Jungle Story: नमकहरामी महापाप है

घर से बाहर निकाला हुआ भोला घोड़ा रोते-रोते कई मीलों तक चलते-चलते इस जंगल तक पहुँच गया था। भोला को देखकर जंगल के सारे प्राणी आश्चर्य चकित थे कि यह नया प्राणी कहाँ से आ टपका और यह इतना उदास क्यों हैं?

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Elephant and horse in jungle cartoon image

नमकहरामी महापाप

Jungle Story नमकहरामी महापाप है:- घर से बाहर निकाला हुआ भोला घोड़ा रोते-रोते कई मीलों तक चलते-चलते इस जंगल तक पहुँच गया था। भोला को देखकर जंगल के सारे प्राणी आश्चर्य चकित थे कि यह नया प्राणी कहाँ से आ टपका और यह इतना उदास क्यों हैं? उसे देखकर सभी चिंतित हो गये। भोला तो बस रोता ही जा रहा था। यह तो बड़ी विचित्र घटना दिख रही है। जब भोला कुछ हाँ या ना का जवाब नहीं देगा तो उसके दुःख का कारण कैसे पता चलेगा? (Jungle Stories | Stories)

सभी प्राणी एक दूसरे का मुँह ताकने लगे। किसी को पता नहीं कि भोला का दुःख कैसे दूर हो सकेगा। काफी मंथन के बाद अन्त में उन्होंने यह तय किया कि सब लोग मिलकर हाथी दादा के पास चलते हैं। अब वही इसका हल निकालेंगे। सभी प्राणियों की फौज हाथी दादा के पास पहुँच गयी। सबने प्रणाम किया, तत्पश्चात अपनी समस्या से हाथी दादा को अवगत कराया। 

भोला घोड़े के विषय में सुनकर हाथी दादा व्यथित होकर खडे़ हो गये। और तुरन्त ही भोले के पास चलने को कहा। इसे कहते हैं सच्चा दयावान! किसी का दुःख-व्यथा जानकर हाथी दादा कभी बैठे नहीं रहते। तुरन्त ही उसे दूर करने का उपाय ढूंढने लगते। मुंह से तो सभी अच्छी-अच्छी बातें करते हैं, लेकिन जब काम करने का समय आता है तो बहाने बनाकर रफूचक्कर हो जाते हैं। लेकिन हमारे हाथी दादा ऐसे नहीं थे। उनकी करनी-कथनी में कोई भेद नहीं था। मुझे अभी समय नहीं है, बाद में आऊँगा। या फिर मैं किस-किस की समस्या सुलझाने का काम करुं? क्या मेरे हज़ार हाथ हैं? या फिर "उसकी मदद करने से मुझे क्या लाभ? मैं मुफ्त में अपना समय क्यों बरबाद करुं?’’ इस तरह के जवाब हाथी दादा ने कभी किसी को नहीं दिए। इसीलिए उन्हे सब आदर और सम्मान की दृष्टि से देखा करते थे। श्रीमद् भगवद् गीता में भगवान के द्वारा दिये आदेशों का पालन जो नहीं करता और तोते के जैसे बिना समझे केवल रटते जाता है। उसे गीता पढ़ने का कोई फल नहीं मिलता है। भगवान का सच्चा भक्त तो भगवान के दिखाये रास्ते पर चलने का अपना पूर्ण प्रयास करता है। हाथी दादा के कारण ही जंगल में इतनी सुख-शांति थी। हाथी दादा तुरन्त ही किसी भी समस्या को सुलझा देते थे। (Jungle Stories | Stories)

हाथी दादा ने भोला को बड़े भावुक होकर कहा, "भाई आज से तुम हमारे परिवार के सदस्य...

हाथी दादा ने भोला को बड़े भावुक होकर कहा, "भाई आज से तुम हमारे परिवार के सदस्य हो गये हो यहाँ पर सभी आपस में भाई-बहन हैं। आप को जो भी तकलीफ हो, बेझिझक बोल दो, हम तुम्हारे दुःख में सहभागी हैं। मुझसे कोई संकोच मत करो, हमसे जितना हो सकेगा हम तुम्हारी मदद अवश्य करेंगे।’’ (Jungle Stories | Stories)

Elephant and Horse in jungle cartoon image

भोला घोड़ा हाथी दादा की बातों से आश्वस्त होकर रोते हुए कहता है, "मुझे अब जीने की कोई इच्छा नहीं रही, मुझे अब मरने के ही विचार आते हैं। जिस सेठ के लिए मैं जवानी में जी तोड़ मेहनत करके काम करता रहा। भारी से भारी सामान दूर-दूर तक अपनी पीठ पर ढोता रहा। उसी सेठ ने मुझे आज इसलिए घर से बाहर निकाल दिया कि मैं अब पहले जैसा ज्यादा काम नहीं कर पाता हूँ। बस इसी वजह से मुझे घर से बाहर लावारिस की तरह निकाल दिया। उस सेठ ने मेरी नमक हलाली का बदला नमक हरामी से दिया। बुढ़ापे में सहारा देना उसका कर्तव्य था। लेकिन उसने मुझे धोखा दिया। मेरे साथ गद्दारी की।’’ कहते-कहते भोला जोर से रो पड़ा।

