हिंदी नैतिक कहानी: आपस की फूट

एक गरीब किसान था, उसके दो बेटे थे। एक का नाम था रामू तथा दूसरे का नाम भोला था। किसान बहुत मेहनती था, पहले वह दूसरे के खेतों में मजदूरी करता था।

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आपस की फूट

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हिंदी नैतिक कहानी: आपस की फूट:- एक गरीब किसान था, उसके दो बेटे थे। एक का नाम था रामू तथा दूसरे का नाम भोला था। किसान बहुत मेहनती था, पहले वह दूसरे के खेतों में मजदूरी करता था। धीरे-धीरे रूपए बचाकर उसने थोड़े से खेत खरीद लिए। फिर वह अपने ही खेत में खूब मेहनत करने लगा। 

किसान को अपने खेत से इतनी फसल पैदा हो जाती थी कि खा-पीकर वह थोड़ी सी फसल बाज़ार में भी बेच देता था। उसका जीवन बड़े ही सुख और आराम से बीत रहा था। किसान का सुख देखकर कुछ लोग जलते थे। मगर वे कुछ नहीं कर पाते थे।

एक बार किसान बीमार पड़ा। वह ऐसा बीमार पड़ा कि बचने की कोई उम्मीद न रही। तब एक दिन किसान ने अपने दोनों बेटों को अपने पास बुलाया और समझाया, "अपनी मेहनत पर विश्वास करना। दूसरों की बातों में कभी मत आना। आपस में मिलजुल कर रहना और मिलजुल कर ही कोई काम करना।

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किसान की मृत्यु के बाद किसान के दोनों बेटे खेती का काम करने लगे। एक दिन रामू ने अपने छोटे भाई भोला से कहा...

किसान की मृत्यु के बाद किसान के दोनों बेटे खेती का काम करने लगे। एक दिन रामू ने अपने छोटे भाई भोला से कहा, "भैया, गांव के कुछ किसान अपने खेतों में सूरजमुखी लगा रहे हैं, क्यों न हम लोग भी अपने खेत में सूरजमुखी लगाएं। सुना है, सूरजमुखी बाजार में महंगा बिकता है। हमलोग अच्छी फसल पैदा करके खूब पैसे कमाएंगे"।

दोनों भाइयों ने खेत में सूरजमुखी बो दिया। कुछ ही दिनों में अच्छी फसल पैदा हुई। दोनों भाई खुशी से फूले नहीं समाए। वे फसल के पकने का इंतजार करने लगे।

इन दोनों की फसल देखकर इनसे ईर्ष्या रखने वाले लोग जलभुन गए। उन्हें यह जरा भी अच्छा नहीं लगा कि इन दोनों की फसल उनसे ज्यादा हो। फसल पकने और कटने में अभी कुछ समय बाकी था। वे लोग दोनों भाइयों के कान भरने लगे और एक दूसरे के विरूद्ध भड़काने लगे। लोगों की बातें सुन-सुन कर दोनों में एक दूसरे के प्रति मनमुटाव शुरू होने लगा।

दोनों भाई अब सोचने लगे कि मैं ज्यादा मेहनत क्‍यों करूँ? हिस्सा तो बराबर ही मिलेगा। इस प्रकार वे फसल की देखभाल करने में आनाकानी करने लगे। रात में फसल की पहरेदारी भी छोड़ दी। अभी तक तो दोनों रात को जागकर फसल की रखवाली भी करते थे।

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चोरों को पता चल गया कि दोनों भाई अब रात को फसल की रखवाली नहीं करते हैं। उन्हें बड़ा अच्छा मौका मिल गया। फसल भी पक चुकी थी।

एक दिन कुछ चोर रात में खेत में के अन्दर घुस गए और जल्दी-जल्दी फसल काटने लगे। उन्होंने सारी फसल काट ली और लेकर चम्पत हो गए।

अगली सुबह जब दोनों भाइयों को पता चला, कि चोरों ने उनकी सारी फसल काट ली तो दोनों खेत की तरफ दौड़े। सूना खेत देखकर दोनों दहाड़े मार मार कर रोने लगे। उनका रोना सुनकर वहां बहुत से लोग जमा हो गए और सहानुभूति प्रकट करके उन्हें धीरज बंधाने लगे। एक बूढ़े किसान ने दोनों से पूछा, "तुम लोग जानते थे कि फसल की रखवाली नहीं करने पर चोर-काट कर ले जाएंगे, फिर तुम लोगों ने फसल की रखवाली क्‍यों नहीं की?" दोनों भाइयों के पास इस बात का कोई जबाब नहीं था दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगे।

वे समझ गए थे कि यह आपस की फूट का ही नतीजा है। अगर वे दोनों भाई, दूसरों की बातों में न आते और मिलजुल कर काम करते तो यह दिन देखना न पड़ता।

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