Stories | Stories)
जंगल का अच्छा वातावरण देखकर लोमड़ी जाति को बड़ा कष्ट होता था। वे सदा यही सोचती रहती कि कभी न कभी उनकी मक्कारी पकड़ी जायेगी और उस समय उन्हें, कड़ी सजा मिलेगी।
जंगल के वार्षिकोत्सव के दिन हर वर्ष की भांति राजा शेर की सवारी बड़ी धूमधाम से निकली। जंगल के अन्य जानवर भी सवारी में शामिल थे। सवारी निकलने के बाद सदा की तरह एक मैदान में, सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। (Jungle Stories | Stories)
उस रात काफी जानवरों ने अपना अपना कमाल दिखाया। बन्दर मामा ने झूलों पर अनेक प्रकार की छलांगें लगाईं और सबका मनोरंजन किया। भालू दादा ने भी डमरू नाच दिखाया और सबको लुभाया। इसके बाद एक लोमड़ी मंच पर आई और काफी देर तक नाचती रही।
राजा शेर को लोमड़ी का नाच बहुत ही सुन्दर लगा। उन्होंने स्वयं मंच पर जाकर लोमड़ी की प्रशंसा की और कहा, ‘हम तुम्हारे नाच से बहुत प्रसन्न हैं। इस अवसर पर तुम्हें कोई इनाम देना चाहते हैं। बोलो क्या चाहिए तुम्हें?’ (Jungle Stories | Stories)
यह सुनकर लोमड़ी मन ही मन मुस्काई और धीरे स्वर में बोली, ‘महाराज! आपके राज मेे भला किसके पास कमी है। साथ ही हम यह भी जानते हैं कि आप अपनी बात के धनी हैं।’
'हां हां, हम अपनी बात अवश्य पूरी करेंगे।’ शेर ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।
तभी लोमड़ी का चेहरा खिल उठा और उसने गर्व से अपना सिर उठाकर कहा, ‘महाराज, वचन दीजिए, लोमड़ी जाति को कभी आपके द्वारा सजा नहीं दी जायेगी।’ (Jungle Stories | Stories)
यह सुनते ही महामंत्री चीता सिंह दौड़कर राजा शेर के पास आये और हाथ जोड़कर...
यह सुनते ही महामंत्री चीता सिंह दौड़कर राजा शेर के पास आये और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे। ‘महाराज! ऐसा इनाम इसे कभी नहीं मिलना चाहिए वर्ना इनका भय समाप्त होते ही सभी लोमड़ियां जंगल में मनमानी करने लगेंगी।’
महामंत्री चीता सिंह की बात राजा ने ध्यानपूर्वक सुनी और फिर कहने लगे, 'नहीं, महामन्त्री, हम अपने वचन से कभी नहीं फिर सकते। (Jungle Stories | Stories)
चाहे जो भी हो, अपने वचन का पालन तो हमें करना ही होगा।’ इसके पश्चात राजा ने लोमड़ी को कहा, ‘जाओ लोमड़ी हम तुम्हें वचन देते हैं कि हमारे द्वारा तुम्हें या तुम्हारी जाति के किसी भी जानवर को कभी सजा नहीं दी जायेगी।’
अगले दिन से हर लोमड़ी जंगल में खुले हाथी की तरह अकड़ कर चलने लगी। जहाँ कहीं भी कोई छोटा जानवर दिखाई देता उसे पकड़ लेती।
लोमड़ी जाति ने सारे जंगल में आतंक मचा दिया सैकड़ों जानवर मारे जा चुके थे। सभी ने अपनी अपनी शिकायत राजा शेर के दरबार में की लेकिन अपने वचन के कारण वे किसी भी लोमड़ी को सजा नहीं दे सकते थे। स्वयं राजा इस बात से परेशान हो उठे। काफी सोच विचार के बाद आखिर राजा ने एक युक्ति निकाल ही ली। उन्होंने तुरन्त महामन्त्री चीता सिंह को बुलवाया और अपनी योजना विस्तार से सुनाई। (Jungle Stories | Stories)
अगले ही दिन राजा शेर ने जंगल के सभी जानवरों की एक सभा बुलाई और यह घोषणा करने लगे, ‘मेरे प्यारे जंगलवासियो! आप सब जानते हैं मैंने अभी तक कभी किसी के साथ अन्याय नहीं किया' और न ही कभी अपने वचन से फिरा हूँ। आज भी मैं वही चाहता हूँ। इस परम्परा को बनाये रखने के लिए आज से सभी झगड़ों और शिकायतों का फैसला हम स्वयं नहीं करेंगे बल्कि हम महामन्त्री चीता सिंह को यह कार्य सौंपते हैं आज से ये ही सभी मामलों में न्याय करेंगे।’ (Jungle Stories | Stories)
यह घोषणा सुनते ही महामन्त्री चीता सिंह अपने स्थान से उठे और हाथ जोड़कर कहने लगे, ‘महाराज! मैं आपनी जान देकर भी आपकी आज्ञा का पालन करूंगा और कभी किसी के साथ अन्याय नहीं करूंगा।’ इसके बाद चीता सिंह ने लोमड़ी जाति को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘महाराज शेर तुम्हें सजा नहीं दे सकते थे लेकिन मैंने तुम्हें सजा न देने का वचन नहीं दिया है।
इसलिए मैं तुम्हें यह बताना चाहता हूँ कि जिस जिस लोमड़ी के विरुद्ध शिकायतें आई हैं उन्हें जंगल के नियमानुसार सजा अवश्य मिलेगी। आगे से भी यदि किसी ने कोई अनुचित कार्य किया तो उसे वही सजा दी जायेगी।’
यह सुनते ही सभी लोमड़ियों के मुँह लटक गये। दूसरी ओर बाकी सभी जानवर खुशी से नाचने लगे। उन्होंने जोरदार तालियां बजाकर अपने प्रिय राजा के बुद्धिमत्तापूर्ण फैसले की प्रशंसा की। (Jungle Stories | Stories)
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