Jungle Story: दुख की आवश्यकता ‘‘हाय रे भगवान! मुझ पर इतना बड़ा क्रोध! तुमने मुझे कितना बड़ा धोखा दिया। सुबह-शाम तेरी माला जपती थी। कुछ गलत काम नहीं करती थी। गजराज हाथी दादा के पास जाकर उपदेश सुनती थी, फिर भी तुम ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।’’ By Lotpot 01 Jan 2024 in Stories Jungle Stories New Update दुख की आवश्यकता Jungle Story दुख की आवश्यकता:- ‘‘हाय रे भगवान! मुझ पर इतना बड़ा क्रोध! तुमने मुझे कितना बड़ा धोखा दिया। सुबह-शाम तेरी माला जपती थी। कुछ गलत काम नहीं करती थी। गजराज हाथी दादा के पास जाकर उपदेश सुनती थी, फिर भी तुम ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।’’ छोटी सी लिली गिलहरी रोते-रोते अपने मन ही मन में बोली जा रही थी। (Jungle Stories | Stories) आज उसकी प्रिय सखी नीली कछुई ने उसे भला-बुरा कहा था। सभी प्राणियों के बीच उसका अपमान कर दिया। प्यार से उसने नीली कछुई को ज़रा सा कहा था कि, ‘‘न जाने कब तुझ में चपलता के गुण आऐगें? कितने धीरे-धीरे काम करती है।’’ बस, इतना सुनते ही नीली जोर-जोर से चिल्लाकर कहने लगी, ‘‘अरे लिली! तु इतनी अभिमानी कैसे हो गई? मैं ही तुझे मिली अपमानित करने के लिए? मेरी जितनी शक्ति है उतना ही काम कर सकूगीं न। इतनी सीधी सी बात तुम्हें समझ में नहीं आती क्या? पहले खुद की सूरत तो आइने में देख। तू कितनी छोटी और कमज़ोर है, और मेरा शरीर देख कितना मजबूत है। बड़े-बड़े शेर-बाघ भी मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकते। जबकि तुझे तो कोई भी मार सकता है। तुमसे कई गुना अच्छी हूँ मैं।’’ ऐसा बोलकर बड़ी कठोरता पूर्वक अमर्यादित ढंग से बात करने लगी। इतने में मेढ़क और पड़ोसन मछली भी नदी से निकलकर नीली का पक्ष लेकर झगड़ने आ पहुँचे। (Jungle Stories | Stories) लिली गिलहरी हाथी दादा के पास जाकर कहती है, ‘‘हाथी दादा, प्रणाम! अब मैं कभी आपके पास प्रभु-भजन करने नहीं आऊंगी। मेरा तो विश्वास प्रभु के ऊपर से उठ गया है। अब आप मुझे कुछ समझाने का प्रयास न करें। अब मैं गीता का पाठ भी नहीं करूंगी।’’ ‘‘अरे पगली कहीं की! ऐसा कभी नहीं कहते। पहले बात तो बताओ, ऐसी क्या बात हो गई जो उल्टा सीधा बके जा रही है?’’ हाथी दादा बड़े प्यार भरे अंदाज में बोले। (Jungle Stories | Stories) इतना सुनते ही लिली रोने लगी। फिर आँसू पोंछते हुई कहती है, ‘‘जाने दीजिए हाथी दादा, अब बताने से क्या होगा? आज मुझे इतना अपमानित होना पड़ा कि जी चाहता है कि आत्महत्या कर लूँ मैं। किसी के साथ एक मज़ाक भरी बात करने पर मुझे कितनी गाली सुननी पड़ी। मैं आपका प्रवचन सुनने के लिए अपना खेल-कूद छोड़कर आ जाती थी। गीता-ज्ञान सीखने प्यार से बैठी रहती थी, तो प्रभु ने मुझे उसकी ये सजा दी। उन सब प्राणियों के सामने मेरी दयनीय स्थिति हो रही थी तो वहाँ मेरी रक्षा क्यों नहीं की? मैं उनका काम करती हूँ, तब उन्हे मेरी फिक्र क्यों नहीं करनी चाहिए?’’ इस प्रकार लिली ने अपने साथ घटी सारी घटना का वृत्तांत सुना डाला। यह सुनकर हाथी दादा भावविभोर हो गये। उनकी दोनों आँखों में आंसू आ गये। फिर हाथी दादा... यह सुनकर हाथी दादा भावविभोर हो गये। उनकी दोनों आँखों में आंसू आ गये। फिर हाथी दादा अपने घर के अंदर गये और एक वज़नदार भारी कसरत करने का लोहे का साधन लाते हैं। और दोनो हाथों से उठाकर भांजने लगते हैं। फिर उस वज़नदार साधन को लिली के सामने रखते हैं इस साधन को देखकर लिली को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि हाथी दादा क्या कर रहे हैं। हाथी दादा लिली को प्यार से समझाते हुए कहते हैं, ‘‘लिली! देखो इस वज़नदार साधन से मैं रोज़ व्यायाम करता हूँ। इसे उठाने में भारी ताकत लगती है। शरीर पसीने-पसीने हो जाता है। लेकिन यह परिश्रम जरूरी है। इससे ही मेरा शरीर ताकतवर और मजबूत बनता है। यह साधन बहुत भारी है, उठाना भारी पड़ता है। यह सोचकर यदि मैंने व्यायाम करना छोड़ दिया होता तो आज यह पहलवान जैसे ताकतवर शरीर का क्या हो पाता था?’’ (Jungle Stories | Stories) ‘‘लिली प्रत्युत्तर में बोली, ‘‘नहीं, कसरत में तकलीफ तो होती है। उसका फायदा बाद में मिलता है। यह आवश्यक तकलीफदायक है।’’ ‘‘बस, लिली! मैं तुझे यही समझाना चाहता हूँ। जिस प्रकार हमे शरीर को संभालना चाहिए उसी प्रकार मन का भी ध्यान रखना चाहिए। जीवन में सुख-शांति प्राप्त करने का आधार मन के ऊपर ही निर्भर है। यदि मन सुखी होगा तो जीवन में आनंद रहेगा, मन यदि दुःखी है, रूठा है तो जीवन से रस उड़ जायेगा। जीवन नीरस होकर रह जायेगा। मन को तालीम देने के लिए सुख और दुःख दोनों होने चाहिए। जीवन में यदि सुख ही मिलता रहेगा तो मन का विकास रूक जायेगा। वह कच्चा ही रह जायेगा। केवल सुख ही मिलते रहने से वह संकुचित हो जायेगा। जीवन में थोड़ा दुःख आने से अपनी और लोगों की पहचान होती हैं। जीवन से लड़ने की क्षमता विकसित होती है, जीवन भावपूर्व होने लगता है, जीवन की क्या कीमत है, यह भी समझ में आता है। (Jungle Stories | Stories) ऐसी कई सारी बातें हैं जो कि दुःख आने पर ही जीवन का विकास निर्मित करती हैं। हमारी जगत जननी माँ जगदंबा हम सब को इसलिए दुःख भेजती रहती हैं क्योंकि वह माता हैं। वह अपनी संतान का सर्वगुण और गलतियों-अपराधों के लिए सजा भी देती हैं। माँ बच्चों के अन्दर विभिन्न गुणों को विकसित करने के लिए तरह-तरह के नित्य प्रयोग करती रहती हैं, वह कठिन कार्य सौंप कर कठिन गुण विकास भी करवाती हैं। लेकिन इन सबके पीछे उसका बुरा इरादा नहीं होता है।’’ तब तक लिली को सारी बातें समझ में आ चुकी थीं। उसे अपनी नादान भूल पर पश्चाताप होने लगा। वह बोली, ‘‘हाथी दादा! मुझसे गलती हो गयी, मैं खुद पर शर्मिदा हूँ’’। (Jungle Stories | Stories) हाथी दादा फिर हँसते हुए बोले, ‘‘इनती मानसिक रूप से मजबूत हो जाओ कि, एक नहीं ऐसी सौ नीलियां भी इकट्ठी होकर तुम्हें उल्टा-सीधा बोलें फिर भी तुम बिल्कुल विचलित न हो। मन को इतना कोमल भी नहीं रखना चाहिए। प्रभु के जैसा कोई भी हमारी चिंता करने वाला नहीं है। उनके ऊपर हमें पूर्ण विश्वास रखना चाहिए। जिसने हमारे लिए पानी बरसाया, सूरज, चाँद बनाया, पेड़-पौधे-फल-नदी-नाले बनाये। वह हमारा अहित कैसे कर सकता है? दुःख में भी कुछ अच्छा ही होता है। यदि बुद्धि दौड़ाओ तो अवश्य ही पता चलता है कि यह प्रभु का दिया दुःख भी हमारा कुछ अच्छा करने आया था।’’ लिली को अब सब समझ में आ गया था। उसकी सारी शंका का समाधान हो चुका था। (Jungle Stories | Stories) lotpot-e-comics | short-hindi-stories | hindi-short-stories | short-stories | hindi-stories | jungle-stories | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | hindii-baal-khaanii | baal-khaanii | chottii-hindii-khaanii | हिंदी कहानी यह भी पढ़ें:- Jungle Story: मीठे हो गए अंगूर Jungle Story: गल्लू सियार का लालच Jungle Story: झुमकू ने चोर पकड़ा Jungle Story: बंदर और चिड़िया #बाल कहानी #लोटपोट #हिंदी कहानी #Lotpot #Jungle Stories #Kids Stories #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories You May Also like Read the Next Article