Jungle Story: बांसुरी की धुन

मोंटी बन्दर बांसुरी बहुत अच्छी बजाता था। उसकी बांसुरी की धुन सुनने के लिए उसके आसपास जानवरों की भीड़ जमा हो जाती थी। जानवर मीठी धुन सुनकर सबकुछ भूल जाते थे। एक दिन मोंटी बंदर पीपल के पेड़ के नीचे।

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बांसुरी की धुन

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Jungle Story बांसुरी की धुन:- मोंटी बन्दर बांसुरी बहुत अच्छी बजाता था। उसकी बांसुरी की धुन सुनने के लिए उसके आसपास जानवरों की भीड़ जमा हो जाती थी। जानवर मीठी धुन सुनकर सबकुछ भूल जाते थे। एक दिन मोंटी बंदर पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर बांसुरी बजा रहा था। उसके आसपास जानवरों की भीड़ थी। सब मंत्रमुग्ध हो कर धुन सुन रहे थे। (Jungle Stories | Stories)

तभी वहां खीसू लोमड़ आया। वह एक नंबर का निकम्मा और आलसी था। उसने कभी भी कमाने की चिंता नहीं की खरगोश जैसे छोटे जानवरों को मार कर वह अपना पेट भर लेता था। सारे छोटे जानवर उससे डरते थे और नफरत करते थे।

वहां जमा भीड़ में बहुत सारे खरगोश भी थे। खरगोशों को देखकर खीसू लोमड़ ने सोचा, "अगर किसी तरंह मुझे मोंटी की बांसुरी मिल जाए तो मैं भी उसे बजाकर अपने आसपास ढेर सारे खरगोशों को बुला लूंगा। फिर ऐसी धुन बजाऊंगा कि खरगोश मंत्रमुग्ध हो जाएंगे और मैं आसानी से उन्हें मार मार कर खा सकूंगा।'' (Jungle Stories | Stories)

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जब मोंटी बांसुरी बजा चुका तो खीसू लोमड़ उसके पास गया। उसने मोंटी की खुशामद करते हुए कहा, "मोंटी भाई, क्या तुम मुझे अपनी बांसुरी दोगे?''

“मेरी बांसुरी लेकर तुम क्या करोगे, तुम्हें तो बांसुरी बजाना आता ही नहीं।”

“आता है न, ''खीसू लोमड़ खीसें निपोरते हुए बोला, ''बस तुम मुझे यह बांसुरी दे दो। मैं भी इसे बजाऊंगा।"

“अरे, ऐसे कैसे दे दूँ" मोटी ने उसे झिड़कते हुए कहा, "बांसुरी मुफ्त में मिलती है क्या? यदि खरीदना चाहते हो तो 500 रूपये लाओ और ले जाओ।" (Jungle Stories | Stories)

मोंटी बंदर ने जानबूझ कर 1000 रूपये का नाम कहा ताकि वह दुबारा लौट कर न आए। मगर कहां, खीसू मन ही मन कुछ सोचते हुए रूपये के जुगाड़ में वहां से चल दिया।

खीसू ने रूपये के लिए सबके आगे हाथ फैलाए, परन्तु किसी ने उसे फूटी कौड़ी नहीं दी। अंत में थकहार कर बह अपने घर लौटने लगा। तभी...

खीसू ने रूपये के लिए सबके आगे हाथ फैलाए, परन्तु किसी ने उसे फूटी कौड़ी नहीं दी। अंत में थकहार कर बह अपने घर लौटने लगा। तभी उसके मन में यह विचार आया, 'क्यों न किसी के घर में चोरी कर लूं। यह सोचकर वह रूपए चुराने निकल पड़ा। उसे रंगू कुत्ते का घर खुला दिखाई दिया। इधर-उधर देखकर वह चुपचाप उसके घर में घुस गया और उसकी आलमारी खुली थी। आलमारी में 1000 रूपये रखे हुए थे। रूपये जल्दी से चुरा कर वह बाहर भाग आया। रूपये पा कर खीसू बहुत खुश हुआ।

अगले दिन वह रूपये लेकर मोंटी बंदर के पास गया और उसे रूपए देते हुए बोला, 'लाओ, मुझे अपनी बांसुरी दे दो।' (Jungle Stories | Stories)

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मोंटी उसकी तरफ आश्चर्य से देखता हुआ बोला, 'तुम्हारे पास 1000 रूपए कहां से आए? तुम तो कोई कामधाम नहीं करते। लगता है तुमने चोरी की है।'

“तुम्हें आम खाने से मतलब है या पेड़ गिनने से।” खीसू नाराजगी से बोला, 'तुमने मुझसे 1000 रूपए मांगे थे, सो मैं ले आया। अब तुम अपनी बांसुरी मुझे दे दो।'

मोंटी ने सोचा, मुझे 1000 रूपए ले कर इसे बांसुरी दे देनी चाहिए। फिर इस चोर के बारे में पुलिस को भी बता देना चाहिए। अगर मैंने इसे अपनी बांसुरी नहीं दी तो यह रूपए लेकर कहीं गायब भी हो सकता है। मोंटी ने 1000 रूपए लेकर खीसू को अपनी बांसुरी दे दी। उसके बाद वह सीधा थाने गया।

उसने इंस्पेक्टर गधे राम को सारी बात बता दी। तभी वहाँ रंगू कुत्ता भी पहुँच गया और रूपए चोरी होने की रिपोर्ट लिखाने लगा। (Jungle Stories | Stories)

इंस्पेक्टर गधेराम ने रंगू कुत्ते से कहा, "तुम्हारे रूपए तुम्हें मिल जाएंगे। चोर कर पता चल गया है।”

रंगू कुत्ता हैरानी से बोला, "अरे वाह, अभी रिपोर्ट लिखाया और अभी ही चोर का पता भी चल गया। आप जादू जानते हैं क्या?”

“जादू नहीं, यह सब मोंटी के कारण संभव हो सका है। (Jungle Stories | Stories)

“फिर उसने सारी बात रंगू को बताकर कहा, “इसमें मोंटी ने होशियारी से काम लिया है। चोर जरूर कही बंसी बजा रहा होगा। उसकी बांसुरी की धुन सुनकर हम वहाँ पहुंच जाएंगे और उस चोर को आसानी से पकड़ लेंगे।'
उधर बांसुरी पा कर खीसू लोमड़ बांसुरी पर बेसुरी धुन बजा कर खरगोशों को बुलाना चाहता था।

खरगोश तो क्‍या आते? वहां पुलिस पहुंच गई। पुलिस को देखकर खीसू घबरा गया।

चोरी पकड़े जाने से खीसू लोमड़ की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। गधेराम के डंडे पड़ते ही उसने अपना अपराध कबूल कर लिया।

इंस्पेक्टर गधेराम उसे पकड़ कर थाने ले गया। रंगू कुत्ते को 1000 रूपए मिल गए और मोंटी बंदर को अपनी प्यारी बांसुरी वापस मिल गई। मोंटी बंदर फिर से बांसुरी पर मीठी धुन छेड़ने लगा। (Jungle Stories | Stories)

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