Jungle Story: सच्चे मित्र

बहुत समय पहले की बात है। एक सुंदर हरे-भरे वन में चार मित्र रहते थे। उनमें से एक था चूहा, दूसरा कौआ, तीसरा हिरण और चैथा कछुआ। अलग-अलग जाति के होने के बावजूद उनमें बहुत घनिष्टता थी।

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सच्चे मित्र

Jungle Story सच्चे मित्र:- बहुत समय पहले की बात है। एक सुंदर हरे-भरे वन में चार मित्र रहते थे। उनमें से एक था चूहा, दूसरा कौआ, तीसरा हिरण और चैथा कछुआ। अलग-अलग जाति के होने के बावजूद उनमें बहुत घनिष्टता थी। चारों एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे। चारों घुल-मिलकर रहते, खूब बातें करते और खेलते। वन में एक निर्मल जल का सरोवर था, जिसमें वह कछुआ रहता था। सरोवर के तट के पास ही एक जामुन का बडा पेड़ था। उसी पर बने अपने घोंसले में कौआ रहता था। पेड के नीचे जमीन में बिल बनाकर चूहा रहता था और निकट ही घनी झाडियों में ही हिरण का बसेरा था। दिन को कछुआ तट के रेत में धूप सेकता रहता पानी में डुबकियां लगाता। बाकी तीन मित्र भोजन की तलाश में निकल पड़ते और दूर तक घूमकर सूर्यास्त के समय लौट आते। चारों मित्र इकठ्ठे होते एक दूसरे के गले लगते, खेलते और धमा-चौकड़ी मचाते। (Jungle Stories | Stories)

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एक दिन शाम को चूहा और कौआ तो लौट आए, परन्तु हिरण नहीं लौटा। तीनो मित्र बैठकर उसकी राह देखने लगे। उनका मन खेलने को भी नहीं हुआ। कछुआ भर्राए गले से बोला ‘वह तो रोज़ तुम दोनों से भी पहले लौट आता था। आज पता नहीं, क्या बात हो गई, जो अब तक नहीं आया। मेरा तो दिल डूबा जा रहा है। (Jungle Stories | Stories)

चूहे ने चिंतित स्वर में कहा ‘हां, बात बहुत गंभीर है। ज़रूर वह किसी मुसीबत में पड़ गया है। अब हम क्या करें? ‘कौवे ने ऊपर देखते हुए अपनी चोंच खोली मित्रो, वह जिधर चरने प्रायः जाता है, उधर मैं उड़कर देख आता, पर अंधेरा घिरने लगा है। नीचे कुछ नजर नहीं आएगा। हमें सुबह तक प्रतीक्षा करनी होगी। सुबह होते ही मैं उड़कर जाऊंगा और उसकी कुछ खबर लाकर तुम्हें दूंगा।’ (Jungle Stories | Stories)

कछुए ने सिर हिलाया ‘अपने मित्र की कुशलता जाने बिना रात को नींद कैसे आएगी? दिल को चैन कैसे पड़ेगा? मैं तो उस ओर अभी चल पडता हूं मेरी चाल भी बहुत धीमी हैं। तुम दोनों सुबह आ जाना।’ चूहा बोला ‘मुझसे भी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठा जाएगा। मैं भी कछुए भाई के साथ चल पडता हूँ, कौए भाई, तुम पौ फटते ही चल पडना।’ (Jungle Stories | Stories)

कछुआ और चूहा तो चल दिए। कौवे ने रात आंखों-आंखों में काटी। जैसे ही पौ फटी, कौआ उड़ चला उड़ते-उड़ते चारों ओर नजर ड़ालता जा रहा था। आगे एक स्थान पर कछुआ और चूहा जाते उसे नजर आए कौवे ने कांव करके उन्हें सूचना दी कि उन्हें देख लिया है और वह खोज में आगे जा रहा है। अब कौवे ने हिरण को पुकारना भी शुरू किया ‘मित्र हिरण, तुम कहां हो? आवाज दो मित्र।’ (Jungle Stories | Stories)

तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। स्वर उसके मित्र हिरण का-सा था। उस आवाज़ की दिशा में उड़कर वह सीधा उस जगह पहुंचा, जहां हिरण एक शिकारी के जाल में फंसा छटपटा रहा था। हिरण ने रोते हुए बताया कि कैसे एक निर्दयी शिकारी ने वहां जाल बिछा रखा था, दुर्भाग्यवश वह जाल न देख पाया और फंस गया। हिरण सुबका ‘शिकारी आता ही होगा वह मुझे पकड़कर ले जाएगा और मेरी कहानी खत्म समझो। मित्र कौवे! तुम चूहे और कछुए को भी मेरा अंतिम नमस्कार कहना।’
कौआ बोला ‘मित्र, हम जान की बाज़ी लगाकर भी तुम्हें छुड़ा लेंगे।’ हिरण ने निराशा व्यक्त की ‘लेकिन तुम ऐसा कैसे कर पाओगे?’ कौवे ने पंख फडफडाए ‘सुनो, मैं अपने मित्र चूहे को पीठ पर बिठाकर ले आता हूं। वह अपने पैने दांतो से जाल कुतर देगा।’ हिरण को आशा की किरण दिखाई दी। उसकी आंखें चमक उठीं ‘तो मित्र, चूहे भाई को शीघ्र ले आओ।’ (Jungle Stories | Stories)