हाथी दादा भोला की बात सुनकर काफी उदास हो गये। अपनी आंखे दो पल के लिए बंद कर लीं। अन्य  सभी दुःख व्यक्त करने की मुद्रा में खडे़ रहे। हाथी दादा कहते हैं, "शांत हो जाओ भईया, जैसे तुम्हें यह दुःख अब आया है। ऐसे दुःख तो ईश्वर को दिन रात भुगतने पड़ते हैं। लेकिन प्रभु कभी भी अपना मन मलिन नहीं करते हैं। दुःख भरी आहें नहीं भरते।’’ (Jungle Stories | Stories)

यह सुनकर सभी प्राणियों को बड़ा विस्मय हुआ कि कैसी अजीब बात कर रहे हैं हाथी दादा। भगवान को भला कैसे दुःख हो सकता है? उन्हें कौन सी बात दुःखी कर सकती है?

हाथी दादा सभी के चेहेरे पर आये मनोभाव को समझ गये। फिर अपनी बात को गहराई से समझाते हुए कहते हैं, देखो, ईश्वर ने हम सबके लिए कितना परिश्रम करके यह दुनिया बनायी। हमारे लिए सुख सुविधा की पूरी व्यवस्था की। हमें भूखा-प्यासा न रहना पड़े इसलिए पीने के लिए पानी और खाने के लिए फल-फूल, सब्जियाँ, वनस्पति आदि का सुन्दर सृजन किया। अंधेरे में न रहना पड़े इसलिए सूर्य की रोशनी प्रदान की। चन्द्रमा-वायु को बनाया जो हमे और प्रकृति को प्रफुल्लित और स्वस्थ रखते हैं। प्रभु ही हमारा हर घड़ी ख्याल करते हैं। इसीलिए कभी हमें भूखे पेट सोना नहीं पड़ता। लेकिन फिर भी जो नमकहराम प्राणी होते हैं, वे ईश्वर के इस उपकारों को भूलकर ऐशो-आराम में मग्न रहते हैं। उन्हे प्रभु द्वारा किए गए उपकारों के लिए धन्यवाद कहने, प्रभु का स्मरण करने के लिए दो पल की फुरसत नहीं मिलती। उन्हें केवल मौज मस्ती करके और दूसरों को परेशान करके ही मजा आता है। ऐसे नमक हराम प्राणियों को देखकर प्रभु को भी भोला की तरह ही दुःख का अनुभव होता होगा। माँ भगवती जगदंबा तो सारी सृष्टि की जननी हैं। सभी प्राणी उनकी संतान हैं। जिस संतान को अपनी माता की कदर न हो, अपनी माता के लिए थोड़ा सा समय भी नहीं निकाल सकता हो माँ का अपमान करता हो तो माँ के दिल को कितनी व्यथा होती है। वैसी ही व्यथा इन नमक हराम प्राणियों को देखकर ईश्वर को महसूस होता होगा। ऐसे प्राणियों को जीवन देने के लिए पश्चाताप होता होगा।’’ यह सुनकर सभी प्राणियों को हाथी दादा की बात समझ मे आ गई, कि अगर ईश्वर के आदेशों का पालन नहीं होता है तो उन्हें भी पश्चाताप होता होगा। (Jungle Stories | Stories)

भोला की तरफ मुखातिब होकर हाथी दादा बोले, "भाई! यह तो सृष्टि का नियम है कि जो दूसरे के लिए गड्ढा खोदता है, वह स्वयं उसी गड्ढे में जा गिरता है। मतलब जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा। आज जिस मालिक ने तुझे घर से बाहर निकाला है। कल उसके बच्चे भी उसके बूढ़ा होने पर उसे घर से बाहर निकाल देगें। तब उसे भी तुम्हारे जैसा एहसास होगा।’’ यह सुनकर भोला के चेहरे पर प्रसन्नता आ गयी। 

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फिर सभी प्राणियों को संबोधित करते हुए हाथी दादा कहते हैं, "जो प्राणी ईश्वर को ईमानदारी से याद करता है। उसे ईश्वर हमेशा याद रखते हैं। लेकिन जो ईश्वर को भूल जाते हैं, उन्हें ईश्वर भी भूल जाते हैं। और उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उसकी मदद भी कोई नहीं करता है। उस समय उसके पछतावे का कोई अन्त नहीं होता। उसकी नमकहरामी का फल अवश्यक उसे भुगतना पड़ता है। इसलिए प्रभु के उपकारों को कभी भूलना नहीं चाहिए।’ (Jungle Stories | Stories)

फिर हाथी दादा भोला को प्यार से कहते हैं, "भईया! आज से इस जंगल के सभी प्राणी तुम्हारे अपने हैं। आज से यह तुम्हारा घर है। तुम्हारे दुःख दर्द हमारे हैं। छोटे-बड़े सभी प्राणी तुम्हारा ख्याल रखेंगे। अपने मन से सब दुःख निकाल कर आराम से यहाँ पर रहो। खाओ-पियो, प्रभु का गुणगान करो।’’

इतनी बातें सुनकर भोला का मन हल्का हो गया और हाथी दादा के पास आकर उनका आशीर्वाद लेकर प्रसन्नता से वहाँ पर रहने लगा। (Jungle Stories | Stories)

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