Jungle Story: बात ऐसे बनी

तोंदूमल हाथी को एक बुरी आदत पड़ गई थी वह हर वक्त अपनी तोंद में कुछ न कुछ भरता ही रहता था। वह जो कुछ खाता, उधार लेकर खाता और किसी के पैसे न देता।

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बात ऐसे बनी

Jungle Story बात ऐसे बनी:- तोंदूमल हाथी को एक बुरी आदत पड़ गई थी वह हर वक्त अपनी तोंद में कुछ न कुछ भरता ही रहता था। वह जो कुछ खाता, उधार लेकर खाता और किसी के पैसे न देता। (Jungle Stories | Stories)

पैसे देता भी कहाँ से? वह करता धरता तो कुछ भी न था। बस, आवारागर्दी करता और छोटे जानवरों को डरा धमका कर उनकी दुकानों पर उधार माँगता रहता।

वह लंगूर चंद हलवाई से रोज़ मिठाईयाँ लेता और उसे कहता, ‘‘तुम मुझे उधार देने में कभी आनाकानी नहीं करते, मैं सबसे पहले तुम्हारा पैसा चुकाऊँगा।’’ (Jungle Stories | Stories)

कई दुकानदारों को वह यह कहकर डराता, ‘‘अगर किसी ने मुझे उधार देने में आनाकानी की तो मैं उसके पिछले पैसे नहीं चुकाऊँगा।’’

एक दिन सबने सुना कि तोंदूमल के पेट में जोरों का दर्द उठा है और वह इस समय अस्पताल में पड़ा हुआ है। (Jungle Stories | Stories)

‘और मिठाई खिलाओ उसे।’’ कुछ दुकानदारों ने लंगूर चंद से कहा, ‘‘अगर वह मर गया तो न तुम्हें रुपये मिलेंगे न हमें।’’ 

केले बेचने वाले बंदर कुमार ने कहा, ‘‘जहाँ हमने इतना सहा, वहाँ इतना और करते हैं कि उसके हालचाल पूछ आएं।’’ (Jungle Stories | Stories)

सभी अस्पताल पहुँचे, डॉक्टर जिराफ ने बताया, ‘‘तोंदूमल के इलाज के लिए बाहर से दवा मंगानी है। मगर उसके लिए मुझे पाँच सौ रुपये चाहिए।’’

सबने सलाह मशवरा करके पाँच सौ रुपये इकट्ठे किए और डॉक्टर को दे दिए। (Jungle Stories | Stories)

जब वे चले गए तो तोंदूमल एक झटके से उठ बैठा, ‘‘अच्छा मूर्ख बनाया सबको।’’ कहकर उसने जिराफ से आधे रुपये ले लिए।

‘‘देखना, कोई न जान पाए कि हमने सबको मूर्ख बनाया है।’’ जिराफ ने कहा। (Jungle Stories | Stories)

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तोंदूमल ने ढाई सौ रुपये लिए और एक दूसरे वन जाकर तरह तरह की चीजों...

तोंदूमल ने ढाई सौ रुपये लिए और एक दूसरे वन जाकर तरह तरह की चीजों में रुपये उड़ा दिए। लेकिन अब की बार उसे लेने के देने पड़ गए। उसके पेट में सचमुच भयानक दर्द शुरू हो गया। (Jungle Stories | Stories)

जब वह अपने दोस्त डॉक्टर जिराफ को ढुढ़ने पहुँचा तो पता चला कि वह नकली दवाईयाँ बेचते हुए पकड़ा गया है और जेल में है। तोंदूमल का इलाज नया डॉक्टर भालूराम करने लगा। भालूराम तोंदूमल की आदतों को अच्छी तरह जानता था।

‘‘तुम ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह जी सकोगे”। भालूराम ने उससे कहा, हाँ ज्यादा जीना चाहते हो तो एक उपाय है, तुम सिर्फ खाते हो, मेहनत नहीं करते, आज से कोई मेहनत का काम शुरू कर दो। (Jungle Stories | Stories)

Bear and elephant cartoon image

दवा तुम खा चुके हो। तुम्हारे पेट में जो खराबी है, अब सिर्फ किसी मेहनत वाले काम से ही ठीक होगी।’’

उसी दिन से तोंदूमल जंगल के एक ठेकेदार सूंड सिंह के पास नौकरी करने लगा। वह रोज सैकड़ों लकड़ी के शहतीर ढोता और काफी मजदूरी कमाता। (Jungle Stories | Stories)

एक दिन वह सभी दुकानदारों के रूपये देने पहुँचा, ‘‘अब मुझे पता चला कि मेहनत की कमाई क्या होती है।’’ उसने कहा, ‘‘अब न तो मैं बेईमानी करूँगा न बीमार पडूँगा।’’

उसने उन सभी दुकानदारों के रुपये भी लौटाए, जिनमें डॉक्टर भालूराम भी था। जब तोंदूमल ने उसके लिए मिठाई परोसी तो भालूराम ने मुस्कुरा कर कहा, ‘‘अब तुम भी मिठाई खा सकते हो। मेहनती बने रहोगे तो सब कुछ खा सकोगे।’’ (Jungle Stories | Stories)

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