कौआ उड़ा और तेज़ी से वहाँ पहुंचा, जहां कछुआ तथा चूहा आ पहुँचे थे। कौवे ने समय नष्ट किए बिना बताया ‘मित्रों, हमारा मित्र हिरण एक दुष्ट शिकारी के जाल में कैद है। जान की बाज़ी लगी है शिकारी के आने से पहले हमने उसे न छुड़ाया तो वह मारा जायेगा।’ कछुआ हकलाया ‘उसके लिए हमें क्या करना होगा? जल्दी बताओ?’ चूहे के तेज दिमाग ने कौवे का इशारा समझ लिया था ‘घबराओ मत। कौवे भाई, मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर हिरण के पास ले चलो।’ (Jungle Stories | Stories)

चूहे को जाल कुतरकर हिरण को मुक्त करने में अधिक देर नहीं लगी...

चूहे को जाल कुतरकर हिरण को मुक्त करने में अधिक देर नहीं लगी। मुक्त होते ही हिरण ने अपने मित्रों को गले लगा लिया और रुंधे गले से उन्हें धन्यवाद दिया। तभी कछुआ भी वहाँ आ पहुँचा और खुशी के आलम में शामिल हो गया। हिरण बोला ‘मित्र, आप भी आ गए। मैं भाग्यशाली हूं, जिसे ऐसे सच्चे मित्र मिले हैं।’ (Jungle Stories | Stories)

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चारों मित्र भाव विभोर होकर खुशी में नाचने लगे। एकाएक, हिरण चौंका और उसने मित्रों को चेतावनी दी ‘भाइयो, देखो वह जालिम शिकारी आ रहा है, तुरंत छिप जाओ।’ चूहा फौरन पास के एक बिल में घुस गया। कौआ उड़कर पेड़ की ऊंची डाल पर जा बैठा। हिरण एक ही छलांग में पास की झाड़ी में जा घुसा व ओझल हो गया। परंतु मंद गति का कछुआ दो कदम भी न जा पाया था कि शिकारी आ धमका। उसने जाल को कटा देखकर अपना माथा पीटा ‘क्या फंसा था और किसने काटा?’ यह जानने के लिए वह पैरों के निशानों के सुराग ढूंढने के लिए इधर-उधर देख ही रहा था कि उसकी नजर रेंगकर जाते कछुए पर पड़ी। उसकी आंखें चमक उठीं ‘वाह! भागते चोर की लंगोटी ही सही। अब यही कछुआ मेरे परिवार के आज के भोजन के काम आएगा।’ (Jungle Stories | Stories)

बस उसने कछुए को उठाकर अपने थैले में डाला और जाल समेटकर चलने लगा। कौवे ने तुरंत हिरण व चूहे को बुलाकर कहा मित्रो, हमारे मित्र कछुए को शिकारी थैले में ड़ालकर ले जा रहा है। ‘चूहा बोला हमें अपने मित्र को छुड़ाना चाहिए, लेकिन कैसे?’ (Jungle Stories | Stories)

इस बार हिरण ने समस्या का हल सुझाया ‘मित्रो, हमें चाल चलनी होगी। मैं लंगड़ाता हुआ शिकारी के आगे से निकलूंगा। मुझे लंगड़ा जान वह मुझे पकड़ने के लिए कछुए वाला थैला छोड़ मेरे पीछे दौड़ेगा। मैं उसे दूर ले जाकर चकमा दूंगा। इस बीच चूहा भाई थैले को कुतरकर कछुए को आज़ाद कर देगें, बस।’

योजना अच्छी थी लंगड़ाकर चलते हिरण को देख शिकारी की बांछे खिल उठीं। वह थैला पटककर हिरण के पीछे भागा। हिरण उसे लंगड़ाने का नाटक कर घने वन की ओर ले गया और फिर चौकड़ी भरता ‘यह जा वह जा’ हो गया। शिकारी दांत पीसता रह गया। अब कछुए से ही काम चलाने का इरादा बनाकर लौटा तो उसे थैला खाली मिला। उसमें छेद बना हुआ था। शिकारी मुंह लटकाकर खाली हाथ घर लौट गया। (Jungle Stories | Stories)

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