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दूसरे का हक
Jungle Story दूसरे का हक:- बहुत पहले की बात है। चंपक वन में भाँति-भाँति प्रकार के पौधे थे। इस वन में पक्षीराज गरूड़ रहा करते थे। वे बड़ी पारखी नजर रखते थे। पंछियों के गुण दोष वे एक नजर मे ही परख लिया करते। चंपकवन से कुछ ही दूर छोटे से उपवन में कौआ रहा करता था। कौए के घर से पश्चिम की ओर काली कोयल भी एक पेड़ पर रूखी सूखी खा कर गुजारा करती। (Jungle Stories | Stories)
एक सुबह कोयल और कौए के पास एक संदेशवाहक पंछी आया। वह बोला-मैं पक्षीराज गरूड़ की ओर से आया हूँ। कल तुम दोनों सबेरे उनकी सेवा में उपस्थित हो जाना। दूसरे दिन सुबह होने पर नींद से जागने पर कोयल ने समीप की सरिता पर जा कर स्नान किया। फिर घर लौट कर गरूड़ के यहाँ पहुँचने की तैयारी करने लगी। कौआ भी दूसरे दिन सुबह उठ कर सरिता जल में स्नान कर बन सवर कर गरूड़ के पास जा पहुँजा। दोनों को समक्ष देखकर गरूड़ जी बोले। तुम दोनों को एक साथ देखकर आज मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है। इधर उधर की बातें करने के बाद उन्होंने कौए और कोयल को काली रसीली जामुन खाने को दीं। कौआ कोयल के हिस्से की जामुन भी स्वयं लेता हुआ बोला। गरूड़ जी, ये जामुनें भी मुझे ही खाने दीजिए, क्योंकि कोयल ने मार्ग में मुझ से कहा था कि उसका गला खराब है। जामुन खाने से उसका गला और भी बिगड़ सकता है। गरूड़ जी मंद-मंद मुस्काते रहे। कोयल भी अपने स्थान पर चुपचाप बैठी रही। थोड़ी देर बाद गरूड़ जी ने कोयल और कौए के आगे आम के फल काट कर रखे। अब कौआ बोला-गरूड़ महाराज। कोयल मुझसे यह भी बोली थी कि आम खाने पर उसकी आवाज प्रायः बिगड़ जाया करती है। अतः क्यों न कोयल के हिस्से के आम भी मैं ही सेवन करूँ? गरूड़ जी पुनः मुस्काने लगे। कोयल भी क्रोध का भाव प्रकट किये बगैर पहले की तरह हँसती रही। (Jungle Stories | Stories)
कुछ समय उपरांत कौए से गरूड़ महाराज बोले, भाई कुछ सुनाओ। आज बढ़िया चीज सुनने...
कुछ समय उपरांत कौए से गरूड़ महाराज बोले, भाई कुछ सुनाओ। आज बढ़िया चीज सुनने का जी चाहता है। कौआ फूल कर कुप्पा होता हुआ बोला, हाँ, क्यों नहीं, ऐसी चीज सुनाऊँगा कि आप सुनते ही रह जायेंगे। इतना कह कर कौए ने ‘काँव-काँव’ की तान छेड़ दी। पेड़ की ऊँची शाखा पर पत्तियों के बीच बैठा हरियल तोता कौए का बेसुरा राग सुनकर जोरों से हँस पड़ा कौआ बिगड़ते हुए बोला। तीखी मिर्च खाने वाले हरियल तोते किसी के गले की खूबी तू क्या जान सकता है? अब वह पहले से अधिक जोरों से काँव काँव कर गाने लगा। सामने वृक्ष के कोटर से निकल कर गिलहरी खिल-खिलाकर हँसने लगी। कौआ अपमान से जल भुन उठा। अब गरूड़ ने कोयल से कुछ सुनाने को कहा। कोयल का भूख प्यास से बुरा हाल हुआ जा रहा था। पर वह अपने भीतर के गमों को भुलाते हुए गाने लगी। उसके ‘कुहू कुहू’ के स्वरों ने ऐसा समा बाँधा कि चंपकवन झूम-झूम उठा। हरियल तोता वाह वाह कह उठा गिलहरी ने तालियाँ बजायीं। उसके मीठे बोल सुनकर लता कुंजों के बीच से निकलकर मोर भी नाचने लगा। गरूड़ जी बोले-सच में तुम्हारी ‘कुहू कुहू’ की बोली में गजब की मिठास है। इधर क्रोध और ईष्र्यावश कौए का बुरा हाल हुआ जा रहा था। (Jungle Stories | Stories)
गरूड़ महाराज बोले। क्षमा करना कौए भाई! दूसरे के हक को छीन कर खाने वाले का यही परिणाम होता है। कोयल का अधिकार छीनने के लिए तुमने झूठ तक बोला। पर कोयल का मन कितना साफ है। तभी तो भूख प्यास सहकर भी उसके कंठ से इतने बोल फूट सके। तन की काली होकर भी वह मन की कितनी उजली है, यह अब स्पष्ट हो चुका है। तुमने उसके हिस्से के फल खाये। फिर भी वह चुप रही, यह उसकी विशेषता है। कौआ कोयल की प्रशंसा अधिक न सुन सका। वह तेजी से उड़ कर अपने घर लौट आया। कोयल गरूड़ को प्रणाम कर और उनकी आज्ञा ले कर अपने चमन को लौट चली। गरूड़ महाराज बोले। आज से हर फल फूल कोयल को सुलभ होंगे। पर कौआ दूसरे का हिस्सा छीनकर खाता रहेगा। आज भी कोयल बागों में आम खाती है और मीठे बोल सुनाती है पर कौआ दूसरे की रोटी छीनने के लिए लोगों के घरों की खिड़कियाँ झाँकता फिरता है। उसकी बोली तक कोई सुनना नहीं चाहता। (Jungle Stories | Stories)
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