Jungle Story: गीदड़ व लोमड़ी का बदला यह बदले की भावना भी बड़ी विचित्र है। इन्सान तो क्या जानवर भी इससे अछूते नहीं रह पाते। एक समय की बात है एक घने जंगल में एक गीदड़ और लोमड़ी रहा करते थे। यूं कहने को तो वे मित्र थे। By Lotpot 10 Jan 2024 in Stories Jungle Stories New Update गीदड़ व लोमड़ी का बदला Jungle Story गीदड़ व लोमड़ी का बदला:- यह बदले की भावना भी बड़ी विचित्र है। इन्सान तो क्या जानवर भी इससे अछूते नहीं रह पाते। एक समय की बात है एक घने जंगल में एक गीदड़ और लोमड़ी रहा करते थे। यूं कहने को तो वे मित्र थे परन्तु दोनों ही किसी न किसी बात पर एक दूसरे को छकाते रहते और फिर बदला लेने की ताक में लगे रहते। (Jungle Stories | Stories) एक दिन लोमड़ी गीदड़ से बोली- ‘गीदड़ मामा चलो टीले के उस पार गुफा में शेरनी ने बच्चे दिये हैं, शेर तो दिन में शिकार की खोज में चला जाता है, शेरनी अकेली रह जाती है। चलो चल कर उसके बच्चे उठा लाते हैं। बहुत दिनों से नरम नरम मांस खाने को नहीं मिला।’ गीदड़ बोला- ‘ना लोमड़ी मौसी, मैं नहीं जाऊंगा शेर की मांद में, मुझे तो डर लगता है।’ लोमड़ी ने जिद्द की- ‘क्या गीदड़ मामा, तुम भी कितने डरपोक हो, शेरनी तो अभी बहुत कमजोर है। फिर मैं जो हूं तुम्हारे साथ, मजाल है जो कोई तुम्हारी तरफ आंख भी उठा कर देख सके।’ (Jungle Stories | Stories) अंत में, तय हुआ कि गीदड़ अपनी पूंछ लोमड़ी की पूंछ से बांध लेगा तब चलेगा... अंत में, तय हुआ कि गीदड़ अपनी पूंछ लोमड़ी की पूंछ से बांध लेगा तब चलेगा। बस दोनों आपस में पूंछ बांधे चले, शेर की मांद में। अब हुआ यह कि जब शेरनी ने दूर से उन्हें अपनी गुफा की तरफ आते देखा तो उसने अपने बच्चों को बचाने की एक तरकीब सोची। जैसे ही वे दोनों उसकी गुफा के पास पहुंचे शेरनी उन्हें सुनाने को ऊंचे स्वर में जोर से बोली- ‘अजी सुनते हो मैं कब से तुम्हें कह रही हूं, मेरा गीदड़ का मांस खाने को जी कर रहा है। जल्दी से जाकर एक गीदड़ पकड़ लाओ कहीं से।’ गीदड़ ने इतना सुना कि उसने आव देखा ना ताव मारे डर के सिर पर पैर रख कर भागा वहां से। और लोमड़ी थी कि घिसटती ही चली गई उसके साथ। पूंछ जो बंधी थी। जमीन में रगड़ के कारण तमाम पीठ में छाले पड़ गये। बस उस दिन से वो गीदड़ से बदला लेने की ताक में रहने लगी। (Jungle Stories | Stories) एक किसान ने अपने खेत में ढेर सारे गन्ने लगाये, लोमड़ी रात में चुपके से जाती कुछ गन्ने खाती कुछ उखाड़ कर फेंकती। किसान जब सुबह आकर देखता तो उसे बड़ा गुस्सा आता। एक रात वो डंडा लेकर खेत में बैठ गया बैठे-बैठे उसे झपकी आ गई। लोमड़ी रात में आई तो किसान को डंडा लेकर सोते देखा। सीधी पहुंची गीदड़ के पास। बोली-‘गीदड़ मामा! गीदड़ मामा! यहां से थोड़ी दूर पर ही एक गन्ने का खेत है। उस में ढेर सारे गन्ने लगे हैं। चलो चल कर दावत उड़ायें। गीदड़ महाराज आ गये उसकी बातों में। और उछलते कूदते लोमड़ी के पीछे हो लिए। दोनों खेत में पहुंचे। गीदड़ तो बस लगा दबादब गन्ने चूसने। पर लोमड़ी चुपचाप वहां से खिसक ली और तमाशा देखने को दूर पेड़ के पीछे छुप कर खड़ी हो गई। अब गीदड़ की तो आदत होती है कि जब पेट भर जाये तो हां..ऊं..हां..