प्रेरणादायक कहानी: निंदक नियरे राखिए

गीत को चित्रकारी का बहुत शौक था, लेकिन उसकी माँ हमेशा उसके चित्रों में कमियाँ निकालती थीं, जबकि उसके दोस्त उनकी बहुत तारीफ करते थे। इस कहानी में गीत की माँ उसे समझाती हैं कि आलोचना कैसे उसकी उन्नति के लिए फायदेमंद होती है।

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प्रेरणादायक कहानी: निंदक नियरे राखिए:- गीत को पेंटिंग का बहुत शौक था। उसे जब भी समय मिलता वह  कागज और रंग लेकर बैठ जाता फिर तरह-तरह की चित्रकारी करता। कभी समुद्र में तैरता जहाज, तो कभी गांव के कुएं में पानी भरती औरत का चित्रण करता उसे एक आदत थी कि जैसे ही चित्र पूरा करता, जाकर तुंरत अपनी मम्मी को दिखाता। वह चाहता था कि पापा को भी दिखाए पर नहीं दिखा पाता क्योंकि उसके पापा के पास तो समय ही नहीं था। जब वह दीदी को दिखाना चाहता था तो दीदी कहती मुझे पढ़ना है, या फिर मुझे होम वर्क करना है। तुमने मम्मी को तो दिखा दिया न। मम्मी ध्यान से उसका पूरा चित्र देखतीं पर हर चित्र में वह कुछ न कुछ नुक्स निकाल देतीं। तब गीत को बहुत बुरा लगता कि मम्मी कभी भी मेरे बनाए चित्र की तारीफ नहीं करतीं, हमेशा कमियां ही निकालती रहती हैं।

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माँ की आलोचना और दोस्तों की तारीफ

गीत सोचने लगा कि अब अपने बनाए चित्र किसे दिखाऊं? उसे याद आया की क्‍यों न वह उन चित्रों को अपने साथ पढ़ने वाले दोस्तों को दिखाए। दूसरे दिन ही वह अपने बनाए चित्रों को बस्ते में रखकर स्कूल ले गया और अपने सभी दोस्तों को बुलाकर वह चित्र दिखाए, सभी साथियों ने चित्र देखकर गीत की खूब तारीफ की। किसी ने कहा इतने अच्छे चित्र कैसे बना लेते हो, मुझे भी सिखाओ न! सचिन कहने लगा "गीत तुझे इनको बनाने के लिए समय कब मिल जाता है"। सभी से मिलने वाली तारीफों से गीत फूला न समाया वह सोचने लगा, मेरे प्रत्येक चित्रों में मम्मी को तो कुछ न कुछ कमी नजर आती है पर वही चित्र दोस्तों को कितने अच्छे लगे। अब मैं अपने चित्र दोस्तों को ही दिखाया करूंगा। वैसे भी मम्मी हमेशा मेरी कमियां ही बताती रहती हैं। मैं कितनी भी मेहनत करके लिखूं मम्मी हमेशा यही कहेंगी, अपनी लिखाई सुधारो गीत सोचने लगा कि वह मम्मी से जरूर पूछेगा कि उसकी जिस चीज की सभी तारीफ करते हैं मम्मी उसमें कमियां क्यों बताती हैं।

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गीत स्कूल से लौटा सीधे मम्मी के कमरे में गया और कहा- "मम्मी आपसे एक बात पूछूँ,आप डांटेगी तो नहीं?"

"अभी स्कूल से आया है और तुरंत सवाल पूछना शुरू कर दिया अपना सामान जगह पर रखो कपड़े बदलो, हाथ मुंह धो, फिर सवाल करना"। नहीं मम्मी मुझे अभी पूछना है।

"अच्छा बाबा, पूछो। मैं नहीं डाटूंगी!"

"आप ही बताइए कि मेरे बनाए चित्रों में आप हमेशा कोई न कोई कमी क्‍यों बताती हैं जबकि मेरे दोस्त उन्हीं चित्रों की खूब तारीफ करते हैं"।

"अच्छा तो आज तुम अपने दोस्तों को चित्र दिखाकर आए हो"।

"आप बात पलट रही हैं, मेरे सवाल का जवाब दीजिए न"।

माँ की सलाह का महत्व

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बेटा तू इतनी सी बात समझ नहीं पाया। कहा जाता है- "निंदक नियरे राखिए आगन कुटि छवाय," अर्थात अपनी निंदा करने वालों को अपने घर में ही पनाह देनी चाहिए यदि मैं तुम्हारी तारीफ करने लगूंगी तो तुम्हें तुम्हारी गलतियां कौन बताएगा और जब गलती का पता नहीं चलेगा तो तुम और अच्छा बनने की कोशिश भी नहीं करोगे और जब ऐसा नहीं होगा तो आगे कैसे बढ़ोगे? रही तुम्हारे दोस्तों की बात, तो वे सब तुम्हारे बराबर हैं। उनका ज्ञान भी तुम्हारे बराबर ही है तो वे तुम्हारी कमियां कैसे निकाल पाएंगे, कभी अपने टीचर को दिखाना फिर देखना वे क्या कहते हैं?

आलोचना और उन्नति

पुराने जमाने में राजा महाराजा अपनी कमियां बताने वालों की बहुत इज्जत करते थे और उनकी बातों को ध्यान से सुन कर उन पर अमल करते थे। हां ये बात ओर थी कि राजा के सामने सब में यह हिम्मत नहीं होती थी कि वे उनके विरुद्ध कुछ बोल सकें पर जो बोलते थे और यदि उनकी बात सही होती थी तो वह राजदरबार में इज्जत पाते थे।

मम्मी मैं समझ गया अब मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है। मैं अपने चित्र बनाकर सबसे पहले आपको ही दिखाया करूंगा।

कहानी से सीख: सच्ची आलोचना से ही सुधार संभव है। जो लोग आपकी कमियाँ बताते हैं, वे आपकी उन्नति के लिए जरूरी होते हैं।

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