ऊं.. करने लगता है। सो गीदड़ महाराज लगे शोर मचाने। फिर क्या था, किसान की आंख खुल गई, उसने उठाया डंडा और तड़ातड़ तड़ातड़ खूब धुनाई करी गीदड़ की। दूर पेड़ के पीछे से यह सब देख लोमड़ी हंसते-हंसते लोटपोट हो गई। गीदड़ मामा किसी प्रकार लुढ़कते पुढ़कते अपनी गुफा तक पहुंचे। (Jungle Stories | Stories) अब गीदड़ की बारी थी बदला लेने की। वो रात दिन इसी सोच में डूबा रहता कि कब और कैसे लोमड़ी से इस मार का बदला लिया जाए? आखिर उसे एक तरकीब सूझ ही गई। एक दिन गीदड़ ने खूब बढ़िया बढ़िया भोजन तैयार किया। तरह-तरह के पकवान बनाये, फिर गुफा के भीतर ही एक गहरा गड्ढा खोदा। उसे हल्की फुल्की घास फूस से ढक कर ऊपर से सुन्दर-सा आसन बिछा दिया और सामने सब पकवान सजा कर रख दिये। फिर पहुंचा लोमड़ी के पास। बोला- ‘लोमड़ी मौसी, लोमड़ी मौसी उस दिन तुमने मुझे बड़े मीठे गन्ने खिलाये। आज मेरी ओर से तुम्हें दावत है। चलो चल कर देखो मैंने तुम्हारे लिए कितने बढ़िया बढ़िया पकवान बनाये हैं। पकवान के नाम से लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया और वो गीदड़ के यहां दावत खाने चल दी। (Jungle Stories | Stories) गुफा मे पहुँच कर लोमड़ी ने देखा कि वाकई में वहां पर किस्म-किस्म के पकवान परोसे हुए थे। बढ़िया खुशबू आ रही थी। समीप में ही आसन भी बिछा हुआ था लोमड़ी अपने पर काबू न रख सकी। वह आसन पर बैठने को जोर से उछली। और जैसे ही आसन पर कूदी कि धम्म से गड्ढे मैं जा गिरी। फिर क्या था। लोमड़ी लगी चीखने चिल्लाने- ‘अरे मैं मर गई कोई मुझे बाहर निकालो।’ परन्तु उसकी सुनता कौन? गीदड़ अपनी चाल कामयाब होते देख खुशी से पागल हो उठा। वह इतना नाचा कूदा कि गड्ढे की बात ही भूल गया। और कूदते-कूदते गड्ढे में ही गिर पड़ा। अब तक लोमड़ी को गीदड़ की सारी चाल समझ में आ गई थी। गीदड़ को गिरते देख उसे बड़ा मजा आया। झट से आंखें मटका कर बोली-‘आइये...आईये पधारिये.. गीदड़ मामा। आपका स्वागत है।’ यह सुन गीदड़ बहुत खिसियाया। उसे बड़ी शर्म आई, खैर अब जो हुआ सो हुआ। अब वे दोनों गड्ढे से बाहर निकलने का उपाय सोचने लगे। आखिर गीदड़ की पीठ पर पैर रख कर पहले लोमड़ी बाहर निकली फिर लोमड़ी ने अपनी पूंछ लटकायी तो उसके सहारे गीदड़ बाहर निकला। इस प्रकार एक दूसरे की सहायता से दोनों गड्ढे से बाहर निकल आये। बाहर आकर दोनों ने मिल कर पकवान खाये। और कभी ना लड़ने की प्रतिज्ञा की। वे जान गये कि मिल जुल कर रहने में जो आनन्द है वह लड़ने झगड़ने में नहीं। उस दिन से उनका समय आपस में हंसते खेलते बीतने लगा। (Jungle Stories | Stories) lotpot-e-comics | hindi-bal-kahania | bal kahani | short-stories | short-hindi-stories | hindi-short-stories | hindi-kahania | kids-jungle-stories | jungle-hindi-stories | hindi-stories | kids-hindi-stories | lottpott-i-konmiks | hindii-baal-khaanii | बाल कहानी | hindii-khaaniyaan | chottii-hindii-khaanii यह भी पढ़ें:- Jungle Story: तीन तितलियां Jungle Story: चालाक हिरण Jungle Story: मीठे हो गए अंगूर Jungle Story: नेकी का फल #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Hindi Kahania #Hindi Bal kahania #Kids Stories #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #kids Jungle Stories #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #हिंदी कहानियाँ #kids hindi stories #Jungle Hindi Stories You May Also like Read the Next Article